राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि भारत में वैश्विक स्तर के संस्थान विकसित करना और वहां होने वाले शोध कार्यों को समाज से जोड़ा जाना आवश्यक है। वह सोमवार को राष्ट्रपति भवन में नोबेल पुरस्कार श्रृंखला-2018 के अंतर्गत आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
चार नोबेल पुरस्कार विजेताओं, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अलावा कई जाने-माने वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और उद्योग जगत के लोग कार्यक्रम में शामिल थे।
कार्यक्रम की शुरुआत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने स्वागत भाषण के साथ हुई। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने नोबेल पुरस्कार विजेताओं से देश में शोध कार्यों को बढ़ावा देने वाले वैज्ञानिक संस्थानों के विकास के लिए भारतीय वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं को परामर्श देने का आग्रह किया है।
नोबेल पुरस्कार श्रृंखला भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और स्वीडन स्थित नोबेल फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से की गई एक रोमांचक पहल है, जो विज्ञान के युवा छात्रों के बीच नवाचार और रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करने के लिए नोबेल पुरस्कार विजेताओं और प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को एक साथ लाने के लिए शुरू की गई मुहिम का हिस्सा है।
इस अवसर पर हर्षवर्धन ने कहा कि “हमारे वैज्ञानिक संस्थान बेहतर कार्य कर रहे हैं और यही वजह है कि आज वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की वैश्विक पहचान बनी है। पिछले दस सालों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बजट में तीन गुना वृद्धि हुई है। नैनो-प्रौद्योगिकी सहित अनेक क्षेत्रों में हमारे यहां बेहतर शोध हो रहे हैं। शोध कार्य को प्रोत्साहन देने के लिए छात्रों के लिए इंस्पायर योजना चल रही है। हर साल राष्ट्रपति भवन में इनोवेशन फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जो देश में शोध कार्य को प्रोत्साहित करने की दिशा मे पहल है।”
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस मौके पर कहा कि “विज्ञान के द्वारा दुनिया तेजी से बदल रही है। लाखों किताबें ऐप पर आपको मिल जाएंगी और नवाचार को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आज देश में शोध प्रवृत्ति बढ़ रही है। बजट में भी सरकार ने एक हजार छात्रों को प्रति माह एक लाख रुपये की छात्रवृत्ति दिए की घोषणा की है।”
इस कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेता क्रिस्टीन नुसलिन एवं सर्ज हेरोक सहित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुम्बई के निदेशक देवांग खखड़, बनारस हिंदू विश्वविद्यलाय से समंबद्ध रमादेवी निम्मनपल्ली, टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान के निदेशक संदीप त्रिवेदी, मेहता फाउंडेशन अमेरिका के राहुल मेहता और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति प्रोफेसर दिनेश सिंह ने संबोधित किया।
इस अवसर पर फील्ड मेडल से सम्मानित मंजुल भार्गव ने देश में विज्ञान के स्वर्णिम अतीत एवं वर्तमान शोध कार्यों के समन्वय से श्रेष्ठ शोध कार्य को आगे बढ़ाने की बात कही। वहीं, सर्ज हेरोक ने क्रांस में विश्वविद्यालयों में स्थापित शोध केंद्रों की शोध में भूमिका के बारे में बताया।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के पूर्व सचिव के. विजयराघवन ने इस मौके पर कहा कि भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की बात होती है, तो उसमें इसरो, नाभिकीय ऊर्जा आदि क्षेत्रों का बजट भी जोड़ दिया जाता है, जबकि आधारभूत विज्ञान के क्षेत्र में प्रदान किए जाने वाले बजट की राशि तुलनात्मक रूप से कम है।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र को संबोधित करने वाले वक्ताओं में दो नोबल पुरस्कार विजेताओं में टॉमस लिंडाल एवं रिचर्ड आर रॉबर्ट्स शामिल हैं। इनके अलावा इस सत्र में काडिला के अध्यक्ष राजीव मोदी, एवं इंफोसिस के सह-संस्थापक के. दिनेश एवं स्टेन्फोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मनु प्रकाश ने चर्चा में भागीदारी की। इनके अलावा इस अवसर पर नोबल समिति के जुलिन जिरेथ ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
(इंडिया साइंस वायर)