सरदार सरोवर बांध प्रभावितों का धरना खत्म, ज्यादातर मांगें मानी

सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ने के बाद कई इलाकों में पानी भरा हुआ है और ये इलाके टापू में बदल गए हैं। जरूरी राहत की मांग को लेकर लोग भोपाल में धरनारत थे
भोपाल में धरना देते नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता। फोटो:एनबीए
भोपाल में धरना देते नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता। फोटो:एनबीए
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भोपाल के नर्मदा भवन के सामने चल रहा धरना 22 नवंबर की सुबह खत्म हो गया। पांच दिन से चले धरने में नर्मदा घाटी के सरदार सरोवर बांध प्रभावितों के अलावा जोबट प्रभावित और सेंचुरी कंपनी के श्रमिक भी शामिल थे। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के अधिकारियों ने कई मांगों को मान लिया और धरने पर बैठे आंदोनलकारियों को लिखित आश्वासन दिया।

मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटी विकास मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल की अध्यक्षता में राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव,  एनवीडीए के आयुक्त और आंदोलनकारियों के प्रतिनिधियों के बीच तीन घंटे तब बातचीत चली।

बातचीत में यह तय हुआ है कि सरदार सरोवर बांध का जल स्तर बढ़ने के बाद जिन किसानों को खेती का नुकसान हुआ है। उनकी भरपाई की जाएगी। साथ ही, जो इलाके टापू बन गए हैं, वहां आने-जाने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही, जमीन डूबने से हुए नुकसान की भी भरपाई बीमा कंपनियों से कराई जाएगी। आश्वासन दिया गया है कि 15 दिन के भीतर यह सब काम हो जाएगा।

बैठक में बताया गया कि जहां नावों की जरूरत होगी, वहां नाव चलाई जाएंगी। इसके लिए पैसे जिला कलेक्टर को ट्रांसफर कर दिया गया है। पशुपालन विभाग को पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करने के आदेश दिए गए हैं। सरकार की ओर से भरोसा दिया गया कि 30 नवंबर से राहत कार्य शुरू हो जाएंगे।

आंदोलनकारियों का आग्रह था कि 30 नवम्बर तक या उसके आगे 7 या 10 दिसंबर तक कम से कम टीन शेडों में भोजन चालू रखा जाए, इसे मंत्री व अधिकारियों ने मंजूर नहीं किया। उनका कहना था कि बहुत सारे अपात्र लोग टीन शेड में है। इसके चलते आंदोलनकारियों ने निर्णय लिया कि सभी लोग मिलकर भोजन फंड बनाएंगे। जिसमें केवल अनाज ही लिया जाएगा और  जरूरतमंद को दिया जाएगा। इसके अलावा अधिकारियों ने दो गांवों के बीच अस्थायी पुल और रास्ते बनाने की मांग को मंजूरी दे दी।

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