बिहार: रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर नए कानून से कितना होगा फायदा

बिहार में निजी भवनों में रेनवाटर हारवेस्टिंग अनिवार्य करने के लिए कानून बनाया जा रहा है, लेकिन क्या इसका फायदा मिलेगा?
Photo: Creative commons
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उमेश कुमार राय
बिहार सरकार बहुत जल्द ऐसा कानून लाने जा रही है, जिसके तहत निजी भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग (वर्षा जल संचयन) की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। हालांकि पुराने कानून में भी रेनवाटर हार्वेस्टिंग का ढांचा तैयार करने की बात कही गई है, लेकिन इस नए कानून में इसे अनिवार्य किया जाएगा।

इस कानून में पटना नगर निगम के अंतर्गत निजी बिल्डिंगों में ये ढांचा तैयार करने वालों को प्रॉपर्टी टैक्स में पांच प्रतिशत की रियायत दी जाएगी। ये पटना नगर निगम के सभी चार सर्किलों पाटलीपुत्र सर्किल, कंकड़बाग सर्किल, बांकीपुर सर्किल और पटना सर्किल में लागू किया जाएगा और बाद में अन्य नगर निगमों तक इसका विस्तार किया जाएगा।

प्रॉपर्टी टैक्स में छूट को लेकर जानकारों का कहना है कि इससे लोग प्रोत्साहित होंगे, लेकिन बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कानून में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किये जाने से कितना फर्क पड़ेगा, इस पर संदेह है। पटना नगर निगम के रिटायर्ड सिटी मैनेजर अमित कुमार सिन्हा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस तरह के नियम पहले भी थे, लेकिन लोगों में इसको लेकर उदासीनता थी। उस वक्त नाम मात्र की बिल्डिंगों में ये व्यवस्था थी, बाकी लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते थे।

बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि कानून में संशोधन कर रेनवाटर हार्वेस्टंग की व्यवस्था को अनिवार्य करने से मकान मालिकों की बाध्यता होगी कि वे जल संचयन का ढांचा तैयार करें। संशोधन को लेकर रिपोर्ट जल्द ही स्टेट कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा। 

सुशील कुमार मोदी का कहना है कि सरकारी व निजी बिल्डिंगों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग का ढांचा स्थापित करने को अनिवार्य करने की स्कीम बिहार सरकार के जल-जीवन-हरियाली अभियान का हिस्सा है। इस स्कीम को सीएम नीतीश कुमार 15 अगस्त को लांच करेंगे। बताया जा रहा है कि इस स्कीम के तहत भवन निर्माण का काम करनवाले कामगारों को रेनवाटर हार्वेस्टिंग का ढांचा तैयार करने में अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

लेकिन, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन से संबंधित पुराने कानून देखें, तो उनमें रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रावधान पहले से ही था। बिहार ग्राउंड वाटर (रेगुलेशन एंड कंट्रोल ऑफ डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट) एक्ट, 2006 के मुताबिक, 1000 वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल में बननेवाली बिल्डिंग में रेनवाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था रखनी होगी। वहीं, बिहार बिल्डिंग बाईलॉज, 2014 में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि नई बिल्डिंग में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा। एक्ट के 51 नंबर प्वाइंट रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से जुड़ा है। इसमें लिखा है, “हर आकार के प्लॉट के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग का प्रावधान अनिवार्य रहेगा।”

एक्ट में आगे लिखा गया है, “हर 100 वर्ग मीटर छत के लिए कम से कम 6 घन मीटर आकार में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा। वहीं पर्कोलेशन पिट को इंट या नदी के बालू से भरकर स्लैब से ढकना होगा। इसके अलावा कुछ चीजें वैकल्पिक हैं जिन्हें व्यावहारिक होने की सूरत में ही लागू किया जा सकता है।”  पुराने कानून में रेनवाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था रखने की अनिवार्यता के बावजूद राज्य सरकार की नई घोषणा को लेकर बिल्डर कनफ्यूज हैं।

एक डेवलपर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “पहले से जो कानून बना हुआ है, उसमें तो ये अनिवार्य है ही। अब नया कानून बनाकर सरकार क्या करेगी पता नहीं।” उन्होंने ये भी कहा कि पूर्व में बने कानून का पालन नहीं के बराबर होता है और ज्यादातर बिल्डिंगों का नक्शा बिना रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के ही पास हो जाता है। पटना में छोटे प्लॉट ज्यादा हैं। इनमें रेनवाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था रखना मुश्किल है।

यहां बड़े अपार्टमेंट्स की संख्या कम है और एक अनुमान के मुताबिक पटना के महज 5 प्रतिशत अपार्टमेंट्स में ही रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम होगा। पटना में अगर ये सूरत-ए-हाल है, तो अन्य जगहों पर क्या स्थिति होगी, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट सचिन चंद्रा ने कहा कि अगर सरकार अनिवार्य कर देती है, तो इसका पालन किया ही जाना चाहिए, लेकिन इससे पहले ये जरूरी है कि इस पर व्यावहारिक होकर सोचा जाए। सरकार को ग्राउंड वाटर रिचार्ज पर नये सिरे से सोचने की जरूरत है।

वर्ष 2014 के बिल्डिंग बाइलॉज के पालन को लेकर पटना नगर निगम के डिप्टी मेयर ने संदेह जताया और कहा कि सरकार को जांच करनी चाहिए कि वर्ष 2014 के बाद नई बिल्डिंगों का जो भी नक्शा पास हुआ, उनमें रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का प्रावधान था या नहीं। अगर नहीं था और नक्शा पास किया गया, तो इंजीनियरों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

दूसरी तरफ, राज्य सरकार मौजूदा सरकार बिल्डिंगों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने पर भी विचार कर रही है। पिछले दिनों बिहार स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 3668 ऐसी सरकारी बिल्डिंगों की शिनाख्त की, जहां वर्षा जल संचयन के लिए 7000 से ज्यादा ढांचा तैयार किया जाना है।

बिहार में औसतन 1200 से 1300 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए। पहले इतनी बारिश होती भी थी, लेकिन लेकिन हाल के वर्षों में बारिश का परिमाण लगातार घट रहा है। वर्ष 2015 में महज 745 मिलीमीटर बारिश हुई थी। उसके बाद के साल में यानी वर्ष 2016 में वर्ष 2015 की तुलना में कुछ ज्यादा बारिश (933 मिलीमीटर) हुई थी, लेकिन वह औसत से कम ही थी। इसी तरह वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में भी औसत से कम बारिश दर्ज की गई।

बारिश कम होने और भूगर्भ जल के अधिक दोहन के कारण बिहार में भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे चला गया है। हालात ये है कि कई सौ फीट खोदने पर भी मुश्किल से पानी मिल रहा है। सरकार को की जगहों पर टैंकर से पानी की सप्लाई करनी पड़ती है।

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