गांव अरडाना: हर साल 3 मीटर नीचे जा रहा है पानी, 1,000 फुट पर मिलता है मीठा पानी
एक समय 1995 में पीने का पानी कुएं से लेते थे, बल्कि नहर का पानी पीने लायक था। नहर के पानी से सिंचाई होती थी, कुछ जमींदारों ने ट्यूबवेल लगाए थे। तब अधिकतम 20 फुट पर पानी था। लेकिन इसके बाद पानी की जरूरत बढ़ गई और कुएं सूख गए। किसानों ने ट्यूबवेल लगाने शुरू कर दिए, लेकिन तब भी 60 से 75 फुट पर पानी मिलता था।
परंतु 2007 में ऐसा सूखा पड़ा कि तकरीबन सभी ट्यूबवेल सूख गए। तीन साल से बारिश नहीं हो रही थी। तब लोगों ने खेतों में दूसरी जगह पर ट्यूबवेल लगाने शुरू किए तो पानी 200 से 250 फुट तक पहुंच गया था। इस गहराई पर पानी तो मिला लेकिन यह पानी खारा था। इसका असर यहु हुआ कि फसलें खराब होने लगी। खासकर गर्मी में उगला यानी जल्दी पकने लगी।
यह कहानी है, देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 140 किलोमीटर दूर गांव अरडाना की। अरडाना हरियाणा के करनाल जिले के असंध ब्लॉक का गांव है। गांव की आबादी लगभग 12 हजार है। यहां पीने के पानी के लिए राज्य के जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन ट्यूबवेल लगाए गए हैं। चूंकि ऊपर का पानी खारा है, इसलिए मीठे पानी के लिए 1,000 फुट (लगभग 304 मीटर) नीचे तक की बोरिंग की गई।
हालात यह बन गए हैं कि कुछ बड़े किसानों ने फसलों की सिंचाई के लिए 1,000 फुट नीचे तक की बोरिंग करके समर्सिबल पंप लगवा दिए हैं। ऐसे एक पंप पर 15 से 16 लाख रुपए का खर्च आता है। वहीं, जो किसान 200-250 फुट गहराई वाले ट्यूबवेल लगाते हैं, उनका खर्च 4 से 5 लाख रुपए आता है। गर्मियों में जब पानी की जरूरत बढ़ जाती है तो किसान गांव के बाहर से गुजर रही नहर से पानी लेते हैं। इसके लिए सिंचाई विभाग को एक सीजन का 6,000 रुपए देने पड़ते हैं।
अरडाना हरियाणा के उन गांवों में शामिल है, जो भूजल स्तर के मामले में लाल श्रेणी में आते हैं। दरअसल हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, नियमन और प्रबंधन) प्राधिकरण ने सात जनवरी 2022 को एक सार्वजनिक सूचना जारी कर बताया कि राज्य में 1780 गांव लाल श्रेणी में हैं। लाल श्रेणी से मतलब है, जहां गंभीर भूजल संकट है। इन गांवों में भूजल स्तर 30 मीटर से नीचे हैं।
इस प्राधिकरण का गठन 2020 में हरियाणा संसाधन (संरक्षण, नियमन और प्रबंधन ) प्राधिकरण अधिनियम 2020 के तहत किया गया था। प्राधिकरण ने राज्य के 6,885 गांवों की अलग-अलग श्रेणी में बांटा है। इसमें 20 से 30 मीटर तक के भूजल स्तर वाले गांवों की संख्या 1041 है, जबकि 10 से 20 मीटर तक भूजल स्तर वाले गांवों की संख्या 1807, 5 से 10 मीटर वाले गांवों की संख्या 1261, तीन से पांच मीटर वाले गांवों की संख्या 592, 1.5 से 3 मीटर वाले गांवों की संख्या 319 और 1.5 मीटर से कम भूजल स्तर वाले गांवों की संख्या 85 है। नीचे की तीन श्रेणी वाले गांवों को जलजमाव की श्रेणी में रखा गया है।
प्राधिकरण की इस रिपोर्ट में अडराना का भूजल स्तर जून 2020 में 40 मीटर (131.24 फुट) बताया गया है। जो कि जून 2010 में 8.04 मीटर था। इस रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक के दौरान इस गांव में भूजल स्तर 31.96 मीटर की गिरावट आई। यानी कि हर साल औसतन 3.19 मीटर पानी नीचे चला गया है। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि इस समय भूजल स्तर 200 से 250 वर्ग फुट (60 मीटर से अधिक) पहुंच चुका है।
पूरे करनाल की अगर बात करें तो करनाल के 402 गांवों को प्राधिकरण की लिस्ट में शामिल किया गया है, इनमें से 46 गांव लाल श्रेणी में है, लेकिन अरडाना इस लिस्ट में सबसे ऊपर है। यहां का भूजल स्तर 40 मीटर तक पहुंच गया है, जबकि बाकी गांवों का भूजल स्तर अभी 30 से 40 मीटर के बीच में है।
गांव की मुख्य फसल धान और गेहूं है। विशेषज्ञ हरियाणा में भूजल स्तर के लगातार नीचे जाने की वजह से धान और गेहूं की फसल को मानते हैं। खासकर धान में पानी बहुत इस्तेमाल होता है। उल्लेखनीय है कि एक लीटर चावल उगाने में 2,500 से 5,000 लीटर पानी का इस्तेमाल किया जाता है।
हालांकि हरियाणा सरकार ने राज्य में भूजल स्तर में आ रही भारी गिरावट को देखते हुए तीन साल पहले एक योजना की शुरुआत की थी, जिसमें किसानों से कहा गया था कि वे धान की फसल छोड़ कर दूसरी फसल उगाएंगे तो उन्हें बोनस दिया जाएगा। पिछले साल हरियाणा सरकार ने 7,000 रुपए प्रति एकड़ देने का वादा किया था।
लेकिन अरडाना गांव के किसान इस योजना को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। गांव के सात एकड़ में खेती करने वाले किसान राम दिया शर्मा कहते हैं कि केवल धान और गेहूं ही है, जिससे थोड़ा मुनाफा होता है। जब भी दूसरी फसल लगाते हैं, नुकसान ही झेलना पड़ता है।
वह कहते हैं कि एक एकड़ में लगभग 50 हजार रुपए की धान निकलती है, जबकि खर्च 20 से 25 हजार रुपए होता है। इसी तरह एक एकड़ में 25 से 30 हजार रुपए गेहूं निकलता है। चूंकि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान ही खरीदती है, इसलिए इसमें बचत हो जाती है। बाकी फसलों पर कुछ नहीं बचता।