अमेरिका में 5 जी और विमानन समस्या को ले कर ये शोर-शराबा क्यों है

हाल ही में 5जी तकनीक के कारण उड़ान में समस्या आने के बाद, प्रमुख अमेरिकी एयरलाइन कंपनियां संघीय अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए मजबूर हो गए...
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पिछले कुछ दिनों में अमेरिका में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के शेड्यूल में आई समस्या ने दुनिया भर में पांचवीं पीढ़ी के मोबाइल नेटवर्क या 5जी कार्यान्वयन पर वर्षों से चली आ रही बहस को फिर से शुरू कर दिया है।

भले ही उड़ानें फिर से शुरू हो गई हैं, लेकिन चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं। उन सभी देशों में आगे जांच की आवश्यकता है, जहां अभी 5जी लागू किया जा रहा है या लागू किए जाने की योजना है।

17 जनवरी, 2022 को प्रमुख अमेरिकी एयरलाइन कंपनियों द्वारा लिखे गए एक पत्र में हवाई अड्डों के आसपास 5जी तकनीक कार्यान्वयन से उड़ानों की नेविगेशन प्रणाली बाधित होने को ले कर चिंता व्यक्त की गई थी।

इस पत्र में 3.7 से 3.98 गीगाहर्ट्ज़ वाली रेडियो फ्रीक्वेन्सीज के साथ 5जी स्पेक्ट्रम के 'सी' बैंड में आए व्यवधान के बारे में बात की गई है। इसने अगले 36 घंटों में आने वाले एक भयावह विमानन संकट की चेतावनी दी थी। भारत की एयर इंडिया सहित कई अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन्स ने अमेरिका में अपना परिचालन रोक दिया था।

5जी वायरलेस तकनीक की सी-बैंड फ्रीक्वेंसी रेंज विमानों में अल्टीमीटर द्वारा उपयोग की जाने वाली 4.2 से 4.4 गीगाहर्ट्ज रेंज के बहुत करीब है।

विमानों द्वारा अल्टीमीटर का उपयोग ऊंचाई को मापने और विशेष रूप से कम दृश्यता स्थिति में विमान और गंतव्य के बीच की दूरी की गणना करने के लिए की जाती है।

अमेरिका में सी-बैंड रेंज, अल्टीमीटर रेंज के सबसे करीब है, जबकि भारत (530 मेगाहर्ट्ज) सहित कई अन्य देशों में, सी-बैंड और अल्टीमीटर रेंज की फ्रीक्वेंसी के बीच काफी अंतर है। संचार को तेज करने के लिए अमेरिका बैंड के उच्चतम शक्ति का उपयोग कर रहा है।

अमेरिकन एयरलाइंस, डेल्टा एयर लाइन्स, यूनाइटेड एयरलाइंस और साउथवेस्ट एयरलाइंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने पत्र में लिखा है कि "जब तक हमारे प्रमुख केंद्रों को उड़ान भरने के लिए मंजूरी नहीं दी जाती है, ज्यादातर यात्रा और शिपिंग नहीं हो सकती।"

ये चिंताएं कई सालों से हैं और अब परिमाण साफ़ दिखने लगा हैं। 1935 में स्थापित एक निजी गैर-लाभकारी संगठन रेडियो टेक्निकल कमीशन फॉर एरोनॉटिक्स या आरटीसीए ने अक्टूबर 2020 की अपनी रिपोर्ट में सी बैंड में 5जी तकनीक के कारण सभी प्रकार के विमानों के लिए हो सकने वाले जोखिमों को चिह्नित किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "यह जोखिम व्यापक है और अमेरिका में विमानन संचालन पर व्यापक प्रभाव की संभावना है, जिसमें से कई संभावनाएं घातक हो सकती है।"

रिपोर्ट ने तीन श्रेणियों के विमानों में अल्टीमीटर जोखिमों का विश्लेषण किया:

  • यात्रियों और कार्गो परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले कमर्शियल विमान
  • क्षेत्रीय परिवहन, व्यापार और सामान्य उड्डयन के लिए उपयोग किए जाने वाले कमर्शियल विमान
  • हेलीकाप्टर

ये जोखिम तीन अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न होते हैं, जो 5जी वायरलेस तकनीक की मिड रेंज में रेडियो फ्रीक्वेंसी उत्पन्न कर सकते हैं। इसके स्रोत ग्राउंड पर 5G बेस स्टेशन, ग्राउंड पर 5जी यूजर्स उपकरण और विमान में 5जी यूजर्स उपकरण हैं।

रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि ज्यादातर जोखिम दूसरी और तीसरी श्रेणी के विमानों के लिए हैं और ये जोखिम 5जी रेडियो तरंग के पहले स्रोत, ग्राउंड पर स्थित बेस स्टेशन से आता है।

रिपोर्ट के मुताबिक़, पहली श्रेणी के वायुयानों के लिए केवल कुछ स्थितियों में ही अधिक जोखिम होता है। फिर भी, इसके परिणाम विनाशकारी होंगे।

ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च प्रोसीडिया जर्नल में प्रकाशित एक अन्य रिसर्च पेपर में 5जी रेडियो तरंगों के प्रभावों पर कम रिसर्च की बात की गयी है। विमान में मोबाइल फोन से निकलने वाली तरंगों और उड़ान भरने के लिए विमान द्वारा उपयोग किए जाने वाली विभिन्न प्रणालियों को ले कर कम ही रिसर्च हुए हैं।

यह पेपर इस बात की पुष्टि करता है कि "आधुनिक मोबाइल फोन (विशेष रूप से 5जी फोन) एक 'उच्च शक्ति उत्सर्जक' (हाई पॉवर इंटेंशनल एमिटर) है, जो गंभीर ईएमआई पैदा करने में सक्षम है। ईएमआई इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेयरेंस है। रेडियो तरंगें, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंग स्पेक्ट्रम का हिस्सा हैं।

अल्टीमीटर खराबी का जोखिम केवल 5जी के सी-बैंड फ्रीक्वेंसी द्वारा अल्टीमीटर रेंज में हस्तक्षेप करने से नहीं आता है, बल्कि आरटीसीए रिपोर्ट के अनुसार 4.2 से 4.4 गीगा हर्ट्ज़ रेंज में होने वाले अवांछित उत्सर्जन से भी यह जोखिम पैदा होता है। हालांकि यह उत्सर्जन कम है, लेकिन इसके जोखिम बहुत अधिक है।

रिपोर्ट की गणना के अनुसार, सबसे खराब स्थिति में, दूसरी श्रेणी के विमानों के लिए  रेडियो तरंग की सुरक्षित सीमा 47 डीबी (डेसीबल) और तीसरी श्रेणी के विमानों के लिए 45 डीबी तक तक हो सकती है।

अवांछित उत्सर्जन के मामले में, इन दोनों श्रेणियों के विमानों के लिए यह सीमा 27 डीबी और 12 डीबी तक बढ़ सकती है। दुनिया भर की मीडिया केवल बोइंग 777, बोइंग 787 और अन्य बड़े विमानों के लिए जोखिम की बात करती है।

आरटीसीए की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 5जी वायरलेस तकनीक से विमानों को सुरक्षित रखने के उपाय अकेले एयरलाइंस कंपनियों या एयरपोर्ट अधिकारियों द्वारा नहीं किए जा सकते हैं।

इसमें कहा गया है कि "यह माना जाएगा कि एरोनौटिकल सेफ्टी सर्विस (इस मामले में 5जी प्रौद्योगिकी प्रदाताओं) को काम जारी रखने की अनुमति दी जाएगी लेकिन उनकी जिम्मेवारी होगी कि वे विपरीत स्थिति उत्पन होने पर तत्काल कार्रवाई कर समाधान दें।"

कई देशों ने अलग-अलग उपायों को लागू किया है। जैसे, 5जी ग्राउंड उपकरणों जो आने या जाने वाले विमानों से दूर रखने का निर्देश या उनके आसपास के 5जी उपकरणों की शक्ति को कम करना। लेकिन यह ज्ञात नहीं है कि क्या ये उपाय पूरी तरह से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त हैं।

अक्टूबर 2020 में आरटीसीए रिपोर्ट द्वारा बताए गए उपायों की आवश्यकता के बावजूद इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए। इस स्थिति से चिंतित विभिन्न एयरलाइन्स अमेरिकी संघीय अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए प्रेरित हुए।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2022 के अंत तक 13 भारतीय शहर 5जी तकनीक से लैस होने को तैयार हैं। लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि विमान सुरक्षा, विशेष रूप से अल्टीमीटर रेंज में रेडियो तरंगों के अवांछित उत्सर्जन से संबंधित चिंताओं पर ध्यान दिया गया है या नहीं।

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