संसद में आज: सरकार का दावा, 5 साल में 17 से 78 फीसदी पहुंचा हर घर नल

सदन में बिजली की मांग को लेकर दी गई जानकारी में कहा गया कि भारत सरकार ने 2031-32 तक अतिरिक्त न्यूनतम 80 गीगावाट कोयला आधारित क्षमता स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।
देश में उत्पन्न कुल नगरपालिका ठोस अपशिष्ट 1,70,339 टीपीडी था, जिसमें से 1,56, 449 टीपीडी एकत्र किया गया और 91,511 टीपीडी संसाधित या उपचारित किया गया और 41,455 टीपीडी लैंडफिल में डाला गया।
देश में उत्पन्न कुल नगरपालिका ठोस अपशिष्ट 1,70,339 टीपीडी था, जिसमें से 1,56, 449 टीपीडी एकत्र किया गया और 91,511 टीपीडी संसाधित या उपचारित किया गया और 41,455 टीपीडी लैंडफिल में डाला गया।
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देश में जल जीवन मिशन द्वारा ग्रामीण जलापूर्ति

संसद का मॉनसून सत्र जारी है, आज सदन में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में, जल शक्ति राज्य मंत्री वी. सोमन्ना ने राज्यसभा में कहा कि 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा के समय, 3.23 करोड़ (17 फीसदी) ग्रामीण घरों में नल के पानी के कनेक्शन होने की जानकारी दी गई थी। अब तक, जैसा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 31.07.2024 तक दी गई जानकारी के मुताबिक, लगभग 11.80 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण घरों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। इस प्रकार, 31.07.2024 तक, देश के 5.83 लाख गांवों में 19.32 करोड़ ग्रामीण घरों में से, लगभग 5.80 लाख गांवों में फैले 15.03 करोड़ (77.81 फीसदी) से अधिक घरों में नल के पानी की आपूर्ति होने की जानकारी है

भारत में ग्राम विद्युतीकरण कार्यक्रम

आज सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, विद्युत मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में कहा कि प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) (2017-2019) के तहत देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी इच्छुक बिना बिजली वाले घरों और शहरी क्षेत्रों में सभी इच्छुक गरीबों के घरों में बिजली का कनेक्शन दिया गया है। सभी घरों के 100 फीसदी विद्युतीकरण के बारे में राज्यों द्वारा प्रमाण पत्र भी दिए गए। कुछ राज्यों से मिली जानकारी के मुताबिक, वहां अभी भी कुछ घर बिना बिजली के हैं। तदनुसार, 23,29,074 घरों को विद्युतीकृत किया गया। नाइक ने बताया कि सौभाग्य योजना को 2019 में और दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना 2022 में बंद कर दी गई थी।

देश में ताप विद्युत क्षमता का विस्तार

वहीं सदन में पूछे गए एक और प्रश्न के उत्तर में आज, राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में बताया कि साल 2031-32 तक अनुमानित बिजली की मांग को पूरा करने के लिए, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा उत्पादन नियोजन अध्ययन किए गए हैं। अध्ययन के अनुसार, यह परिकल्पना की गई है कि 2032 में देश की आधार भार आवश्यकता को पूरा करने के लिए, आवश्यक कोयला और लिग्नाइट आधारित स्थापित क्षमता 217.5 गीगावाट की वर्तमान स्थापित क्षमता के मुकाबले 283 गीगावाट होगी। इसे ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार 2031-32 तक अतिरिक्त न्यूनतम 80 गीगावाट कोयला आधारित क्षमता स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन

स्वच्छ गंगा मिशन को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को पिछले पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2019-2020 से वित्त वर्ष 2023-24) में तथा नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार के लिए परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए एनएमसीजी द्वारा विभिन्न एजेंसियों को कुल 10,560.84 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है।

देश में कचरे का प्रबंधन

सदन में उठाए गए एक सवाल के जवाब में, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत वर्ष 2021-2022 के लिए 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की दी गई वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में उत्पन्न कुल नगरपालिका ठोस अपशिष्ट 1,70,339 टीपीडी था, जिसमें से 1,56, 449 टीपीडी एकत्र किया गया और 91,511 टीपीडी संसाधित या उपचारित किया गया और 41,455 टीपीडी लैंडफिल में डाला गया।

पंजाब में पर्यावरण क्षरण और प्रदूषण

पंजाब में प्रदूषण को लेकर सदन में पूछे गए एक और प्रश्न के उत्तर में आज, राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि देश में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए, सरकार ने 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) शुरू किया है। सिंह ने कहा उपलब्ध अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों और राष्ट्रीय अध्ययनों को ध्यान में रखते हुए, एनसीएपी के तहत राष्ट्रीय स्तर का संभावित लक्ष्य 2024 तक पार्टिकुलेट मैटर सांद्रता में 20-30 फीसदी की कमी करना है। 2025-26 तक पीएम 10 के स्तर में 40 फीसदी तक की कमी या राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) की उपलब्धि हासिल करने के लिए लक्ष्य को संशोधित किया गया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पांच सालों तक लगातार राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक वाले शहरों की पहचान की है। सिंह ने कहा कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए पंजाब राज्य के नौ शहरों (पटियाला, लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, खन्ना, गोबिंदगढ़, डेराबस्सी, पठानकोट, डेरा बाबा और नया-नंगल) सहित इन सभी शहरों में कार्यान्वयन के लिए शहर विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं तैयार और शुरू की गई हैं।

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