सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को तीन महीनों में 2.31 लाख से ज्यादा वेटलैंड्स के जमीनी सत्यापन और सीमांकन का दिया आदेश

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से 2.25 हेक्टेयर से कम और ज्यादा छोटी-बड़ी करीब 8 लाख वेटलैंड्स के संरक्षण की मांग उठाई
हर सर्दी में कश्मीर घाटी के वेटलैंड्स हजारों प्रवासी पक्षियों के अभ्या रण्य बन जाते हैं। ये पक्षी अक्टूबर में आते हैं और मार्च तक यहां ठहरते हैं  (फोटो: रेयान सोफी, मशकूरा खान)
हर सर्दी में कश्मीर घाटी के वेटलैंड्स हजारों प्रवासी पक्षियों के अभ्या रण्य बन जाते हैं। ये पक्षी अक्टूबर में आते हैं और मार्च तक यहां ठहरते हैं (फोटो: रेयान सोफी, मशकूरा खान)
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सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को अगले तीन महीनों में 2.31 लाख से ज्यादा वेटलैंड्स की जमीनी जांच कर उसकी सीमा निर्धारण का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश तब आया है जब कोर्ट ने यह पाया कि केंद्र सरकार के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर द्वारा पहचानी गई वेटलैंड्स का कोई भी जमीनी निरीक्षण और सीमांकन नहीं किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने आनंद आर्या बनाम भारत सरकार के मामले में 11 दिसंबर को सुनवाई करते हुए गौर किया कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अनुसार 2017 से पहले भारत में 2.25 हेक्टेयर से बड़ी आर्द्रभूमियों की संख्या 2,01,503 थी जबकि नवीनतम डेटा के मुताबिक 2021 में वेटलैंड्स की संख्या बढ़कर 2,31,195 हो गई है।

कोर्ट ने कहा, “अब इन आंकड़ों को जमीनी स्तर पर सत्यापित करना होगा। आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 और इसके तहत जारी गाइडलाइंस में कहा गया है कि ऐसी आर्द्रभूमियों की पहचान के बाद अगला कदम 'ग्राउंड ट्रुथिंग' कहलाता है, जो इन आर्द्रभूमियों का वास्तविक निरीक्षण होता है, जिसे राज्य द्वारा गठित एक टीम द्वारा किया जाता है।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि हालांकि पंजाब को कुछ हद तक छोड़कर यह कदम लगभग सभी राज्यों द्वारा नजरअंदाज किया गया है।

पीठ ने कहा, “इन आर्द्रभूमियों की सीमांकन के संदर्भ में अब तक सभी राज्यों ने लगभग कुछ नहीं किया है।”

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि ग्राउंड ट्रुथिंग और आर्द्रभूमि की सीमा का निर्धारण अगला कदम है जिसे प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को अपने संबंधित आर्द्रभूमि प्राधिकरण के माध्यम से और संबंधित विभाग के समन्वय में करना होगा।

पीठ ने कहा “यह एक वैधानिक कार्य है जो उन्हें नियमों के तहत सौंपा गया है। इसलिए, हम प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के आर्द्रभूमि प्राधिकरण को निर्देशित करते हैं कि वे अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र एटलस, 2021 द्वारा उनके राज्य के लिए पहचानी गई प्रत्येक आर्द्रभूमि की ग्राउंड ट्रुथिंग और सीमा निर्धारण पूरी करें।”

केंद्र सरकार के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आस्था भारती ने अदालत को आश्वासन दिया कि केंद्र प्रत्येक राज्य की निगरानी करेगा और अगले सुनवाई से पहले हलफनामा दायर करेगा।

इस मामले में मनु भटनागर और विक्रांत तोंगड़ के लिए पेश हो रहे अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने कहा कि इसरो द्वारा पहचानी गई 2,31,195 आर्द्रभूमियों के अलावा 5,55,557 आर्द्रभूमियां 2.25 हेक्टेयर से कम आकार की हैं। इनका भी निरीक्षण और सीमांकन होना चाहिए। कई जलाशयों और छोटे वेटलैंड्स पर लगातार अतिक्रमण किया जा रहा है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट अभी इस मामले पर आगे विचार करेगा।

राज्यों को वेटलैंड्स के सर्वेक्षण के अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने अपने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वह सभी 85 रामसर स्थलों की पूरी सूची उच्च न्यायालयों को भेजे, जिन्हें हलफनामे को स्वंय द्वारा शुरू की गई जनहित याचिका के रूप में मानकर यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके क्षेत्राधिकार में स्थित स्थलों का उचित रखरखाव किया जाए।

रामसर स्थल एक अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि होती है। मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च 2025 को होगी।

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