भारत के 19.2 करोड़ ग्रामीण घरों में से 6.6 करोड़ घरों तक नल के जरिए पीने के पानी की आपूर्ति की जा रही है। जिसका मतलब है कि देश के 34.6 फीसदी ग्रामीण घरों तक नल के जरिए जल पहुंच चुका है। यह जानकारी जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा लोकसभा में दिए एक प्रश्न के जवाब में सामने आई है। जोकि जल जीवन मिशन (ग्रामीण) के आंकड़ों पर आधारित है। यदि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 100 फीसदी नल जल के लक्ष्य की बात करें तो आज देश के 2 राज्यों, 52 जिलों, 663 ब्लॉक, 40,086 पंचायतों और 76,196 गांवों तक नल के जरिए पीने का साफ़ जल पहुंच चुका है।
देश में गोवा और तेलंगाना दो ऐसे राज्य हैं जहां हर ग्रामीण घर तक नल के जरिए पानी की व्यवस्था हो चुकी है। इनके बाद अंडमान निकोबार का नंबर आता है जहां के 88.2 फीसदी ग्रामीण घरों तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है। इसके बाद पुडुच्चेरी (88.2 फीसदी), हरियाणा (85.6 फीसदी), गुजरात (82.1 फीसदी), हिमाचल प्रदेश (75.6 फीसदी), सिक्किम (73 फीसदी), पंजाब (68.9 फीसदी), बिहार (64.1 फीसदी), महाराष्ट्र (60.5 फीसदी) और जम्मू कश्मीर के 50.2 फीसदी ग्रामीण घरों तक नल जल पहुंच चुका है।
वहीं यदि देश में उन राज्यों की बात करें जहां नल जल की पहुंच सबसे कम है तो उसमें पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है, वहां अब तक केवल 6.2 फीसदी घरों तक ही उसकी पहुंच संभव हो पाई है। इसके बाद असम (6.4 फीसदी), लद्दाख (7.54 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (9.1 फीसदी) का नंबर आता है जहां 10 फीसदी से कम ग्रामीण घरों तक पाइप के जरिए पानी पहुंच पाया है। इसी समस्या को देखते हुए मोदी सरकार ने 2024 तक हर ग्रामीण घर तक नल जल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन की शुरुवात की थी।
कितनी दूर है मंजिल
जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के अनुसार 15 अगस्त 2019 तक केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों तक नल जल पहुंचा था जो अब 6.6 करोड़ घरों तक पहुंच चुका है, जिसका मतलब है कि इस अवधि में नल जल की पहुंच करीब 106 फीसदी की दर से बढ़ी है जोकि एक अच्छे संकेत हैं, जिससे उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले कुछ वर्षों में देश के हर ग्रामीण घर को पीने का साफ पानी मिलने लगेगा ।
हालांकि देश में अभी भी 58.3 लाख हैंडपंप हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा 24.8 लाख हैंडपंप अकेले उत्तरप्रदेश राज्य में हैं। अभी भी देश के 65.4 फीसदी ग्रामीण घरों तक नल जल पहुंचना बाकी है पर जिस तरह से सरकार इस बारे में सोच रही है उससे उम्मीद की एक किरण सामने आई है। यदि स्वच्छ भारत मिशन की तरह ही यह योजना भी अपने लक्ष्यों को हासिल कर पाने में सफल रहती है तो वह दिन दूर नहीं जब हर ग्रामीण घर को पीने का साफ़ पानी मिलने लगेगा, जिससे देश में बढ़ती बीमारियों पर काबू पाया जा सकेगा। लेकिन इसकी राह इतनी आसान भी नहीं है अकेले योजनाओं के बल पर इन लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सकता इसके लिए सामाजिक इच्छाशक्ति और एकजुटता भी जरुरी है। हमारा कल हमारे अपने हाथों में है। बस देखना यह है कि हम उसे कैसे बनाते हैं।