विश्व बैंक के एक्सक्यूटिव बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने 28 मार्च 2023 को कर्नाटक के लिए 2,983 करोड़ रुपए (36.3 करोड़ डॉलर) के ऋण के लिए मंजूरी दे दी है। यह कर्ज कर्नाटक के 20 लाख ग्रामीण परिवारों को नल के जरिए साफ पानी मुहैया कराने के लिए दिया गया है।
कर्नाटक का करीब 77 फीसदी हिस्सा शुष्क या अर्ध-शुष्क है। ऊपर से जलवायु परिवर्तन के चलते बारिश में होते बदलाव से राज्य कभी सूखा तो कभी बाढ़ की चपेट में है। वहीं भूजल की कमी और पानी की बिगड़ती गुणवत्ता जल संकट को बढ़ा रही है।
यदि भारत सरकार के जल जीवन मिशन के डेशबोर्ड को देखें तो कर्नाटक में एक करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घर हैं, उनमें से 66.5 फीसदी घरों तक नल जल की सुविधा पहुंच चुकी है। मतलब की 33.5 फीसदी परिवार अभी भी इससे वंचित है।
ऐसे में इन घरों तक साफ पानी पहुंचाना ही कर्नाटक सतत ग्रामीण जल आपूर्ति कार्यक्रम का लक्ष्य है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह ऋण सरकार की इसी महत्वाकांक्षी योजना की मदद करेगा। इसमें पानी के वितरण के लिए नेटवर्क का निर्माण और ग्रामीण घरों में पानी के मीटर लगाना शामिल होगा। वर्ल्ड बैंक का कहना है कि इससे राज्य के सभी 31 जिलों में करीब एक करोड़ लोगों को फायदा पहुंचेगा।
अभी भी नल जल से वंचित है कर्नाटक में 33.5 फीसदी ग्रामीण परिवार
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर अगस्टे तानो कौमे का इस बारे में कहना है कि "भारत ने हर ग्रामीण घर तक नल जल पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है इसमें लैंगिक समानता का समर्थन करना हमारा मुख्य मकसद है।"
उनके अनुसार मुख्य रूप से यह कार्यक्रम स्थानीय ग्रामीण सरकारों की क्षमता में इजाफा करेगा जिससे वो कुशलतापूर्वक जल आपूर्ति सेवाओं का प्रबंधन कर सकें। इसका विशेष रूप से महिलाओं को सीधा लाभ होगा, क्योंकि वो पानी लाने का सबसे ज्यादा बोझ ढोती हैं। इससे उनके स्वास्थ्य को फायदा होगा। साथ ही शिक्षा और नौकरियों के अवसर तलाशने के लिए पहले से कहीं ज्यादा समय होगा।
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक यह सही है कि पिछले कुछ दशकों में कर्नाटक ने ग्रामीण जल आपूर्ति के क्षेत्र में प्रगति की है, लेकिन स्थानीय और ग्राम स्तर पर अभी भी पर्याप्त क्षमता के आभाव में इसमें दिक्कतें आ रही हैं।
ऐसे में इससे निपटने के लिए विश्व बैंक द्वारा चलाया जा रहा यह कार्यक्रम, राज्य सरकार को नीति और परिणाम-आधारित पहलों को शुरू करने में सहायता करेगा। इससे ग्रामीण जल आपूर्ति सेवाओं के वितरण में सुधार की उम्मीद है। इसके अलावा कार्यक्रम के तहत, पानी की कमी से जूझ रहे 7 जिलों में करीब 500 ग्रामीण जलाशयों को बहाल किया जाएगा। इससे न केवल जल भंडारण क्षमता में इजाफा होगा, साथ ही भूजल को रिचार्ज करने में भी मदद मिलेगी।
इस बारे में टास्क टीम के लीडर्स क्रिस्टोफर वेलसियन और मरिअप्पा कुलप्पा ने कहा कि, "इस कार्यक्रम के माध्यम से, विश्व बैंक और कर्नाटक सरकार राज्य में कम से कम 500 ग्राम पंचायतों में हर दिन चौबीसों घंटे जल सेवा उपलब्ध कराएगा।"
साथ ही इस कर्ज की मदद से ग्रामीण जल सेवा के वितरण के लिए एक उन्नत क्षेत्र निगरानी प्रणाली विकसित की जाएगी। यह कार्यक्रम करीब 3,000 ग्रामीण महिलाओं को प्लंबर के रूप में कार्य करने के लिए नौकरी के साथ प्रशिक्षण प्रदान करेगा। इंटरनेशनल बैंक ऑफ रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से लिया गया यह कर्ज 13.5 वर्षों के लिए दिया गया है, जिसमें दो वर्षों की अनुग्रह अवधि भी शामिल है।
एक डॉलर = 82.18 भारतीय रुपए