देर से ही सही पर मॉनसून देश के ज्यादातर हिस्सों में पहुंच गया है। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि मॉनसून की बारिश बेहद कम दर्ज की गई है।
जुलाई के महीने में आमतौर पर मॉनसून की एक तिहाई बारिश होती है, लेकिन 7 जुलाई तक 21 प्रतिशत कम बारिश हुई। जुलाई में कम बारिश को मॉनसून की संपूर्ण बारिश में कमी और गंभीर सूखे से जोड़ा जाता है।
सूखे के ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश का 42 प्रतिशत से अधिक हिस्सा असामान्य सूखे से लेकर असाधारण सूखे की स्थितियों से जूझ रहा है। ड्राउट अर्ली वार्मिंन सिस्टम (डीईडब्ल्यूएस) के मुताबिक, इसमें से 17.31 प्रतिशत क्षेत्र में गंभीर से असाधारण सूखे के हालात हैं। डीईडब्ल्यूएस सूखे की रियल टाइम मॉनिटरिंग करता है।
सूखे के वर्तमान हालात पिछले साल से बुरे हैं। पिछले साल इसी समय 8.82 प्रतिशत क्षेत्र गंभीर से असाधारण सूखे की चपेट में था, जबकि 35.18 प्रतिशत क्षेत्र सूखे का सामना कर रहा था।
डीईडब्ल्यूएस के अनुसार, पिछले साल 7 जुलाई तक केवल 1.13 प्रतिशत क्षेत्र असाधारण सूखे से गुजर रहा था। यह बढ़कर 6.43 प्रतिशत हो गया है।
जून में भी मॉनसून की स्थिति बेहद खराब थी। जून का महीना पिछले 65 सालों में दूसरा सबसे सूखा महीना था, जब प्री मॉनसून बारिश नहीं हुई। माना जा रहा था कि जुलाई में स्थितियां बेहतर होंगी लेकिन अब तक के हालात निराश करने वाले हैं। जुलाई में सूखे की स्थितियों में मामूली सुधार ही हुआ है। 28 जून को 45.18 प्रतिशत क्षेत्र सूखे की स्थिति का सामना कर रहा था, जो 5 जुलाई को घटकर 42.92 प्रतिशत हो गया।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 1 से 7 जुलाई के बीच 20 राज्यों में कम बारिश हुई है और तीन राज्यों में भारी कमी दर्ज की गई है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी ने आईएमडी के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद पाया है कि जुलाई में कम बारिश के कारण भारत में 1877 से 2005 के बीच 6 बार भयंकर सूखा पड़ा है।
आशंका है कि अगर बारिश में कमी आगे भी जारी रहती है तो जून में सूखे के हालात से गुजर रहा 44 प्रतिशत क्षेत्र अगले 24 महीनों में गंभीर सूखे की चपेट में आ सकता है।