निश्चित रूप से स्थिरता एक चिंता का विषय है। खासकर भू-जल की स्थिरता और भी बड़ा प्रश्न है क्योंकि अब तक का अनुभव जो है उसमें चाहे राज्य की योजनाएं हो या केंद्र के सहयोग वाली योजनाएं सब जगह यह चुनौती सामने आई है। लेकिन पहली बार हमने किसी योजना में जल स्रोत की स्थिरता और ग्रे-वाटर डिस्पोजल (बाथरूम, किचन आदि से निकलने वाला गंदा पानी) का भी ध्यान रखा है। यह सामान्य अनुभव है कि घर में जाने वाला पानी लगभग 75 फीसदी ग्रे-वाटर के रूप में बाहर आता है। इसका उपचार करके या तो सिंचाई या फिर भू-जल रीचार्ज में उसका उपयोग किया जाएगा। पिछले कई वर्षों से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (एमजीएनआरईजीए) के तहत प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन परियोजनाओं के रूप में भी यह काम किया जा रहा था। हालांकि किए जा रहे काम और जरूरी तकनीकी के बीच एक खाई है। हम काम और तकनीकी के कन्वर्जेंस के तहत इस पर और अधिक जोर देंगे। 15वें वित्त आयोग ने भू-जल रीचार्ज परियोजनाओं के लिए अपनी संस्तुति में 30,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है