रविन्द्र बेनीवाल
वर्षों से पानी के पंप हमारे आवासीय सेटअप का एक अभिन्न हिस्सा साबित हुए हैं। इन शक्तिशाली और कुशल उपकरणों की वजह से जमीन के स्तर से पानी को ऊंची इमारतों की ऊपरी मंजिलों तक ले जाना बिना किसी विशेष मानवीय हस्तक्षेप के संभव हो गया है। भूमिगत स्रोतों से पानी निकालने और इसे ओवरहेड टैंक में स्थानांतरित करने के लिए पानी के पंपों का उपयोग ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहा है। एक कुशल पानी का पंप खरीदना न केवल आपको अधिक दक्षता और अच्छा प्रदर्शन प्राप्त करने में मदद कर सकता है, बल्कि ऊर्जा की बचत भी कर सकता है और लागत को कम कर सकता है।
हालांकि यदि आप देश के मेट्रो शहरों में से एक के निवासी हैं, तो यह संभावना है कि आपके परिवार के सदस्यों में से एक ने कभी न कभी भूजल टैंक या छत पर टैंक को भरने के लिए पानी के पंप को बार-बार चालू करने और बंद करने में काफी मशक्क़त की है। और इससे भी बदतर यह है कि जब घर में पानी नहीं होता है क्योंकि या तो पंप इसे पर्याप्त दबाव के साथ नहीं उठा सकता है या पानी चढ़ाते समय खराब हो सकता है।
परन्तु इतने व्यापक उपयोग के बावजूद जब आप एक पम्प खरीदने के लिए बाजार में जाते हैं तो भ्रमित हो जाते हैं कि कौन सा पंप खरीदें क्योंकि बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं। आईए आपको बताते हैं कि कैसे बीआईएस मानक आपको अधिक दक्षता और विश्वसनीय प्रदर्शन प्रदान करने के साथ ऊर्जा-बचत और लागत में कटौती के लिए एक सही पम्प चुनने में मदद कर सकते हैं।
आपने बाजार में पम्प खोजते समय कुछ कंपनियों के पम्प के ऊपर ‘आई.एस.आई’ मार्क को जरूर देखा होगा । आई.एस.आई मार्क प्रमाणित करता है कि कोई भी उत्पाद भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस) द्वारा विकसित एक भारतीय मानक (आई.एस) के अनुरूप है।
भारतीय मानक ब्यूरो, भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है जो उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में काम करता है। भारतीय मानकों का गठन ब्यूरो की प्रमुख गतिविधियों में से एक है। विषयों के विशिष्ट समूह के लिए विशेषज्ञ तकनीकी समितियों के माध्यम से भारतीय मानक तैयार किए जाते हैं। समिति की संरचना इस प्रकार तैयार की गई है कि किसी विशेष क्षेत्र में पर्याप्त रुचि रखने वाले सभी लोगों को एक साथ लाया जाए, ताकि मानकों को निर्माताओं, उपयोगकर्ताओं, प्रौद्योगिकीविदों और नियामकों जैसे प्रासंगिक हितधारकों के बीच हितों के संतुलन को ध्यान में रखते हुए व्यापक परामर्श की एक प्रक्रिया के माध्यम से विकसित किया जाए । एक नीति के रूप में, बीआईएस के मानकों के निर्माण की गतिविधि का अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आई.एस.ओ) / अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोटेक्निकल कमीशन (आई.ई.सी) द्वारा निर्धारित प्रासंगिक मानकों के साथ यथासंभव सामंजस्य स्थापित किया गया है।
भारतीय मानक IS 8472:2019 (स्वच्छ , शीतल जल के लिए अपकेंद्री पुनर्योजी पम्पों की विशिष्टि), घरेलू जल आपूर्ति के लिए उपयुक्त पंप के लिए तकनीकी आवश्यकताओं को निर्दिष्ट करता है। सही पंप तय करने में मुख्य कारक निम्नानुसार हैं-
निर्माण सामग्री: विभिन्न उद्देश्यों, जैसे थर्मल संरक्षण, अर्थिंग आवश्यकताओं, संलग्नक के प्रकार और शीतलन की विधि के लिए निर्माण की कई प्रकार की सामग्री स्पष्ट, ठंडे पानी से निपटने वाले पंपों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपलब्ध हैं। निर्माताओं और उपयोगकर्ताओं के मार्गदर्शन के लिए IS 8472:2019 में विशिष्ट सामग्रियों का प्रावधान किया गया है।
अधिकतम हेड लिफ्ट: यह पानी के स्रोत से गंतव्य या जल निकासी बिंदु तक की कुल ऊंचाई है। यह पानी को निर्धारित दूरी पर ले जाने की शक्ति प्रदान करता है।
प्रवाह (डिस्चार्ज) : पंप का प्रवाह इकाई समय में पंप द्वारा पानी की प्रयोग करने योग्य मात्रा है। इसे आमतौर पर अक्षर Q से दर्शाया जाता है और इसे यूनिट मीटर क्यूब प्रति सेकंड (m3/s) में मापा जाता है।
शक्ति (पावर इनपुट) : किसी द्रव में दी गई शक्ति प्रति इकाई आयतन में द्रव की ऊर्जा को बढ़ाती है। इस प्रकार, शक्ति पंप तंत्र की यांत्रिक ऊर्जा और पंप के अंदर मौजूद द्रव तत्वों के रूपांतरण पर निर्भर करती है।
दक्षता: पंप सेट वर्षों तक चलता है और लगभग हर दिन उपयोग में रहता है। एक पंप के लिए जो आधा या एक किलोवाट की क्षमता का है, बिजली की खपत काफी ज्यादा हो सकती है। एक पंप की दक्षता पानी की आपूर्ति की शक्ति और पंप द्वारा अवशोषित शक्ति के बीच का अनुपात है; यह विद्युत मोटर द्वारा हस्तांतरित यांत्रिक शक्ति है। कम बिजली की खपत के साथ उच्च जल उत्पादन के मामले में उच्च दक्षता बेहतर मानी जाती है।
ड्यूटी प्वाइंट: ड्यूटी पॉइंट, पंप प्रदर्शन ग्राफ (प्रवाह और उत्पन्न हेड के बीच) और सिस्टम की विशेषताओं (प्रवाह के रूप में दबाव हानि) के बीच का प्रतिच्छेदन बिंदु है।
पंप के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले कारकों का मूल्यांकन करने के लिए IS 8472:2019 निम्नलिखित विनिर्देशों और परीक्षण मापदंडों को निर्धारित करता है-
हाइड्रोस्टैटिक टेस्ट यह निर्धारित करता है कि क्या पंप ड्यूटी प्वाइंट पर निर्दिष्ट समय के लिए शट-ऑफ़ दबाव का सामना करने के लिए मजबूत निर्माण से बना है। यूनिट शुरू करने और निर्माता द्वारा घोषित समय के खिलाफ प्रवाह पाइप के माध्यम से एक निरंतर प्रवाह प्राप्त करने के लिए आवश्यक समय के बीच कुल बीता समय को नोट करने के लिए सेल्फ-प्राइमिंग टेस्ट किया जाता है। रेटेड वोल्टेज और आपूर्ति आवृत्ति के साथ ऑपरेटिंग हेड रेंज में अधिकतम तापमान-वृद्धि परीक्षण किया जाता है। । तापमान वृद्धि का कम होना पंप के बेहतर प्रदर्शन के लिए अच्छा है। इसके अलावा पंपों को निर्माता द्वारा सामग्री और कारीगरी में दोषों के खिलाफ और प्रवाह के उनके प्रदर्शन के लिए ड्यूटी प्वाइंट पर कुल हेड और इनपुट पावर की गारंटी दी जाती है । IS 8472:2019 वास्तविक पंप प्रदर्शन ग्राफ के लिए निर्धारित करता है कि ड्यूटी प्वाइंट पर निर्माता द्वारा घोषित अधिकतम हेड लिफ्ट, प्रवाह और बिजली इनपुट पूरी की गई है या नहीं।
इसलिए एक जागरूक उपभोक्ता के रूप में आपको पता होना चाहिए कि निर्माता ने सभी प्रासंगिक मापदंडों जैसे कि रेटेड ड्यूटी पॉइंट, ऑपरेशनल हेड रेंज, मोटर रेटिंग पर रेटेड गति, कुल हेड, प्रवाह और पावर इनपुट इत्यादि को स्पष्ट रूप से इंगित किया है और पंप IS 8472:2019 में निर्दिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करता है। अतः अगली बार जब आप एक पंप खरीदने की योजना बनाते हैं, तो ‘आई.एस.आई मार्क’ की तलाश करना न भूलें, ताकि आपको अपने पंप के बारे में दोबारा कभी परेशान न होना पड़े।
(लेखक भारतीय मानक ब्यूरो, उपभोक्ता मामले मंत्रालय, भारत सरकार में वैज्ञानिक हैं)