आम चुनाव : बेगूसराय के ये गांव नहीं करेंगे वोट

जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार के चुनाव लड़ने से बेगूसराय चर्चा में है, लेकिन इस संसदीय क्षेत्र के इन गांवों की ओर किसी का ध्यान नहीं है
Photo credit : Shishir Sinha
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शिशिर सिन्हा

1987 में आई बिहार की बाढ़ का असर 32 साल बाद लोकसभा चुनाव पर पड़ने वाला है। यह असर और कहीं नहीं, जेएनयू से ‘आजादी’ का नारा बुलंद करने वाले वामपंथी कन्हैया कुमार और कट्टर हिंदूवादी बयानों के कारण चर्चित केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के मुकाबले के कारण हॉट सीट बने बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में दिखेगा। आप यकीन करें या नहीं, 32 साल पहले बाढ़ के रौद्र रूप ने जिले के मोहनपुर और गम्हरिया गांव को जोड़ने वाले जिस पुल को आधा-अधूरा तोड़ा था, उसे अब तक नहीं बनाया गया। हर आश्वासन के बावजूद अब तक पुल नहीं बनाए जाने के कारण एक बच्चे समेत तीन की मौत का गुस्सा इस हॉट सीट पर इस बार दो गांवों के वोटर निकालने वाले हैं।

अब तक यह पुल दो गांवों को जोड़े हुए है। 1987 से अब तक हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान जितने भी प्रत्याशी यहां से गुजरे, जीतने के बाद पुल को बनाने का वादा करके चले गए, लेकिन आज तक किसी ने भी जीतने के बाद सुध नहीं ली। अब जब पूरे देश की नजर बेगूसराय लोकसभा सीट पर है, मोहनपुर और गम्हरिया गांव के नए-पुराने हर तरह के मतदाताओं ने ‘पुल नहीं तो वोट नहीं’ का एलान किया है। पीरनगर चौक के पास नावकोठी, गढ़पुरा और बखरी प्रखंड की सीमा पर स्थित इस क्षेत्र के विधायक बखरी से विधानसभा तक पहुंचते हैं, जबकि संसदीय सीट पर भी किसी सीमा विवाद के बगैर बेगूसराय है। इसके बावजूद मामला कहां पर अटक रहा है, पूछने पर ग्रामीण रामदुलार कहते हैं- “इ बेर टपथिन, तब सभ्भे मिलकर बतइबन…जे अइथिन उनकर नेतागिरी निकैल जइतन”। यानी, इस बार जो भी नेता इधर आएंगे, सभी लोग मिलकर मिलकर उनकी नेतागिरी निकाल देंगे। यह सिर्फ एक रामदुलार की बात नहीं, नवयुवक प्रकाश हों, अशोक कुमार हों या बुजुर्ग गुलाब देवी…सभी के गुस्से का स्तर एक जैसा है।

नेशनल मीडिया में छाए बेगूसराय के थाथा गांव की तरह ही भुईधारा पुल से गुजरने वाले लोगों का गुस्सा भी अब लोगों का ध्यान खींचेगा। बेगूसराय-रोसड़ा रोड से अंदर बूढ़ी गंडक नदी से घिरे थाथा गांव तक सड़क नहीं पहुंची है। हालत यह है कि आपातकालीन स्थितियों में अस्पताल जाना हो तो नाव ही सहारा होता है। गांव के लोगों के पास बाइक है, लेकिन उसे भी सड़क तक पहुंचने के लिए नाव की सवारी करानी पड़ती है। बूढ़ी गंडक नदी में पानी का बहुत घट जाना या बहुत बढ़ जाना, दोनों ही थाथा के ग्रामीणों के लिए मुसीबत हो जाता है। देश के तमाम मीडिया संस्थानों के लिए बेगूसराय हॉट सीट है, लेकिन इन दो इलाके के वोटर अपनी लोकसभा सीट के प्रत्याशियों के लिए इतने गरम बोल के साथ तैयार हैं कि कोई भी इस बार इधर जाता नहीं दिख रहा है। चौथे चरण में 29 अप्रैल को यहां मतदान होना है, लेकिन वोट डालने के लिए इन दोनों ही इलाकों में एक भी मतदाता तैयार नहीं है।

हॉट सीट बेगूसराय में आम लोगों के वोट बहिष्कार के एलान के साथ नक्सलियों का पर्चा भी चर्चा में है। बेगूसराय जिले के ही तेघड़ा में पकठौल विद्यालय की दीवार और चंद्रशेखर सिंह पुस्तकालय किरतौल में नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार का संदेश देते हुए पोस्टर चिपकाया था। बेगूसराय को एक समय में बिहार का ‘लेनिनग्राद’ कहा जाता था और इस बार लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से वामपंथी कन्हैया कुमार के सामने होने के बावजूद नक्सलियों ने पोस्टर के जरिए वोट बहिष्कार का एलान कर भी चौंका दिया है।

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