केरल में झीलों की सफाई का जिम्मा संभालेंगी ग्राम पंचायत, पायलट प्रोजेक्ट पर काम जल्द

केरल के अलप्पुझा जिले की वेम्बनाड झील की सफाई जनवरी 2025 में ग्राम पंचायतों के माध्यम से शुरू होगा
फाइल फोटोः सीएसई
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केरल की प्लास्टिक से भरी झीलों की सफाई में ग्राम पंचायतों की भूमिका अहम होगी। इसके लिए सबसे पहले राज्य के अलप्पुझा जिले की वेम्बनाड झील का चुनाव किया गया है। यह कार्य जनवरी 2025 से शुरू किया जाएगा।

इस अभियान के अंतर्गत झील का पूरी तरह से कायाकल्प किया जाएगा। ध्यान रहे कि वेम्बनाड झील भारत की दूसरी सबसे बड़ी आर्द्रभूमि प्रणालियों में से एक है।

झील की सफाई के शुरुआती चरण में झील के 10 प्रमुख ऐसे हॉटस्पॉट की पहचान की जाएगी जहां सबसे अधिक प्लास्टिक कचरा जमा है। इसके बाद तेजी से इस सफाई अभियान को आगे बढृ़ाया जाएगा।

झील के आसपास बसे तमाम गांवों की ग्राम पंचायतों को इस सफाई अभियान में चरणबद्ध तरीके से सफाई गतिविधियों को कार्यरूप देने में शामिल किया जाएगा। ध्यान रहे कि इस अभियान में स्थानीय स्वशासन संस्थाओं, मछुआरा समुदाय, स्वैच्छिक संगठनों, हरिता केरलम मिशन, कुदुम्बश्री सदस्यों, हरिता कर्म सेना, भूतपूर्व सैनिकों, पर्यावरणविदों और छात्रों की सक्रिय भागीदारी भी रहेगी।

प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने के अलावा, झीलों में उगी जलकुंभी और अन्य जलीय खरपतवारों से मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने के लिए एक परियोजना शुरू करने की योजना भी बनाई जा रही है। झील की सफाई के बाद यहां बायो-शील्ड की स्थापना, वेम्बनाड झील व्याख्या केंद्र और मछली के बीज का भंडारण करना भी शामिल है। इसके अलावा झील के संरक्षण के महत्व पर स्थानीय मछुआरों, हाउसबोट कर्मचारियों-मालिकों के लिए एक अलग से जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

ध्यान रहे कि झीलों के कार्याकल्प योजना का विचार राज्य सरकार को तब आया जब गत वर्ष केरल मत्स्य पालन और महासागर अध्ययन विवि के जलीय संसाधन प्रबंधन और संरक्षण विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन में बताया गया कि वेम्बनाड आर्दभूमि प्रणाली धीरे-धीरे अत्याधिक क्षीण, निष्क्रय और कमजोर होती जा रही है।

उक्त अध्ययन में कहा गया था कि झील की खराब स्थिति अकेले अलपुझा जिला ही नहीं बल्कि इसके आसपास के तीन और जिलों (पथानामथिट्टा, कोट्टायम और एर्नाकुलम जिलों) में रहने वाले लगभग 80 लाख लोगों के जीवन और आजीविका भी प्रभावित हो रही है। अध्ययन में बताया गया है कि इस जल निकाय की जल धारण क्षमता 85.3 प्रतिशत तक कम हो गई है।

यह बहुत भयावह स्थिति है। इस पर शीघ्र ही काबू पाया जाना जरूरी है। 1990 में जहां इस झील की क्षमता 2,617.5 मिलियन क्यूबिक मीटर थी, वहीं यह क्षमता 2020 में घटकर 384.66 मिलियन क्यूबिक मीटर ही रह गई है।

वेम्बनाड झील केरल की सबसे बड़ी झील है। राज्य में बड़ी झीलों की संख्या कुल आठ है। इसके चलते इस राज्य को झीलों की भूमि भी कहा जाता है। राज्य की अधिकांश झीलों का एक बड़ा हिस्सा लोगों के पेयजल और सिंचाई के कार्य में लाया जाता है। यही कारण है कि इनकी सफाई भी राज्य सरकार के अहम कामों में शुमार है।

ध्यान रहे कि वर्तमान समय को यदि प्लास्टिक युग की संज्ञा दें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। 1950 में प्लास्टिक का उत्पादन 1.5 टन के आसपास होता था। यह प्रतिवर्ष आठ प्रतिशत की वृद्धि दर से लगातार बढ़ रहा है।

हालांकि गत एक दिसंबर 2024 को पलास्टिक प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी दस्तावेज पर सहमति बनाने के लिए दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में संयुक्त राष्ट के 170 से अधिक सदस्य देशों के प्रतिनिधियों, 440 से अधिक पर्यवेक्षक संगठनों सहित 3,300 से अधिक आम लोगों ने भाग लिया।

कई दौर की बातचीत के बाद इस बात पर सहमति बनी कि यह बातचीत का दौर 2025 में भी जारी रहेगी। इस बैठक में केवल प्लास्टिक के पूरे जीवन चक्र पर ध्यान केंद्रित करने के प्रयास पर ही सहमति बन सकी। सहमति में अभी एक कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि के जरिए प्लास्टिक के उत्पादन, डिजाइन और उसके निपटान के लिए उचित समाधान की तलाश किया जाना बाकी है। लेकिन ये देश रीसाइक्लिंग और प्लास्टिक के पुन: उपयोग को यह कह कर खारिज कर रहे हैं कि इस प्रकार की स्थिति में सुधार लाने के लिए उक्त प्रकार के उपाय सही नहीं हैं।

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