अब एक बार फिर पश्चिम राजस्थान के पाली जिले में रेल से पानी पहुंचाने का प्रस्ताव जिला प्रशासन ने रेलवे विभाग को भेजा है।
जिले में पिछले दो पखवाड़े से पानी उन बांधों से पहुंचाया जा रहा है, जो वास्तव में सिंचाई के लिए बनाए गए हैं। और इन छोटे-छोटे बांधों में अभी पानी बचा हुआ है लेकिन यह भी अधिक दिन तक नहीं चलेगा, इनकी क्षमता भी 15 अप्रैल के आसपास खत्म हो जाएगी। प्रशासन के अनुसार जिले के आसपास इन बांधों की संख्या में लगभग पांच है।
पाली शहर में वर्तमान में पेय जल की आपूर्ति बाणियावास (सिंचाई के लिए बना बांध) व जवाई बांध से पहली पंम्पिंग द्वारा चल रही है।
इस संबंध में पाली जल प्रदाय के कार्यकारी इंजीनियर कान सिंह ने बताया कि इसका पानी अप्रेल में समाप्त होने पर स्थानीय जलस्रोत ही सहारा रहेंगे। ऐसे में हमारे विभाग द्वारा हेमावास बांध में दो कुएं भी बनाए गए हैं। इसके साथ ही पाली शहर के नया गांव, टैगोर नगर क्षेत्र में पानी का अंदाज लगाकर ट्यूबवेल खोदने की तैयारी की जा रही है।
ध्यान रहे कि जवाई बांध से पहली डेड स्टोरेज की पम्पिंग गत 17 मार्च से शुरू हो गई थी। प्रशासन का कहना है कि इस डेड स्टोरेज का पानी 15 से 20 अप्रेल तक चलने की उम्मीद है। इसके बाद सेकेंड स्टेज डेड स्टोरेज से पम्पिंग शुरू करनी होगी।
यह पम्पिंग कितने मिलियन क्यूबिक फीट (एमसीएफटी) पानी जवाई में रहने पर शुरू होगी और कितने दिन तक उस पानी उपयोग लिया जा सकेगा, इसकी जानकारी देने में अभी प्रशासन के अधिकारियों ने असमर्थता बताई है।
ध्यान रहे कि दूसरे डेड स्टारेज की पम्पिंग 13 साल पहले वर्ष 2009 में हुई थी। उस समय 380 एमसीएफटी पानी बांध में होने पर डेड स्टोरेज की सैकण्ड पम्पिंग शुरू की गई थी।
जवाई बांध से पाली व जालोर जिले की 38670 हेक्टेयर भूमि सिंचित होती है। इस बार बांध में मात्र 19 फीट पानी की आवक होने से सिंचाई के लिए किसानों को पानी नहीं दिया गया। जबकि 2021 में इस बांध में 47.95 फुट पानी की आवक हुई थी।
जवाई बांध परियोजना के मुख्य नहर की लंबाई 23 किमी एवं छोटी और मझौली नहरों की लंबाई 234 किमी है। इनके माध्यम से पाली जिले के 33 गांवों के कमांड क्षेत्र की भूमि में सिंचाई की जाती है।
कुल मिलाकर लगभग 50 हजार किसान प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जवाई बांध से जुड़े हुए हैं। बांध की क्षमता 7887.5 मिलियन क्यूबिक फीट की है।
जहां तक पानी संकट के समय रेल से पानी लाने के प्रशासन के प्रस्तााव की बात है तो यदि आगामी 15 अप्रैल से पाली में पानी रेल के माध्यम से लाया जाता है तो यह इस जिले में पिछले 16 सालों यानी लगभग डेढ़ दशक के दौरान तीसरी बार पेयजल की आपूर्ति रेल द्वारी की जाएगी।
इसके पहले 20 जुलाई, 2009 को वाटर ट्रेन चलाई गई थी। इसके बाद एक जुलाई 2016 को ट्रेन चलाना प्रस्तावित था, लेकिन तीन जुलाई को बारिश आने से ट्रेन जोधपुर में ही खड़ी रही। हाल-फिलहाल में देखा जाए तो 25 जुलाई, 2019 को वाटर ट्रेन पाली आई थी।
इस वाटर ट्रेन ने 2 अगस्त, 2019 तक नौ फेरे किए थे। इसके बाद बरसात आने पर ट्रेन बंद कर दी गई थी। पाली के लिए फिलहाल 15 अप्रेल से वाटर ट्रेन चलाया जाना प्रस्तावित किया गया है।
एक ट्रेन में लगभग 40 से 50 वैगन होंगे, जिनसे पाली के लिए करीब 50 हजार लीटर पानी पाली लाया जाएगा। पाली में सुभाष नगर वाटर वर्क्स के हैड वर्क्स के पीछे डिग्गियों की सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है। ट्रेन से लाया गया पानी इन्हीं डिग्गियों में स्टोर करके रखा जाता है और यहीं से पानी की सप्लाई की जाती है।