कहीं सूखा, कहीं सैलाब, पानी लिख रहा है बर्बादी की नई कहानी

भविष्य में जल की मांग जनसंख्या से नहीं, बल्कि आर्थिक विकास से उत्पन्न होगी
कहीं सूखा, कहीं सैलाब, पानी लिख रहा है बर्बादी की नई कहानी
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22 मार्च को विश्व जल दिवस के दिन जारी संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक धरती पर हर दूसरा इंसान पानी की गंभीर किल्लत झेल रहा है। “संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2024: समृद्धि और शांति के लिए जल” बताती है कि 2002 से 2021 के बीच दो दशकों में 1.4 अरब लोगों पर सूखे की मार पड़ी और 21,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।

दूसरी ओर, बाढ़ ने 1.6 अरब लोगों को प्रभावित किया और इसकी चपेट में आकर इसी अवधि में एक लाख से अधिक लोगों की मौत हुई। रिपोर्ट चेतावनी देते हुए कहती है, “फिलहाल 73.3 करोड़ से भी अधिक लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे हैं, जहां पानी का संकट बेहद गंभीर है और 2010 की तुलना में 2050 तक पानी की वैश्विक मांग में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

सतत आर्थिक विकास के लिए पानी की पहुंच, आवंटन और प्रबंधन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है।”

पानी की मांग में बढ़ोतरी तय है। हालांकि रिपोर्ट का आकलन है कि ऐसा जनसंख्या में तीव्र बढ़ोतरी के चलते नहीं होगा। इसके अनुसार “जल की वैश्विक मांग पर जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं। दरअसल सब-सहारा अफ्रीका के तमाम देशों समेत जनसंख्या में सबसे तेज बढ़ोतरी वाले अक्सर वो इलाके हैं जहां पानी का प्रति व्यक्ति उपयोग सबसे कम है।” पानी की मांग में बढ़ोतरी ज्यादातर उन शहरों, देशों और क्षेत्रों में होगी जहां तेज आर्थिक विकास के चलते उपभोग प्रवृतियां और जीवनशैली में बदलाव हो रहे हैं।

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