कर्नाटक के 78 प्रतिशत, दिल्ली के 73 प्रतिशत जल निकाय इस्तेमाल में नहीं

एसओई इन फिगर्स 2023 के मुताबिक शहरी भारत में हर चार जल निकायों में से लगभग एक उपयोग में नहीं है। इसी तरह ग्रामीण भारत में सात में से करीब एक उपयोग में नहीं है
कर्नाटक के 78 प्रतिशत, दिल्ली के 73 प्रतिशत जल निकाय इस्तेमाल में नहीं
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पेयजल, सिंचाई, मछलीपालन, भूजल पुनर्भरण में अहम भूमिका निभाने वाले हमारे जल निकाय बड़े पैमाने पर नष्ट हो रहे हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी “स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2023 इन फिगर्स” रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 3,94,500 (कुल जल निकायों का 16 प्रतिशत) जल निकाय इस्तेमाल में नहीं है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के हिसाब से देखें तो ग्रामीण भारत में 3,79,850 और शहरी क्षेत्रों में 14,650 जल निकाय इस्तेमाल में नहीं है। सूखने, निर्माण, गाद, मरम्मत से परे नष्ट, खारापन, औद्योगिक एफ्लुएंट्स व अन्य कारणों को इसकी वजह बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में हर चार जल निकायों में लगभग एक और ग्रामीण क्षेत्रों में हर सात जल निकायों में लगभग एक उपयोग में नहीं है।

इन राज्यों की हालत सबसे खराब

रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब, बिहार, तमिलनाडु, पुदुचेरी और हरियाणा की हालत इस मामले में सबसे खराब है। इन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वाधिक 40 प्रतिशत जल निकाय इस्तेमाल में नहीं हैं। कर्नाटक और दिल्ली के शहरी क्षेत्रों में एक भी जल निकाय ऐसा नहीं है जो इस्तेमाल में हो। जिन ग्रामीण क्षेत्रों में जल निकायों की हालत सबसे दयनीय है, उनमें कर्नाटक, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब और बिहार हैं। इन राज्यों में 50 प्रतिशत या इससे अधिक ग्रामीण जल निकाय इस्तेमाल में नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक में कुल 27,013 जल निकायों में से 21,139  यानी 78 प्रतिशत जल निकाय इस्तेमाल में नहीं है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 5,878 जल निकाय ही इस्तेमाल में हैं।

कर्नाटक के बाद दिल्ली ऐसा राज्य है जहां सर्वाधिक जल निकाय इस्तेमाल में नहीं है। दिल्ली में 893 जल निकायों में से केवल 237 ही उपयोग में हैं। राज्य के 73 प्रतिशत जल निकाय इस स्थिति में नहीं हैं कि उनका उपयोग किया जा सके। मध्य प्रदेश, पंजाब और बिहार ऐसे राज्य हैं जहां 50 प्रतिशत या अधिक जल निकाय इस्तेमाल में नहीं हैं। मध्य प्रदेश में कुल 55 प्रतिशत, पंजाब में 52 प्रतिशत और बिहार में 50 प्रतिशत जल निकाय ऐसे हैं। मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 44,214 और शहरी क्षेत्रों में 1172 जल निकाय इस्तेमाल में नहीं हैं। इसी तरह पंजाब के कुल 16,012 जल निकायों में से ग्रामीण क्षेत्रों के 8,239 और शहरी क्षेत्रों के 93 जल निकाय इस्तेमाल में नहीं हैं। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 21,737 और शहरी क्षेत्रों में 1,062 जल निकाय इस्तेमाल में नहीं है। बिहार के 23 प्रतिशत जल निकायों के इस्तेमाल में न होने की वजह निर्माण अथवा अतिक्रमण को बताया गया है।

बेहतर स्थिति वाले राज्य

जल निकायों के संरक्षण के मामले में गुजरात, त्रिपुरा और महाराष्ट्र सबसे बेहतर स्थिति में हैं। केवल ये तीनों राज्य ही ऐसे हैं जहां उपयोग में नहीं जल निकायों का प्रतिशत एक या उससे कम है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र के कुल 97,062 जल निकायों में से केवल 1,029 जल निकाय ही उपयोग में नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे 1027 व शहरी क्षेत्रों में केवल 2 जल निकाय ऐसे हैं।

इसी तरह गुजरात में 54,069 जल निकायों में से केवल 166 जल निकाय उपयोग में नहीं है। ये सभी जल निकाय शहरी क्षेत्रों में हैं। त्रिपुरा में तो मात्र 4 जल निकाय उपयोग में नहीं हैं। राज्य में कुल 36,239 जल निकाय हैं। असम की स्थिति भी बेहतर है, जहां केवल 2 प्रतिशत जल निकाय उपयोग में नहीं की सूची में शामिल हैं। असम में कुल 1,72,492 जल निकायों में से 1,69,352 जल निकाय उपयोग में हैं। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में महज 3,049 व शहरी क्षेत्रों में 91 जल निकाय ही उपयोग में नहीं हैं। उत्तरपूर्वी राज्य मेघालय, नागालैंड और मणिपुर में भी 3 से 5 प्रतिशत जल निकाय ही उपयोग में नहीं हैं।

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