उमेश कुमार राय
जब भी बरिश होती है, तो मधुबनी जिले के घोघरडीहा प्रखंड के कैथिनिया गांव के रहने वाले राम खेलावन मंडल किसी खाली जगह में एक प्लास्टिक शीट टांग देते हैं और उसके बीच में छेद कर देते हैं। छेद के नीचे एक बड़ी बाल्टी रख जाते हैं। बारिश का पानी बाल्टी में भर जाता है, तो दूसरा बर्तन लगा देते हैं। बाद में इकट्ठा किए गए पानी को अपने घर की टंकी में डाल देते हैं और पीने के लिए वह उसी पानी का इस्तेमाल करते हैं।
राम खेलावन बताते हैं, ‘इस तकनीक से हम लोग इतना पानी बचा लेते हैं कि बारिश खत्म होने के बाद भी छह महीने तक पी सकें। मधुबनी बाढ़ प्रवण इलाका है। बाढ़ के सीजन में पानी बहुत गंदा हो जाता है, जिससे कई तरह की बीमारियां हो जाती करती हैं। ऐसे में ये वर्षा जल हमारे लिए अमृत होते हैं क्योंकि बारिश का पानी सबसे साफ होता है।’
राम खेलावन की तरह ही प्रखंड के आधा दर्जन गांवों के दो हजार से ज्यादा परिवार इस तकनीक के माध्यम से बारिश के पानी बचा रहे हैं। इन घरों में 5 हजार लीटर से 15 हजार लीटर तक की क्षमता वाली टंकी लगाई गई है, जहां बारिश का पानी संग्रह कर रखा जाता है।
राम खेलावन कहते हैं, ‘बारिश के पहले पांच मिनट का पानी संग्रह नहीं करते हैं क्योंकि उसमें गंदगी रहती है। अगर अच्छी बारिश हो और एक मीटर की प्लास्टिक शीट का इस्तेमाल किया जाए, तो ठीकठाक पानी संग्रह हो जाता है।’
बारिश के पानी को बचाने का काम ये लोग आज से नहीं कर रहे हैं बल्कि डेढ़ दशक पहले ही इन लोगों ने भांप लिया था कि आने वाले समय में जल संकट बढ़ेगा। राम खेलावन बताते हैं, ‘मेरे गांव में इस साल भूगर्भ जलस्तर 20 फीट से भी ज्यादा नीचे चला गया है। जिन चापाकलों से पानी निकल भी रहा है, उसमें आयरन व अन्य रसायनों की मात्रा अधिक है। ऐसे में वर्षा जल हमारे लिए वरदान है।’
गौरतलब हो कि मिथिला क्षेत्र में तालाब और नदियां प्रचूर थीं, लेकिन तालाबों को पाट दिया गया और नदियां सूख गईं। हालांकि इस क्षेत्र में कमोबेश हर साल बाढ़ आती है, मगर गर्मी में पानी की किल्लत बढ़ती ही जा रही है। मंगलवार को सीएम नीतीश कुमार ने भी विधानमंडल में मिथिला क्षेत्र में बढ़ते जल संकट को लेकर चिंता जाहिर की है।
वर्षा जल संग्रह करने और भूगर्भ जल को संरक्षित करने के लिए लंबे से काम कर रहे स्थानीय संगठन घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ के अध्यक्ष रमेश कुमार कहते हैं, ‘वर्षा जल का संग्रह तो हम करते ही हैं, साथ ही इस पानी से भूगर्भ जल भी रिचार्ज हो जाए, इस पर भी हमलोग गंभीरता से काम कर रहे हैं। कई तालाबों को हमने पुनर्जीवित कराया है। साथ ही हम वैसे क्षेत्रों के लोगों को चापाकल का इस्तेमाल नहीं करने की नसीहत देते हैं, जहां सतही जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो। हम अपने क्षेत्र में सहभागिता आधारित भूगर्भ जल प्रबंधन पर जोर दे रहे हैं। हमने 20 तालाबों व डबरों का भी जीर्णोद्धार कराया ताकि बारिश का पानी जमा हो सके।’
रमेश कुमार सिंह कहते हैं, 15 वर्ष पहले जब हमने लोगों से वर्षा जल संग्रह करने को कहा था, तो लोग मेरा मजाक यह कह कर उड़ाते थे कि बिहार रेगिस्तान थोड़े है कि यहां पानी की किल्लत होगी। लेकिन, इस बार मधुबनी के 21 ब्लॉक में से 18 ब्लॉक में इस बार सरकार की तरफ से टैंकर से पेयजल की सप्लाई की सप्लाई की गई है। अब लोग कहने लगे हैं कि हमलोग ठीक थे।’
दफ्तर, आंगनबाड़ी केंद्र में भी वर्षा जल का संचयन
घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ के जगतपुर स्थित कार्यालय में भी वर्षा जल के संग्रह की व्यवस्था की गई है। यहां करीब 10 हजार लीटर क्षमतावाली टंकी लगाई गई है। इस टंकी को दफ्तर के छत से कनेक्ट कर दिया गया है। जब बारिश होती है, तो छत का पानी पाइप के जरिए टंकी में संग्रह कर रखा जाता है और दफ्तर में पीने व अन्य कामों में इसका इस्तेमाल होता है।
इसी तरह पड़ोस के गांव जहली पट्टी के आंगनबाड़ी केंद्र में भी वर्षा जल संरक्षण की व्यवस्था कायम की गई है। इसी पानी का इस्तेमाल बच्चों के लिए मिड डे मील बनाने में और पीने में होता है। इसके अलावा कुछ घरों में भी वर्षा जल संचयन का स्थाई ढांचा विकसित किया गया है।
बीमारी के लिए रामवाण!
घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ के अध्यक्ष रमेश कुमार ने ये भी बताया कि इलाके के बहुत लोग उनके दफ्तर आते हैं और पीने के लिए बारिश का पानी ले जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘लोगों का कहना है कि खाली पेट वर्षा जल का सेवन करने से उन्हें कब्ज, गैस्ट्रिक व पेट की अन्य बीमारियां नहीं होती हैं।’
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े पटना के चिकित्सक डॉ ब्रजनंदन कुमार ने कहा, ‘बारिश के पानी में वो सभी मिनरल मौजूद होते हैं, जो पानी में होना चाहिए। इस लिहाज से बारिश के पानी का सेवन लाभदायक है।’ बारिश का पानी अगर जमीन के संपर्क में न आया हो और उसे साफ-सुथरे तरीके से संग्रह किया गया हो, सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है।