ब्रांडेड प्लास्टिक रैपर की हो “घर वापसी”

धरती को सुरक्षित रखना है तो कंपनियों को भी पैकेंजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक रैपर का विकल्प ढूंढ़ना होगा। प्लास्टिक को रि-साइकिल करने की ज़िम्मेदारी भी लेनी होगी
Credit: Getty Images
Credit: Getty Images
Published on

धरती को सुरक्षित रखना है तो प्लास्टिक के विकल्प तैयार करने होंगे। इसके लिए देश-दुनिया की बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों को भी पैकेंजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक रैपर का विकल्प ढूंढ़ना होगा। साथ ही प्लास्टिक को रि-साइकिल करने की जिम्मेदारी भी लेनी होगी। ताकि प्लास्टिक अर्थव्यवस्था में बदलाव लाया जा सके।

डाउन टु अर्थ  ने हिमालयी क्षेत्र में प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट दी थी। प्लास्टिक सिर्फ कचरे के ढेर में ही जमा नहीं हो रहा, वो नदियों के स्रोतों, हिमालय की चोटियों, बुग्यालों में भी जमा हो रहा है। गंगा सागर ही प्लास्टिक के ढेर से नहीं पट रहा, बल्कि गोमुख में भी प्लास्टिक की पहुंच हो चुकी है।

पर्यावरण के मुद्दे पर कार्य कर रही देहरादून की मैड संस्था ने प्लास्टिक प्रदूषण को लेकर कॉर्पोरेट जवाबदेही तय करने के लिए अभियान छेड़ा था। “घर वापसी” नाम से शुरू किए गए अभियान के तहत कुछ कॉर्पोरेट कंपनियों को उनके प्लास्टिक रैपर का कचरा वापस भेजा गया। इसमें नेस्ले इंडिया, हल्दीराम, पेप्सिको, पारले जी, पतंजलि समेत कुछ और कंपनियों को उनका प्लास्टिक कचरा एक डब्बे में बंद कर वापस भेजा गया। कंपनियों से गुजारिश की गई कि वे प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट-2016 कानून के एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए जरूरी कदम उठाएं।

नेस्ले इंडिया ने प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए कंपनी ने मैगी नूडल्स के दस खाली रैपर देने पर एक मैगी नूडल्स का पैकेट देने की योजना शुरू की है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्तराखंड के दो शहरों में देहरादून और मसूरी में इस योजना की शुरुआत की गई है। नेस्ले इंडिया का मानना है कि इस तरह से मैगी के खाली रैपर वापस होंगे और प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए गठित उनकी टीम इस पर कार्य कर सकेगी। साथ ही इससे लोगों के व्यवहार में भी बदलाव आएगा और वे खाली रैपर फेंकने की जगह इकट्ठा करेंगे।

देहरादून की मैड संस्था के अध्यक्ष करन कपूर बताते हैं कि हल्दीराम कंपनी ने प्लास्टिक रैपर भेजे जाने पर संस्था को एक ई-मेल भेजा। हल्दीराम की ओर से देवाशीष बिश्वास ने लिखा कि वे इस प्रयास की सराहना करते हैं, हालांकि कंपनी की ओर से प्लास्टिक कचरा निस्तारण के लिए अब तक किसी तरह की पहल नहीं की गई है। जबकि पारले जी कंपनी ने उन्हें भेजे गये प्लास्टिक रैपर का डिब्बा वापस संस्था के पास भेज दिया। पेप्सिको इंडिया, पतंजलि समेत कुछ अन्य कंपनियों ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

कपूर का कहना है कि मैड संस्था ने नवंबर महीने में ही उत्तराखंड के जॉर्ज एवरेस्ट, गुछु पानी, सहस्त्रधारा, शिखर फॉल में सफाई अभियान चलाया था। शिखर फॉल देहरादून की रिस्पना नदी का उद्गम है और नदी के स्रोत में ही उन्हें ढेरों प्लास्टिक कचरा मिला।  कई नदी के स्रोत में जमा प्लास्टिक चिंता की बड़ी वजह है। इसके साथ ही देहरादून की गति फाउंडेशन ने भी वन विभाग के साथ मिलकर मसूरी और फिर देहरादून-ऋषिकेश में ब्रांड ऑडिट किया था। जिसमें प्लास्टिक कचरे में नेस्ले, पेप्सी, लेज चिप्स, हल्दीराम कंपनियों के प्लास्टिक रैपर बहुतायत में मिले थे। कॉर्पोरेट एक्सेटेंडेड रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत ये कंपनियों की जिम्मेदारी है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए वे अपने फैलाये प्लास्टिक कचरे का निस्तारण करें।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in