धनबाद (झारखंड) स्थित उत्तरायण में मेरे घर का कुआं हमेशा से मुझे आकर्षित करता रहा था, खासकर मॉनसून के दौरान। बरसात में यह कुआं हमेशा पानी से लबालब भरा होता था और हम यह अनुमान लगाते रहते थे कि कब ये कुआं बाहर की तरफ बहना शुरू होगा। यह हमारे लिए किसी जादुई आकर्षण से कम नहीं होता था। दुर्भाग्यवश, पिछले दो दशकों से इस तरह की घटनाओं का अस्तित्व खत्म हो चुका है, इसलिए कुएं का निरंतर चला आ रहा आकर्षण भी समाप्त हो गया है। यह न केवल उत्तरायण बल्कि पूरे धनबाद शहर की आम कहानी है। आज पानी की निरंतर आपूर्ति के लिए ट्यूबवेल काफी गहराई से भूजल का दोहन कर रहे हैं। ये ट्यूबवेल आज पानी के पारंपरिक स्त्रोतों पर काफी भारी पड़ चुके हैं। नतीजतन, ये ट्यूबवेल ही कुओं और भूजल की वर्तमान बदलती स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं।
गर्मी आते ही धनबाद में पानी की कमी आम बात हो जाती है। 2018 में पूरे धनबाद शहर में काफी गहरा जल संकट था। पानी का संकट अप्रैल से लेकर पूरे जून तक रहा। यह समस्या अनियमित जल आपूर्ति और घटते भूजल स्तर के कारण थी। धनबाद के लोग अपनी जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तीन विभिन्न स्त्रोतों पर आश्रित हैं। एक, भूजल दूसरा, सतह का पानी और तीसरा भूजल और सतह के पानी दोनों पर। दिलचस्प बात यह है कि मई 2017 में कारमल स्कूल धनबाद के गैंग ऑफ 20- फ्यूचर वाटर लीडर ने धनबाद में एक सर्वे किया। यह सर्वे मेघ पाइन अभियान (एमपीए) के सहयोग से पार्टिसिपेटरी एक्शन रिसर्च ऑन अर्बन ग्राउंड वाटर (पीआरएयूजी) प्रोजेक्ट के तहत किया गया था। सर्वे में धनबाद शहर के 734 घरों को शामिल किया गया था। इस सर्वे से यह स्थापित हुआ कि इन घरों में से अधिकांश (लगभग 65 प्रतिशत) भूजल पर निर्भर हैं। इसके बाद सतह जल पर 31 प्रतिशत घर निर्भर हैं और बाकी के सिर्फ 4 प्रतिशत दोनों स्त्रोतों पर निर्भर हैं।
दरअसल, हमने चार कारणों से उत्तरायण में वर्षा जल संचयन का निर्णय लिया। पहला कारण था, गैंग ऑफ 20-फ्यूचर वाटर लीडर का निष्कर्ष। दूसरा कारण था भूजल के स्तर में निरंतर गिरावट और तीसरा कारण था धनबाद में 1,306 मिलीमीटर वार्षिक औसत बारिश (केन्द्रीय भूजल बोर्ड के ग्राउंड वॉटर इनफॉर्मेशन बुकलेट और इंडियन मेट्रोलॉजिकल विभाग के मुताबिक) का होना। और चौथा सबसे महत्वपूर्ण कारण यह कि पूरे धनबाद के जल स्रोतों में कहीं भी बारिश के पानी का जिक्र नहीं है।
वर्षा जल की कीमत समझने और फिर वर्षा जल संचयन के महत्व को दिखाने के लिए, उत्तरायण में रूफटॉप वर्षा जल संचयन व्यवस्था लागू की गई। उत्तरायण में कुल 2,819 वर्ग मीटर क्षेत्र है (छत और पक्की सतह), जहां 33.13 लाख लीटर जल संचयन की संभावना है। 2018 मॉनसून के दौरान, उत्तरायण 2,249 वर्ग मीटर क्षमता के रूफटॉप में बारिश का पानी जमा कर सकता था। 3 जून से 12 अक्टूबर, 2018 के बीच, उत्तरायण में 49 दिनों कुल 528 मिमी बारिश हुई, जिससे 10.67 लाख लीटर वर्षा जल संचयन किया गया। इसका उपयोग भूजल को रिचार्ज करने के लिए किया गया था। 60 प्रतिशत वर्षा जल कमी के बाद भी उत्तरायण ने 10.67 लाख लीटर वर्षा जल से भूजल रिचार्ज किया। अगर संचयित वर्षा जल को स्टोर करके रखा जाए तो यह पूरे साल प्रतिदिन 2,922 लीटर पानी उपलब्धता सुनिश्चित कर सकता है।
जल आपूर्ति और उपचार (तीसरा संस्करण) पर सेंट्रल पब्लिक हेल्थ एंड एनवायरमेंट इंजीनियरिंग ऑर्गेनाइजेशंस (सीपीएचईईओ) मैन्युअल के मुताबिक, सीवेज सिस्टम के बिना, शहरों को पाइप पानी आपूर्ति मानदंड 70 पर कैपिटा पर डे (एलपीसीडी) है। निर्धारित जल आपूर्ति मानदंड के साथ, उत्तरायण द्वारा संचयित वर्षा जल में पूरे साल भर 42 परिवारों को पानी उपलब्ध कराने की क्षमता है और यदि उत्तरायण अपनी क्षमता के अनुसार वर्षा जल संचयन कर ले तो यह एक साल तक लगभग 130 लोगों को पानी उपलब्ध करा सकता है। यह वर्षा जल के संचयन की सबसे विकेन्द्रीकृत प्रणाली की क्षमता है।
2011 की जनगणना के अनुसार, धनबाद नगर निगम (डीएमसी) की जनसंख्या 11,62,472 है। इसमें 2,20,783 परिवार शामिल हैं और पानी की आवश्यकता लगभग 11 करोड़ 39 लाख लीटर (113.9 एमएलडी) होगी। इस समय 2,20,783 परिवारों में से 47,641 घरों में ही पाइपलाइन का पानी उपलब्ध है और जो डीएमसी की जलापूर्ति कवरेज 21.57 फीसदी ही है। वर्तमान में डीएमसी का जल उपचार संयंत्र 110.50 एमएलडी पानी का उपचार और आपूर्ति कर रहा है। 21.57 फीसदी ही जलापूर्ति कवरेज होने के बावजूद 110.50 एमएलडी पानी का उपचार और आपूर्ति हो रहा है, ऐसा क्यों?
दरअसल धनबाद के मास्टरप्लान (2016-41) के अनुसार, 2041 की अनुमानित आबादी 14,63,265 होगी और घरेलू और गैर-घरेलू उपयोग के लिए पानी की आवश्यकता 226,806,075 लीटर (226.8 एमएलडी) होगी।
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडब्ल्यूएसडी/पीएचईडी) द्वारा अतिरिक्त 143 एमएलडी पर काम किया जा रहा है। इस परियोजना में लगभग 300 किमी पाइपलाइन बिछाने, दो जल उपचार संयंत्र, दो इनटेक कुआं, तीन हौदे और 36 टावर जैसी आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया जाना है। ऐसे में सवाल यह है कि 143 एमएलडी की अतिरिक्त क्षमता तैयार हो जाने से बाकी के 78.3 प्रतिशत परिवारों को उपचारित जल की आपूर्ति कैसे सुनिश्चित होगी?
यह सवाल इसलिए क्योंकि पहले से स्थापित क्षमता 356.60 एमएलडी में केवल 110.50 एमएलडी जल ही उपचारित किया जा रहा है। झारखंड सरकार के शहरी विकास और आवास विभाग के दस्तावेज (2017) के अनुसार, डीएमसी 275 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। अगर हम इस क्षेत्र में से केवल आधा हिस्सा को वर्षा जल संचयन के लिए उचित मानते हैं तो हर साल डीएमसी क्षेत्र में 107,250,000,000 लीटर वर्षा यानी, 293.8 एमएलडी का संचयन कर सकते हैं जो 2041 की अनुमानित आबादी 14,63,265 के लिए पानी की 226.8 एमएलडी आवश्यकता को पूरी कर सकता है। यदि वर्षा जल संचयन अकेले धनबाद के पानी की समस्याओं को दूर करने की क्षमता रखता है,तो इसे क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है?
पानी से लबालब भरे और बहते हुए कुएं का जादू फिर से देखने, जल की कमी को दूर करने, पानी के बुनियादी ढांचे में अनचाहे खर्च को कम करने, वर्षा जल को तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण जल स्रोत बनाने के लिए उत्तरायण और गैंग ऑफ 20- फ्यूचर वाटर लीडर धनबाद में वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दे रहे हैं, क्योंकि वर्षा जल संचयन ही धनबाद में जल संकट का एकमात्र समाधान है।
(लेखक मेघपाइन अभियान के मैनेजिंग ट्रस्टी हैं)