3डी प्रिंटिंग का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में इसका उपयोग एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग के रूप में किया जा सकता है। हैदरबाद स्थित इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी ऐंड न्यू मैटेरियल्स (एआरसीआई) ने अब एक ऐसा केंद्र स्थापित किया है, जहां पर एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग से जुड़ी बारिकियों को समझा जा सकता है। यह केंद्र भारतीय उद्योगों को एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग के करीब लाने और उत्पादन की इस नई तकनीक को बढ़ावा देने में मददगार हो सकता है।
सेलेक्टिव लेजर मेल्टिंग सिद्धांत पर आधारित पाउडर बेड एडिटिव जैसी मैन्यूफैक्चरिंग मशीन इस तकनीकी प्रदर्शक केंद्र में लगाई गई है, जिसकी मदद से धातुओं से मध्यम एवं अधिक मात्रा में उत्पादन किया जा सकता है। इसमें स्टेनलेस स्टील से लेकर कोबाल्ट-क्रोम, निकिल एलॉय, एल्युमिनियम और टाइटेनियम जैसी धातुओं से उत्पाद बनाए जा सकते हैं। एआरसीआई को ईंधन सेल, लेजर प्रोसेसिंग, कोटिंग्स, सिरेमिक, पाऊडर धातुकर्म में महारत प्राप्त है और यह संस्थान नए मैटेरियल्स और प्रक्रियाओं के विकास के लिए जाना जाता है।
एआरसीआई के सेंटर फॉर लेजर प्रोसेसिंग ऑफ मैटेरियल्स से जुड़े डॉ गुरुराज तेलसंग ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “इस केंद्र को स्थापित करने का उद्देश्य परंपरागत तकनीक के मुकाबले एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग तकनीक की उपयोगिता से भारतीय उद्योग जगत को परिचित कराना है।”
यह नया तकनीकी केंद्र उभरती हुई 3डी प्रिंटिंग तकनीक के बेहतर उपयोग के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की पहल का हिस्सा है। जर्मनी स्थित अंतरराष्ट्रीय उत्पादक एसएलएम सॉल्यूशन्स के सहयोग से इसे स्थापित किया गया है।
एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग का प्रमुख लाभ यह है कि इसकी मदद से वस्तुओं के जटिल डिजाइन कम लागत में बनाए जा सकते हैं। 3डी मॉडल से डिजिटल मॉडल डाटा या एक एडिटिंग मैन्यूफैक्चरिंग फाइल (एएमएफ) जैसे इलेक्ट्रॉनिक डाटा स्रोत के उपयोग से किसी भी आकार या ज्यामिति की वस्तुओं का उत्पादन किया जा सकता है।
कम समय में बेहतर डिजाइन और नवाचार युक्त वस्तुओं के उत्पादन के लिए एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग को दुनिया भर में महत्व दिया जा रहा है। ऑटोमोबाइल, बायो-मेडिकल और एयरोस्पेस उद्योग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग का उपयोग फायदेमंद हो सकता है।
इंडिया साइंस वायर