फाइल फोटो
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भूजल संकट: कृषि में 87% भूजल उपयोग, 2024 में निकासी बढ़ी

भारत में भूजल का दोहन 2024 में 2023 के मुकाबले बढ़ा है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव में भूजल निकासी की स्टेज 100 प्रतिशत से अधिक है, यानी पुनर्भरण से अधिक पानी निकाला जा रहा है
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केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की “नेशनल कंपाइलेशन ऑन डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स इन इंडिया” 2024 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2024 में भूजल निकासी की औसत चरण 60.47 प्रतिशत था जो 2023 के 59.26 प्रतिशत से अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में कुल 245.64 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) भूजल निकासी हुई जबकि 2023 में यह 241.34 बीसीएम था।

भूजल निकासी का आकलन लघु सिंचाई गणना के आंकड़ों और राज्य भूजल विभागों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों को ध्यान में रखकर किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि क्षेत्र भूजल संसाधनों का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो कुल वार्षिक भूजल निष्कर्षण का 87 प्रतिशत (213.29 बीसीएम) खपाता है। घरेलू उपयोग 11 प्रतिशत (28.07 बीसीएम) है, जबकि औद्योगिक उपयोग देश के कुल वार्षिक भूजल निष्कर्षण का 2 प्रतिशत (4.28 बीसीएम) है।

स्रोत: नेशनल कंपाइलेशन ऑन डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स इन इंडिया 2024 रिपोर्ट
स्रोत: नेशनल कंपाइलेशन ऑन डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स इन इंडिया 2024 रिपोर्ट

अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, गोवा, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, अंडमान और निकोबार, चंडीगढ़, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, लक्षद्वीप राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में घरेलू उपयोग के लिए भूजल निष्कर्षण 40 प्रतिशत से अधिक है। कुल भूजल निकासी का औसत चरण अधिक होने का साफ मतलब है कि उपलब्ध भूजल का अधिक दोहन हो रहा है। इस मामले में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, दादरा एवं नगर हवेली और दमन व दीव की हालत सबसे खराब है। यह राज्य व केंद्र शासित प्रदेश 100 प्रतिशत से अधिक भूजल का दोहन कर रहे हैं और देश का औसत बिगाड़ने में इनकी सबसे बड़ी भूमिका है।

वर्तमान आकलन में देश में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 446.90 बीसीएम आंका गया है। प्राकृतिक डिस्चार्ज को ध्यान में रखते हुए वार्षिक निष्कर्षण योग्य भूजल 406.19 बीसीएम आंका गया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल 6,746 मूल्यांकन इकाइयों (ब्लॉक/मंडल/तालुका) में से विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 751 इकाइयों (11.13 प्रतिशत) को “अति-शोषित” के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो दर्शाता है कि भूजल निष्कर्षण वार्षिक पुनर्भरण से अधिक है। देश की 206 (3.05 प्रतिशत) मूल्यांकन इकाइयों में भूजल निष्कर्षण का चरण 90-100 प्रतिशत के बीच है और उन्हें “गंभीर” के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 711 (10.54 प्रतिशत) “अर्द्ध -महत्वपूर्ण” इकाइयां हैं, जहां भूजल निष्कर्षण का स्तर 70 से 90 प्रतिशत के बीच है और 4,951 (73.39 प्रतिशत) “सुरक्षित” इकाइयां हैं, जहां भूजल निष्कर्षण का स्तर 70 प्रतिशत से कम है।

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