हर साल 150 से अधिक देश 18 सितम्बर को विश्व जल निगरानी दिवस मनाने के लिए एकत्रित होते हैं। पानी सभी तरह के जीवन के लिए जरूरी है। पानी की निगरानी में जन भागीदारी को बढ़ावा देने और दुनिया भर में जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए साल 2003 से हर साल 18 सितंबर को विश्व जल निगरानी दिवस मनाया जा रहा है।
कोई भी लंबे समय यानी लगभग तीन सप्ताह तक बिना भोजन के रह सकता है, लेकिन अगर थोड़े समय, यानी तीन से चार दिन तक पर्याप्त पानी नहीं पिया, तो शरीर काम करना बंद कर सकता है।
मनुष्य का शरीर 60 से 70 फीसदी तक पानी से बना है। पानी इतना महत्वपूर्ण है कि अंतरिक्ष अन्वेषण बजट का अधिकांश हिस्सा केवल अन्य ग्रहों पर जल स्रोतों को खोजने के लिए समर्पित है। पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र का एक बड़ा हिस्सा भी पानी से बना है, जिस पर अनगिनत जीव निर्भर हैं।
फिर भी जल प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चीजें हमारे पानी के स्रोतों को खतरे में डाल रही हैं, यही वजह है कि हमारे आस-पास के जल निकायों की नियमित निगरानी करना अब पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गया है।
विश्व जल निगरानी दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में जल संसाधनों की सुरक्षा के बारे में लोगों की भागीदारी और जागरूकता बढ़ाना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग अपने स्थानीय जल निकायों की मानक निगरानी करने के लिए सशक्त हों।
एक सरल परीक्षण किट सभी को, बच्चों और वयस्कों दोनों को स्थानीय जल निकायों के नमूने लेने में सक्षम बनाएगी, जिसके लिए कई पैरामीटर निर्धारित किए जाएंगे, जो पानी की गुणवत्ता निर्धारित करेंगे। इसमें घुली हुई ऑक्सीजन (डीओ), साथ ही स्पष्टता (गंदगी), अम्लता (पीएच) और तापमान शामिल हैं।
पानी का परीक्षण विश्व जल निगरानी दिवस का एक अहम हिस्सा है, परिणामों को साझा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। एक बार जब निष्कर्ष हासिल कर लिए जाते हैं, तो परिणामों को साझा किया जाना चाहिए। साथ ही परिणामों को सोशल मीडिया पर साझा करना भी एक अच्छा विचार है ताकि अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
साल 2003 में अमेरिका के क्लीन वाटर फाउंडेशन ने लोगों को उनके स्थानीय जल निकायों की बुनियादी निगरानी में शामिल करके एक वैश्विक शैक्षिक आउटरीच कार्यक्रम के रूप में विश्व जल निगरानी दिवस की शुरुआत की। शुरुआत में यह तिथि 18 अक्टूबर थी, जो कि अमेरिकी स्वच्छ जल अधिनियम के सम्मान में थी, जिसे 18 अक्टूबर 1972 को कांग्रेस द्वारा अमेरिका के जल संसाधनों को बहाल करने और उनकी रक्षा करने के लिए नियमित किया गया था।
विश्व जल दिवस 2024 की थीम ‘शांति के लिए जल’ है। पानी शांति स्थापित कर सकता है या संघर्ष को बढ़ावा दे सकता है। जब पानी की कमी या प्रदूषण होता है, या जब लोगों के पास असमान या कोई पहुंच नहीं होती है, तो लोगों और देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है।
दुनिया भर में तीन अरब से अधिक लोग राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने वाले पानी पर निर्भर हैं। फिर भी मात्र 24 देशों के पास अपने सभी साझा पानी के लिए सहयोग समझौते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में 2.2 अरब लोगों के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल तक पहुंच नहीं थी। कम आय वाले देशों में लगभग 80 फीसदी नौकरियां पानी पर निर्भर हैं जहां कृषि आजीविका का मुख्य स्रोत है। 72 फीसदी मीठे या ताजे पानी की निकासी खेती के लिए की जाती है।
साल 2040 तक दुनिया भर में लगभग चार में से एक बच्चा अत्यधिक पानी के तनाव वाले क्षेत्रों में रह रहा होगा।
भारत में दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी रहती है, लेकिन जल संसाधन केवल चार प्रतिशत हैं, जो इसे दुनिया में सबसे अधिक जल-संकटग्रस्त देशों में से एक बनाता है। नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में भारतीय अत्यधिक जल-संकट का सामना कर रहे हैं।
देश की पानी की जरूरतों के लिए लगातार अनियमित होते मॉनसून पर निर्भरता इस चुनौती को और बढ़ा देती है। जलवायु परिवर्तन से जल संसाधनों पर यह दबाव और भी बढ़ सकता है, जबकि देश में बाढ़ और सूखे की आवृत्ति और तीव्रता भी बढ़ रही है।
पानी हमारे ग्रह पर अनादि काल से मौजूद है, जो हमें दिखाता है कि यह हमारे लिए कितना अहम है। इसलिए, नियमित रूप से पानी की निगरानी करने से हम अपने और आने वाली पीढ़ियों के लिए पानी की गुणवत्ता का ख्याल रख सकते हैं और उसे बेहतर बना सकते हैं।