बिहार के गंगा के मैदानी इलाकों में कैंसर का कारण बन रहा है पानी में मैगनीज

कैंसर रोगियों के खून और उनके हैंडपंप के पानी में मैंगनीज प्रदूषण के बीच महत्वपूर्ण संबंध मिले हैं
फोटो का इस्तेमाल प्रतीकात्मक किया गया है।  फोटो: आईस्टॉक
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बिहार के गंगा के मैदानी इलाकों में पानी में मैंगनीज की मात्रा मिली है, जो कैंसर का कारण बन रही है। पटना स्थित महावीर कैंसर संस्थान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक अध्ययन में यह पाया है।

अध्ययन टीम के प्रमुख वैज्ञानिक अरुण कुमार ने डाउन टू अर्थ को बताया कि मैंगनीज कैंसर के लिए विषाक्तता का नया तत्व है और पानी में मैंगनीज की उच्च मात्रा कैंसर का एक प्रमुख कारण हो सकती है।

अध्ययन में पाया गया कि कैंसर मरीजों के खून के नमूनों में मैंगनीज का स्तर काफी ऊंचा था, जो 6,022 माइक्रोग्राम प्रति लीटर अधिकतम था। इसके अलावा, इन कैंसर मरीजों के घर के हैंडपंप से लिए गए पानी में भी मैंगनीज का उच्च स्तर देखा गया। मरीजों के खून में मैंगनीज की मात्रा और उनके हैंडपंप के पानी में मैंगनीज की मौजूदगी के बीच एक मजबूत संबंध भी पाया गया।

अरुण कुमार ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में बिहार में कैंसर के मामलों में जबरदस्त वृद्धि हुई है। हालांकि कैंसर के पीछे एक से अधिक कारक हो सकते हैं, लेकिन मैंगनीज जैसे ट्रेस एलिमेंट का विषाक्त प्रभाव भी कैंसरजन्यता का एक प्रमुख कारण है।

वैज्ञानिकों ने बिहार के पटना, वैशाली, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीवान और सारण जिलों से 1,146 कैंसर मरीजों के रक्त के नमूने लिए। इनमें से 767 महिलाएं (67%) और 379 पुरुष (33%) शामिल थे। इनमें स्तन कैंसर के 33.25 प्रतिशत, हेपैटोबिलियरी और गेस्ट्रो कैंसर के 26.96 प्रतिशत, गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के 5.58% प्रतिशत तथा अन्य प्रकार के कैंसर के 34.78 प्रतिशत मामले शामिल थे।

इनमें सबसे अधिक मरीज स्टेज चार के थे। इनकी संख्या 45.9 प्रतिशत थे। स्टेज एक के 2.8 प्रतिशत, स्टेज दो के 15.1 प्रतिशत और स्टेज तीन के 36.1 प्रतिशत मरीज थे। मरीजों के घरों से हैंडपंप के पानी के नमूने भी लिए गए। नमूनों का परीक्षण एटोमिक एब्जॉर्प्शन स्पेक्ट्रोफोटोमीटर विधि से किया गया।

कैंसर मरीजों में स्टेज तीन और चार वाले मामलों में खून में मैंगनीज का स्तर काफी अधिक पाया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है।

मैंगनीज पृथ्वी पर पांचवां सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला धातु है, जो ऑक्साइड, कार्बोनेट और सिलिकेट के रूप में मौजूद रहता है। यह भोजन, पानी, मिट्टी और चट्टानों में पाया जाता है।

कम मात्रा में मैंगनीज शरीर के संतुलन को बनाए रखने में सहायक है, लेकिन इसकी अत्यधिक खपत गंभीर विषाक्तता का कारण बन सकती है। भू-जल में मैंगनीज प्रदूषण का प्रमुख स्रोत औद्योगिक प्रदूषण (मानवीय कारण) या तलछटी चट्टानों (भौगोलिक कारण) से है।

1957 में महाराष्ट्र के चिंचवड़ में मैंगनीज प्रदूषण का पहला मामला दर्ज किया गया था, जहां खदान मजदूरों को कमजोरी, नींद न आना, अस्थिरता और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। भारत के अन्य क्षेत्रों, जैसे पश्चिम बंगाल और कर्नाटक, में भी भू-जल में मैंगनीज के उच्च स्तर पाए गए हैं।

अध्ययन ने पहली बार बिहार में मैंगनीज प्रदूषण को कैंसर के खतरे से जोड़ा है, जो नेचर जर्नल में प्रकाशित हुआ।

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