सरकार ने जलदूत ऐप किया लॉन्च, बताएगा देश में कुओं के जल स्तर का हाल

यह ऐप ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर के सटीक आंकड़ों को एकत्र करेगा। इन आंकड़ों की मदद से सरकार भूजल के स्तर को बेहतर बनाने के लिए काम करेगी
सरकार ने जलदूत ऐप किया लॉन्च, बताएगा देश में कुओं के जल स्तर का हाल
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सरकार ने आज जलदूत ऐप लॉन्च कर दिया है जो देश भर में गिरते भूजल के स्तर की समस्या से निपटने में मदद करेगा। इसका मकसद देश के गांवों में गिरते जलस्तर का पता लगाना है, जिससे पानी की समस्या को दूर किया जा सके।

इस ऐप को ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पंचायती राज मंत्रालय के साथ मिलकर संयुक्त रूप से विकसित किया इसे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में चुने हुए कुंओं के जलस्तर का पता लगाने के लिए विकसित किया गया है। यह ऐप ग्रामीण क्षेत्रों में भूजल स्तर के सटीक आंकड़ों को एकत्र करेगा। इन आंकड़ों की मदद से सरकार भूजल के स्तर को बेहतर बनाने के लिए काम करेगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही अनेक योजनाओं को सुचारू रूप से लागू करने के लिए इन आंकड़ों का उपयोग करेगी।

सरकार ने जानकारी दी है कि इस ऐप की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित कुओं के जलस्तर की मैनुअल निगरानी की जाएगी। इनके जलस्तर को वर्ष में दो बार मापा जाएगा। पहले 1 से 31 मई के बीच प्री-मानसून सीजन में जल स्तर को मापा जाएगा उसके बाद 1 से 31 अक्टूबर के बीच उसी कुएं के जलस्तर को दोबारा मानसून के बाद मापा जाएगा, जिससे जलस्तर में आए बदलावों का पता चल सके।

क्या हैं इस जलदूत ऐप के फायदे

इतना ही नहीं एक जलदूत जोकि जलस्तर को मापने के लिए नियुक्त अधिकारी होगा वो माप के हर अवसर पर ऐप के माध्यम से कुएं की जियो-टैग की गई तस्वीरें इस ऐप के माध्यम से अपलोड करेगा। जानकारी मिली है कि यह मोबाइल ऐप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम करेगा।

मतलब की इंटरनेट कनेक्टिविटी न होने पर भी इसकी मदद से जल स्तर को कैप्चर किया जा सकता है और कैप्चर की गई तारीख मोबाइल में स्टोर हो जाएगी। जब भी मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी क्षेत्र में आएगा, तो डेटा सेंट्रल सर्वर के शेयर हो जाएगा।

जलदूत द्वारा इनपुट किए जाने वाले नियमित आंकड़ों को राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र (एनडब्ल्यूआईसी) के डेटाबेस के साथ जोड़ा जाएगा, जिसका इसका उपयोग रिपोर्टों के विश्लेषण और प्रदर्शन के लिए किया जा सके। इस मापी गई जल स्तर की रिपोर्ट जलदूत वेब पोर्टल पर भी उपलब्ध होंगी।

इस ऐप लॉन्च कार्यक्रम में सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री, फग्गन सिंह कुलस्ते ने जानकारी दी है कि तमाम प्रयासों के बावजूद देश के विभिन्न हिस्सों में भूजल का स्तर गिर रहा है। ऐसे में यह ऐप देश भर में जलस्तर को मापने की सुविधा प्रदान करेगा और उसके आंकड़ों का उपयोग ग्राम पंचायत विकास योजना और महात्मा गांधी नरेगा योजनाओं में किया जा सकता है।

देखा जाए तो देश के कई हिस्सों में जलस्तर गंभीर रूप से गिर गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी “वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2022” से पता चला है कि भूजल की सबसे ज्यादा निकासी करने वाले 10 देशों में भारत भी शामिल है।

तेजी से गिर रहा है देश में भूजल का स्तर

पता चला है कि भारत में हर साल करीब 251 घन किलोमीटर भूजल निकाला जा रहा है, जबकि अमेरिका में यह आंकड़ा 111.7 घन किमी प्रति वर्ष, चीन 112 घन किमी प्रति वर्ष और पाकिस्तान 64.8 घन किमी प्रति वर्ष है। देखा जाए तो भारत के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि यहां भूजल का उपयोग सबसे अधिक होने के बावजूद उसके रिचार्ज पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिससे देश में भूजल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है।

केंद्रीय भूजल आयोग द्वारा जून 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट “डायनमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स ऑफ इंडिया, 2020” के हवाले से पता चला है कि देश में कुल वार्षिक भूजल रिचार्ज 436.15 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) था, जबकि दूसरी तरफ सालाना भूजल निकासी बढ़कर 244.92 बीसीएम हो गई है। मतलब की जितना पानी जमीन सोख रही है उसका करीब 62 फीसदी दोबारा जमीन से वापस ले लिया गया है।

इतना ही नहीं यह आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है। वहीं देश के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में भूजल दोहन का यह हिस्सा 100 फीसदी से ज्यादा हो गया है। ऐसे में इसके गिरते स्तर के लिए निरंतर निगरानी अत्यंत जरूरी है, जिससे इसके गिरते स्तर को रोका जा सके।

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