एशियाई देशों में 94% भूजल आर्सेनिक से दूषित

वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए नक्शे से पता चला है कि दुनिया भर में 22 करोड़ लोगों को आर्सेनिक के खतरनाक स्तर तक दूषित पानी पीने से जान का खतरा हो सकता है
Photo: Wikimedia commons
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वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वैश्विक मानचित्र बनाया है जो उन क्षेत्रों पर प्रकाश डालता है जहां भूजल में आर्सेनिक के खतरनाक स्तर तक होने की आशंका है। इस काम को स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ एक्वाटिक साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है। जोएल पोडगॉर्स्की और माइकल बर्ग ने वैश्विक मानचित्र पर आर्सेनिक के हॉट स्पॉट को उजागर किया है। ऐसा करने के लिए उन्होंने प्रशिक्षित मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को विभिन्न डेटा स्रोतों से जोड़ा है। यह शोध साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। 

आमतौर पर आर्सेनिक को एक प्रकार के जहर के रूप में जाना जाता है, यह एक (मेटलॉइड) उपधातु है, जिसका सेवन करने पर गंभीर चिकित्सा समस्याएं हो सकती हैं यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है। यह एक रासायनिक तत्व भी है जो आमतौर पर मिट्टी और चट्टानों में पाया जाता है। कुछ परिस्थितियों में आर्सेनिक भूजल तक अपना रास्ता बना लेता है और पानी में मिल जाता है। जहां इसे लोगों को खतरे से बचाने के लिए पानी से अलग किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों को अर्जेंटीना, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे स्थानों में भूजल में आर्सेनिक जहर होने की समस्या के बारे में जानकारी है।

भारत के एक अध्ययन पेपर "ग्राउंडवाटर आर्सेनिक  कंटैमिनेशन इन इंडिया : वल्नेरेबिलिटी एंड स्कोप फॉर रेमेडी" के अनुसार - पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम और मणिपुर में ब्रह्मपुत्र और इम्फाल नदियों के बाढ़ वाले मैदानों में, और छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव में आर्सेनिक से दूषित नलकूपों का पता चला था।

डब्ल्यूएचओ भी इस समस्या से अवगत है। डब्ल्यूएचओ ने पीने योग्य पानी में सुरक्षा सीमा के रूप में प्रति लीटर में आर्सेनिक की 10 माइक्रोग्राम की सांद्रता निर्धारित की है। इस नए प्रयास में, पर्यावरण वैज्ञानिक और हाइड्रोलॉजिस्ट पॉडगॉर्स्की और बर्ग को संदेह था कि वर्तमान में पहचाने गए हॉटस्पॉटों की तुलना में आर्सेनिक कई और जगहों पर भी है। इसलिए उन्होंने बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करके दुनिया भर में हॉटस्पॉट के बारे में पता लगाया है।

इस काम में 80 से अधिक अध्ययनों से आंकड़े को इकट्ठा करना और फिर मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करना शामिल था। यह आंकड़े को संसाधित करता है और पूरे विश्व को कवर करने वाले 1-वर्ग किलोमीटर पैच पर भूजल में आर्सेनिक के स्तर की आशंका का अनुमान लगाता है। फिर उन्होंने आर्सेनिक के खतरे के स्तर को दर्शाने वाला एक नक्शा बनाने के लिए पूर्वानुमानों का उपयोग किया।

नक्शे से पता चला कि दुनिया भर में 22 करोड़ लोगों को आर्सेनिक के खतरनाक स्तर तक दूषित पानी पीने का खतरा होने की आशंका जताई गई है। आर्सेनिक युक्त दूषित भूजल के मामले में एशियाई देशों का सबसे बड़ा हिस्सा (94%) है।

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