उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम अमेरिका में घट रहे हैं जल भंडार

भूजल के उपयोगकर्ताओं में अमेरिका दुनिया भर के कुल का 31 फीसदी, जबकि भारत 15 और पाकिस्तान 13 फीसदी के साथ सूची में शामिल है
फोटो :संयुक्त राष्ट्र
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उत्तर-पश्चिम भारत, मध्य पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम अमेरिका में तेजी से घट रहे हैं जल भंडार तथा अमेरिका के ऊंचे मैदानों और मध्य घाटी में भी जल भंडारण में कमी आ रही है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन में धरती के मीठे या ताजे पानी की आपूर्ति और उन्हें स्थायी रूप से प्रबंधित करने के लिए रणनीतियों के बारे में बताया गया है।  

ऑस्टिन में टेक्सास विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में सतह और भूजल के बीच संबंधों पर प्रकाश डाला गया है और दोनों के प्रबंधन के लिए अलग-अलग रणनीतियां अपनाने का सुझाव दिया गया है।

जैक्सन स्कूल ऑफ जियोसाइंसेस की एक शोध इकाई यूटी ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक जियोलॉजी के वैज्ञानिक ब्रिजेट स्कैनलॉन ने कहा, "मैं बहुत सारे समाधानों पर जोर देना पसंद करता हूं और उन्हें किस तरह अनुकूलित किया जाए यह अहम है।"

अध्ययन में पृथ्वी की जल आपूर्ति का विश्लेषण करने के लिए उपग्रहों, जलवायु मॉडल, निगरानी नेटवर्क और लगभग 200 वैज्ञानिक पत्रों के आंकड़ों का उपयोग किया गया है। इसमें इस बात का पता लगया गया है कि, पानी विभिन्न क्षेत्रों में कैसे बदल रहा है और इन बदलावों के पीछे के क्या कारण है। 

अध्ययन के अनुसार, लोग मुख्य रूप से सतही जल पर निर्भर हैं। विश्व स्तर पर, यह सिंचाई का 75 फीसदी और नगरपालिका और औद्योगिक आपूर्ति का  सालाना 83 फीसदी है। हालांकि, हम सतह पर जो देखते हैं वह भूजल प्रवाह से जुड़ा हुआ है। अमेरिका में, लगभग 50 फीसदी वार्षिक प्रवाह भूजल के रूप में शुरू होता है। दुनिया भर में सतही जल जो जमीन में रिसता है, वह वार्षिक भूजल आपूर्ति का लगभग 30 फीसदी है।

भूजल के उपयोगकर्ताओं में अमेरिका दुनिया भर के कुल का 31 फीसदी, जबकि भारत 15 फीसदी और पाकिस्तान 13 फीसदी के साथ इसमें शामिल है। अधिकतर भूजल का उपयोग गेहूं, मक्का, चावल, गन्ना, कपास और चारा आदि के लिए किया जाता है।

मानवजनित हस्तक्षेप सतही और भूजल स्रोतों के बीच पानी के आदान-प्रदान को काफी प्रभावित कर सकता है। अमेरिका में लोगों द्वारा पंप किए गए भूजल का लगभग 85 फीसदी सतही जल पर कब्जा  कर लिया जाता है, जिससे धारा प्रवाह में गिरावट आती है। साथ ही, सतही जल से सिंचाई से भूजल पुनर्भरण में वृद्धि हो सकती है क्योंकि सिंचित जल जमीन के माध्यम से जमीन के अंदर वापस चला जाता है।

अध्ययन में सतही जल और भूजल आपूर्ति के बीच इस प्रवाह को प्रभावित करने वाली मानव गतिविधि के कई उदाहरणों का हवाला दिया गया है। उदाहरण के लिए, उत्तर पश्चिमी अमेरिका के कोलंबिया पठार और स्नेक रिवर प्लेन में सतही जल सिंचाई ने 1900 के दशक के मध्य में एक्वीफर्स को रिचार्ज किया, जबकि वैश्विक मॉडल बताते हैं कि भूजल पंपिंग ने धाराओं में जाने वाले पानी की मात्रा को 15 से 21 फीसदी के साथ बहुत कम कर दिया है। कम प्रवाह के कारण वैश्विक वाटरशेड का खतरे में है।

उनके एक दूसरे से जुड़े होने के बावजूद, सतही जल और भूजल को अक्सर अलग-अलग संसाधनों के रूप में नियमित और प्रबंधित किया जाता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, भविष्य में पानी की उपलब्धता इस बात को पहचानने पर निर्भर करता है कि सतही जल और भूजल एक सामना है या नहीं।

अध्ययन प्राकृतिक और इंजीनियर दोनों समाधानों के माध्यम से पानी के प्रबंधन के विभिन्न तरीकों का वर्णन करता है जो पानी की आपूर्ति बढ़ाने, मांग को कम करने, पानी को जमा करने और इसे बहने में मदद कर सकता है। स्कैनलॉन के अनुसार, जलवायु की बढ़ती चरम सीमाओं के अनुकूल होने के सबसे अच्छे  तरीकों में से एक पानी की अधिकता के दौरान इसका भंडारण करना और सूखे के समय में इसका उपयोग करना है।

उन्होंने कहा हम सूखे की मार झेल रहे हैं और बाढ़ से भी जूझ रहे है। हम उन चरम सीमाओं का प्रबंधन करने की कोशिश कर रहे हैं और ऐसा करने का एक तरीका पानी को जमा करना है।

सालाना, दुनिया सतह के जलाशयों में लगभग 7,000-8,300 क्यूबिक किलोमीटर पानी जमा करती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि भूजल आपूर्ति को विकसित करना जारी रखना भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि वे लंबे समय से सूखे के दौरान सतही जलाशयों की तुलना में अधिक लचीले होते हैं।

प्रबंधित भू-जल पुनर्भरण से शहरों को सतह के पानी को इकट्ठा करके और भूमिगत जलभृतों में परिवर्तित करके अपनी भूजल आपूर्ति बढ़ाने में मदद मिल सकती है। दुनिया भर में लगभग 10,000 क्यूबिक किलोमीटर पानी हर साल इस तरह से संग्रहित किया जाता है।

ब्यूरो ऑफ इकोनॉमिक जियोलॉजी के निदेशक स्कॉट टिंकर ने कहा, सतह और भूजल को जोड़ने वाला इस प्रकार का एकीकृत शोध ताजा पानी के उपयोग जैसे मुद्दों के स्थायी समाधान विकसित करने के लिए वास्तव में आवश्यक है। 

मैथ्यू रोडेल, नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एक हाइड्रोलॉजिस्ट ने कहा कि पानी की गुणवत्ता को बनाए रखते हुए पानी की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए शोध परिणामों और संभावित समाधानों का एक उपयोगी जानकारी देता है। उन्होंने कहा, जल संसाधनों का प्रबंधन करने में सक्षम होने के मामले में पानी की गुणवत्ता अगले लक्ष्यों में से एक है। यह अध्ययन नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट नामक पत्रिकामें प्रकाशित किया गया है।

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