कॉप-26: गंभीर रूप से पानी की कमी से जूझ रहा है हर तीसरा बच्चा

संयुक्त राष्ट्र संघों ने जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रेड कोड किया, जो समग्र विकास की अवधारणा पर सवाल खड़े करता है
कॉप-26: गंभीर रूप से पानी की कमी से जूझ रहा है हर तीसरा बच्चा
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ग्लासगो में यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप-26) से दो दिन पहले, संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों ने देशों से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में पानी को एक अभिन्न अंग बनाने की अपील जारी की है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ), आईएफएडी, यूनेस्को, यूनिसेफ, यूएनईपी, संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय, यूएनईसीई और (जीडब्ल्यूपी) जैसी संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने देशों के प्रमुखों को संबोधित एक पत्र में कहा गया है, "जलवायु परिवर्तन के कारण पानी पर पड़ रहे असर पर बात करने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि पानी की वजह से लोग ही नहीं, बल्कि पूरी पृथ्वी प्रभावित हो रही है।"

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने यूनिसेफ की एक पूर्व रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि पानी की कमी की वजह से दुनिया के एक तिहाई से अधिक बच्चों की आबादी प्रभावित हो रही है। "यूएन वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2020" में इस बात पर जोर दिया गया है कि जलवायु का पानी से सीधा संबंध है और इसे जलवायु परिवर्तन (पेरिस समझौता), सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) और आपदा के जोखिम कम करने (सेंडाई फ्रेमवर्क) में सहयोग ओर समन्वय की जरूरत है।

सतत विकास लक्ष्य 6 का उद्देश्य "सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और सतत प्रबंधन सुनिश्चित करना" है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अन्य क्षेत्रों की तरह जल क्षेत्र पर भी पड़ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने मांग की है कि सभी देशों को जलवायु परिवर्तन को रोकने या अनुकूल बनाने के साथ-साथ पानी की कमी को दूर करने के लिए प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए। जैसा कि सतत विकास लक्ष्य 6 में भी कहा गया है, जिस पर सभी राष्ट्र सहमत भी है। सतत विकास लक्ष्य 6 में पानी की उपलब्धता, टिकाऊ प्रबंधन सुनिश्चित करना और सभी के लिए स्वच्छ पानी की बात कही गई है।

एजेंसियों ने कहा है कि सभी देशों को जलवायु एजेंडा और पानी को एकीकृत करना चाहिए और अपने अपने देशों में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर बनाए गए जलवायु एजेंडा में पानी को भी शामिल करना चाहिए। इसे सात जरूरी प्राथमिकताओं में शामिल करना चाहिए। 

चूंकि देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम संबंधी आपदाएं बहुत आ रही हैं। इसलिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली जैसे मौसम संबंधी बुनियादी ढांचे की कमी आपदाओं से होने वाले नुकसान को बढ़ा देती हैं।
एजेंसियों के इस पत्र में सुझाव दिया गया है कि ऐसे ठोस इंतजाम किए जाएं, जिससे पानी से संबंधित आपदाओं के बारे में समय से चेतावनी जारी की जा सके और इसे सात प्राथमिकताओं में शामिल किया जाए।

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