संसद में आज: भारत में मात्र 55 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक पहुंच रहा है नल का पानी

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भूजल प्रदूषण के कारण प्रभावित लोगों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं रखी जाती है।
संसद में आज: भारत में मात्र 55 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक पहुंच रहा है नल का पानी
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राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्ल्यूपी) के तहत आवंटित धनराशि

जल जीवन मिशन (जेजेएम) की घोषणा के समय, 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) घरों में नल के पानी के कनेक्शन होने की जानकारी थी। पिछले तीन वर्षों में अब तक लगभग 7.44 करोड़ (38 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।

इस प्रकार, 06.12.2022 तक, देश के 19.36 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से, लगभग 10.67 करोड़ (55 प्रतिशत) घरों में नल के पानी की आपूर्ति होने की जानकारी है और शेष 8.69 करोड़ ग्रामीण परिवारों को 2024 तक कवर करने की योजना है, यह आज जल शक्ति मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने राज्यसभा में बताया।

वायु प्रदूषण के लिए आवंटित धन

भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग (एक्स वी-एफसी) मिलियन प्लस सिटीज चैलेंज फंड (एमपीसीसीएफ) के तहत 4.2 करोड़ से अधिक शहरों को वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए 2,217 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में दी।

राजस्थान के पांच  बिना-प्राप्ति वाले शहरों को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत शामिल किया गया है। जयपुर, जोधपुर और कोटा तीन शहरों को एक्स वी-एफसी एमपीसीसीएफ के तहत कवर किया गया है और दो शहरों अलवर और उदयपुर को केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के वित्त पोषण के तहत कवर किया गया है। चौबे ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में राजस्थान के पांच शहरों को वायु गुणवत्ता में सुधार के उपाय करने के लिए 166.29 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

मिड डे मील योजना में आहार

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 के प्रावधानों के अनुसार, कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ने वाले या छह से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चे स्कूल की छुट्टियों को छोड़कर हर दिन मध्याह्न भोजन मुफ्त पाने के हकदार हैं। सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को शामिल किया गया है  ताकि अधिनियम में निर्दिष्ट पोषण मानकों को पूरा किया जा सके। तदनुसार, प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत सभी कामकाजी स्कूली दिनों में पात्र बच्चों को गर्म और पका हुआ भोजन दिया जाता है। यह आज शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में बताया।

दिल्ली, एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय

देश के 131 पहचाने गए शहरों में से, वित्त वर्ष 2017-18 की तुलना में 2021-22 के दौरान दिल्ली सहित 95 शहरों में पीएम 10 की मात्रा में कमी देखी गई है, इस बात की जानकारी आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में दी।

इसके अलावा, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2021 में धीरे-धीरे सुधार देखा गया क्योंकि दिल्ली के सीएएक्यूएमएस आंकड़े से पता चलता है कि पीएम 10 की वार्षिक मात्रा 2016 से धीरे-धीरे कम हुई है।

वाहनों से होने वाला प्रदूषण

2019-22 के दौरान प्रमुख शहरों के लिए किए गए अध्ययन के अनुसार, पीएम 10 के स्तर में वाहन क्षेत्र का योगदान सर्दियों के मौसम के दौरान 10 से 33 प्रतिशत और गर्मी के मौसम के दौरान 3-29 प्रतिशत के बीच अलग-अलग होती है, यह आज  केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया।

मौजूदा समय में करीब 810 किलोमीटर लंबी मेट्रो पहले से ही 20 शहरों में है। इसके अलावा, फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम)-2 योजना शुरू की गई है और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए परमिट की आवश्यकता को छूट दी गई है।

जंगली हाथियों का हमला

हाथियों के हमले से देश के कई हिस्सों से लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं। छत्तीसगढ़ और कर्नाटक राज्यों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हसन लोकसभा क्षेत्र के सकलेशपुरा, अलूर, बेलूर तालुका में 2021 में 15 और छत्तीसगढ़ में रायगढ़ में 2021-22 में हाथी के हमले के कारण पांच लोगों की मृत्यु की जानकारी है, यह आज आज केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में बताया।

देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग

ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (ओपीएचआई) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी “वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022: अनपैंकिंग डेप्रिवेशन बंडल्स टू रेडूस मल्टीडायमेंशनल पावर्टी नामक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 41.5 करोड़ लोग 2005-06 से 2019-21 के बीच गरीबी से बाहर निकले, यह आज सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा में बताया।

नीति आयोग द्वारा जारी बहुआयामी गरीबी सूचकांक, 2021 की बेसलाइन रिपोर्ट के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय एमपीआई 25.01 प्रतिशत आबादी को बहु-आयामी गरीब के रूप में पहचाना गया है। सिंह ने कहा कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बहु-आयामी गरीबों के रूप में जनसंख्या का 32.75 प्रतिशत और 8.81 प्रतिशत है।

देश में प्राकृतिक गैस के भंडार

अन्वेषण और सर्वेक्षण निरंतर प्रक्रियाएं हैं, तेल और गैस कंपनियों द्वारा अपने परिचालन क्षेत्रों में तेल और गैस की संभावना को लगातार स्थापित करने की कोशिश की जाती है। 01.04.2022 तक पूर्ण किए गए अन्वेषण और सर्वेक्षण के आधार पर, देश का 2पी (सिद्ध + संभावित) गैस भंडार  649.8 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्राकृतिक गैस की कुल खपत 63.91 बीसीएम थी, इस बात की जानकारी आज पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने राज्यसभा में दी।

भूजल में आर्सेनिक का संदूषण

केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) देश भर में विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों और भूजल गुणवत्ता निगरानी से क्षेत्रीय स्तर पर भूजल गुणवत्ता के आंकड़े एकत्र करता है। ये अध्ययन देश के कुछ हिस्सों के अलग-अलग इलाकों में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की अनुमेय सीमा से परे आर्सेनिक की उपस्थिति का संकेत देते हैं। 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 221 जिलों के कुछ जगहों से आर्सेनिक की जानकारी मिली है, यह आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्यसभा में बताया।

टुडू ने बताया कि भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भूजल संदूषण के कारण प्रभावित लोगों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं रखी जाती है। हालांकि, ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी के स्रोतों में संदूषण की निगरानी पेयजल और स्वच्छता विभाग द्वारा आबादी के हिसाब से की जाती है।

देश में पानी की कमी

साल भर में प्रति व्यक्ति पानी की 1700 क्यूबिक मीटर से कम उपलब्धता को जल संकट की स्थिति माना जाता है। "अंतरिक्ष से लिए गए आंकड़ों के आधार पर  भारत में पानी की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन" (सीडब्ल्यूसी, 2019) के अध्ययन के आधार पर, वर्ष 2031 के लिए औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 1367 क्यूबिक मीटर आंकी गई है। इस बात की जानकारी आज जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने राज्यसभा में दी।

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