भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा बैक्टीरिया मारने का नया तरीका

वैज्ञानिकों ने नैनो-कंपोजिट्स नामक एक गैर-जैविक पदार्थ की मदद से बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण के इलाज का तरीका खोजा
बैक्टीरिया संक्रमण के उपचार के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग होने वाली एंटी-बायोटिक दवा नाइट्रोफ्यूरैंटॉइन की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स को अधिक प्रभावी पाया गया है। Credit: e-MagineArt/flickr
बैक्टीरिया संक्रमण के उपचार के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग होने वाली एंटी-बायोटिक दवा नाइट्रोफ्यूरैंटॉइन की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स को अधिक प्रभावी पाया गया है। Credit: e-MagineArt/flickr
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भारतीय वैज्ञानिकों ने नैनो-कंपोजिट्स नामक एक गैर-जैविक पदार्थ की मदद से बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण के इलाज के लिए एक नया तरीका खोज निकाला है, जो परंपरागत एंटी-बायोटिक दवाओं का विकल्‍प बन सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसकी मदद से दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके बैक्टीरिया को भी निशाना बनाया जा सकता है।

किसी संक्रामक बीमारी के उपचार के लिए आमतौर पर एंटी-बायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है, पर उपयुक्‍त तरीके से दवा का उपयोग न होने से बैक्टीरिया में उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता वि‍कसित हो जाती है। बैक्टीरिया के संक्रमण का वै‍कल्पि‍क इलाज खोजने में जुटे भारतीय एवं ऑस्‍ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने पाया है कि नैनो-कंपोजिट्स के जरिये प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके बैक्टीरिया को भी आसानी से नष्‍ट किया जा सकता है।  

नैनो-कंपोजिट्स हाइब्रिड पदार्थ हैं, जो चांदी के सूक्ष्‍म कणों और ग्रेफीन से बने होते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये बैक्टीरिया के विकास को रोक देते हैं। सामान्‍य दवाओं की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स बैक्टीरिया की कोशिकाओं के विभिन्‍न हिस्‍सों को एक साथ निशाना बनाकर उन्‍हें मार देते हैं। वहीं, चांदी के सूक्ष्‍म कण बैक्टीरिया के श्‍वसन तंत्र और ऊर्जा पैदा करने वाले तंत्र को बाधित कर देते हैं।   चेन्‍नई की अन्‍ना यूनिवर्सिटी, ऑस्‍ट्रेलिया की क्‍वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्‍नोलॉजी, कॉमनवेल्‍थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न ऑस्‍ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने मिलकर यह अध्‍ययन  किया है। अध्‍ययन के प्राथमिक नतीजे साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। 

बैक्टीरिया संक्रमण के उपचार के लिए परंपरागत तौर पर उपयोग होने वाली एंटी-बायोटिक दवा नाइट्रोफ्यूरैंटॉइन की अपेक्षा नैनो-कंपोजिट्स को अधिक प्रभावी पाया गया है। हालांकि, इसका परीक्षण अभी लैब में विकसित बैक्टीरिया पर किया गया है, पर वैज्ञानिकों को उम्‍मीद है कि नैनो-कंपोजिट्स कई परंपरागत बैक्टीरिया-रोधी दवाओं का विकल्‍प बन सकते हैं।  नैनो-कंपोजिट्स के सटीक असर को लेकर अभी भी परीक्षण चल रहे हैं। पूर्व एवं ताजा अध्‍ययनों में नैनो-कंपोजिट्स के घटकों के व्यवधान तंत्र के बारे में बताया जा चुका है, जिसके आधार पर इसके संयुक्‍त प्रभाव का आकलन किया गया है।  अध्‍ययनकर्ताओं की टीम में कार्तिका प्रसाद, जी.एस. लक्ष्‍मी, कोला ओस्‍तरीकोव, वैनिसा लुसिनी, जेम्‍स ब्लिंको, मंदाकिनी मोहनदास, क्रैसिमीर वैसिलेव, स्‍टीवन बॉटल, कैटेरिना बैजेका और कोस्‍तया ओ‍स्‍तरीकोव शामिल थे। (इंडिया साइंस वायर, भाषांतरण : उमाशंकर मिश्र)

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