उमेश कुमार राय
राज्य में पेयजल की किल्लत को देखते हुए बिहार सरकार ने जल संरक्षण विधेयक (वाटर कंजर्वेशन बिल) लाने का निर्णय लिया है। पिछले दिनों इस विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लघु जल संसाधन विभाग के आला अफसरों के साथ बैठक हुई, जिसमें इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।
बताया जा रहा है कि यह विधेयक मानसून सत्र में पेश किया जा सकता है। लेकिन, इस विधेयक पर काम करने वाले अधिकारियों का कहना है कि अभी इस पर और गहराई से काम होना बाकी है। अधिकारियों की मानें, तो दिसंबर में यह बिल पेश किया जाएगा।
लघु संसाधन विभाग के प्रधान सचिव केके पाठक ने डाउट टू अर्थ को बताया कि इस विधेयक में पानी के संरक्षण पर जोर रहेगा। उन्होंने कहा, ‘इस विधेयक में लोगों को पानी के संरक्षण को लेकर जागरूक करने पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा। हम लोगों को बताएंगे कि कैसे पानी का समुचित इस्तेमाल करना और कैसे बचाना है।’
इस विधेयक में ट्यूबवेल लगाने के लिए कड़े नियम बनाये जाएंगे ताकि जहां-तहां इसे लगाकर भू जल की बर्बादी रोकी जा सके क्योंकि बिहार में बेतहाशा ट्यूबवेल लगे हैं, जिससे कई इलाकों में पीने के पानी की घोर किल्लत हो रही है।
केके पाठक ने कहा, ‘अभी जिसे जहां मन करता है, वो वहीं ट्यूबवेल लगा देता है। जल संरक्षण विधेयक पारित हो जाने पर ऐसा नहीं होगा। इसके लिए नियम बनाये जाएंगे। चापाकल भी कहां और कैसे लगाया जाना है, विधेयक में इस पर भी ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा बारिश के पानी के संचयन पर भी जोर रहेगा ताकि बारिश के पानी को बचाया जा सके।’
लघु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अभी इस बिल को लेकर प्राथमिक बैठक हुई है। जल्द ही इसको लेकर एक कमेटी बनाई जाएगी, जो बिल के तमाम पहलुओं पर विस्तृत चर्चा करेगी।
गौरतलब हो कि पिछले कई सालों से बिहार में बारिश सामान्य से कम हो रही है जिस कारण अक्सर सूखे के हालात बन जाते हैं। पिछले साल बिहार सरकार ने राज्य के 24 जिलों के 275 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया था। सूखा पड़ने से बुआई भी कम हुई थी।
अव्वल तो बिहार में बारिश कम हो रही है और उस पर भूगर्भ जल का बेतरतीबी से दोहन हो रहा है, जिससे भूगर्भ जलस्तर काफी नीचे चला गया है। कई इलाके तो ऐसे भी हैं, जहां भूगर्भ जलस्तर 100 फीटे से भी नीचे चला गया है। इन इलाकों में सरकार की तरफ से टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है।
जानकारों का कहना है कि अगर जल संरक्षण विधेयक पास हो जाए और उसके प्रावधानों को कड़ाई से अमल में लाया जाए, तो बिहार में पानी का संकट काफी हद तक कम हो सकता है।