पानी बचाने के लिए भारतीय रेलले रेन वाटर हार्वेस्टिंग यानि वर्षा जल संरक्षण के कई तरीके अपना रहा है। हाल ही में भोपाल रेलवे मंडल ने मध्यप्रदेश के मुंगावली रेलवे स्टेशन के पास 67 लाख लीटर क्षमता का एक तालाब बनाया है। रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक यह जमीन आज से एक वर्ष पहले तक बंजर थी और इसका न व्यावसायिक न ही जंगल उगाने में उपयोग हो रहा था। मुंगावली स्टेशन के आसपास के कॉलोनियों में इस वर्ष हैंडपंप और कुएं सूखने की समस्या भी सामने आई थी। भोपाल मंडल ने पानी बचाने के अभियान के तहत इस इलाके के भूमिगत जल को रिचार्च करने की योजना बनाई।
रेलवे के इंजीनियर ऋृषि यादव के नेतृत्व में बारिश के पानी को एकत्रित करने के लिये बीना-गुना रेलखंड पर मुंगावली स्टेशन के पास खुदाई कर साइज 90X30X2.5 के तलाब का निर्माण किया गया। पानी साफ रहे इसके लिए तालाब के चारो तरफ फेसिंग भी की गई। इस मानसून की बारिश में तालाब में 1 मीटर ऊपर तक पानी भरा। रेलवे के मुताबिक इस तालाब में फिलहाल 27 लाख लीटर पानी एकत्रित कर लिया गया है। इस तालाब की कुल गहराई 2.5 मीटर है। इस प्रकार पानी से तालाब के पूरा 2.5 मीटर तक भर जाने पर इसमें लगभग 67 लाख लीटर पानी एकत्रित किया जा सकेगा। पश्चिम मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारी आईए सिद्दीकी ने बताया कि भोपाल मंडल में दूसरे बंजर जमीनों पर भी यह काम हो रहा है जिससे भूमिगत जल स्तर बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी और गर्मियों में होने वाली दिक्कतें भी कम होंगी।
भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के लिए रेलवे अपना रहा कंटोर तकनीक
डिविजनल रेलवे मैनेजर (डीआरएम) उदय बोरवणकर के निर्देश के मुताबिक रेलवे की बंजर भूमि जिसका कोई उपयोग नहीं था, ग्राउण्ड वाटर के रिचार्जिंग हेतु उसमें छोटे-छोटे तालाब बनाए जाएंगे। रूफ टॉप हार्वेस्टिंग के साथ भोपाल डिविजन गड्डे और तालाब बनाकर पानी रोक रहा है ताकि भूमिगत जल रिचार्ज हो सके। इसके लिए इंजीनियर कंटोर तकनीक अपना रहे हैं। इस तकनीक में ढलाउ जमीन को इस तरह से तैयार किया जाता है कि पानी अधिक समय के लिए उसपर ठहर सके और जमीन में जा सके। मुंगावली का तालाब भी इसी तर्ज पर बनाया गया है। पूरे देश में रेलवे की 200 वर्ग मीटर से अधिक के सभी छतों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने की योजना पर भी काम चल रहा है।
रेलवे की कुल जमीन का सात फीसदी हिस्सा बंजर
संसद की स्टैंडिंग कमेटी की 2017-18 की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेल के पास 6,76,001 हेक्टेयर जमीन है, जिसमें से 51648 हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी हुई है, जो कि कुल जमीन का लगभग सात फीसदी है। इसका एक बड़ा हिस्सा बंजर और किसी उपयोग का नहीं है। रेलवे मानती है कि 862 हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण है।