27 अप्रैल, 2021 यानी आज फुल सुपरमून दिखेगा।भले ही हमारे लिए यह खगोलीय घटना उतनी महत्वपूर्ण न हो पर मियामी जैसे तटीय शहर उसका मतलब समझते हैं उनके लिए इसका मतलब ज्वार के कारण आने वाली बाढ़ का खतरा है।जिस दिन चांद और धरती एक-दूसरे के सबसे ज्यादा करीब होते हैं तो उस स्थिति को पेरिजी कहा जाता है। इसी दिन सुपरमून भी दिखाई देता है जिसे सुपर फ्लावर मून भी कहते हैं। आज जो चांद निकलेगा वो पेरिजी और पूरा भी होगा।जब चांद धरती के सबसे करीब आता है तो एक और घटना घटती है इस समय असाधारण रूप से उच्च ज्वार का उठना सामान्य होता है|
लेकिन जिस तरह से चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है उसे लूनर नोडल साईकल कहते हैं उसमें कुछ और भी चल रहा है जिसके बारे में लोगों को पता होना चाहिए।इस लूनर नोडल साइकिल में एक उभरता हुआ जोखिम भी छिपा है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
यदि वर्तमान में देखें तो हम 18.6 साल के लूनर साइकिल चरण में हैं।यह महासागरों पर पड़ रहे चंद्रमा के प्रभाव को कम कर देता है। इसके कारण ऐसा लगता है कि तटीय बाढ़ का खतरा कम हो गया है और इससे समुद्र का जल स्तर कम हो सकता है।लेकिन लोगों को इससे खुश और संतुष्ट होने की जरुरत नहीं है। अभी भी जिस तरह से वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी हो रही है उसके कारण समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है।साथ ही 18.6 साल का यह लूनर चक्र जल्द ही हमारे खिलाफ काम करेगा।
क्या है तटीय बाढ़ और चन्द्रमा के बीच का सम्बन्ध?
चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर ज्वार का प्रमुख कारण है। विशेष रूप से, पृथ्वी हर दिन अपनी धुरी पर 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड में एक चक्कर पूरा करती है जबकि चंद्रमा प्रति माह एक बार पृथ्वी की परिक्रमा पूरी करता है।यह मुख्य कारण है जिसकी वजह से महासागरों में उतार-चढ़ाव आता है|
यदि सरल शब्दों में समझें तो जब चन्द्रमा धरती के पास आता है तो उसका गुरुत्वाकर्षण समुद्र के पानी में एक उभार पैदा करता है।इसी तरह इसके विपरीत दिशा में पानी की जड़ता के कारण एक समान उभार आता है।चूंकि पृथ्वी इन उभारों के कारण ही घूमती है, इसलिए प्रत्येक तटीय क्षेत्र में हर 12 घंटे और 25 मिनट में एक उच्च ज्वार दिखाई देता है। उनकी भौगोलिक स्थिति के आधार पर कुछ ज्वार दूसरों की तुलना में अधिक ऊंचे होते हैं।
हालांकि सूरज भी इसमें भूमिका निभाता है।पृथ्वी का धुरी पर घूमना, साथ ही साथ सूर्य के चारों ओर इसकी अण्डाकार कक्षा, दिन और वर्ष में अलग-अलग ज्वार उत्पन्न करते हैं, लेकिन यह प्रभाव चंद्रमा के योगदान के आधे से भी कम होता है।
हमारे समुद्रों में चल रही गुरुत्वाकर्षण की यह रस्साकशी 400 करोड़ वर्षों से चल रही है हालांकि इसकी खोज लगभग 450 साल पहले हुई थी।संक्षेप में यह कह सकते हैं कि समुद्र के स्तर में जिस वृद्धि का हम अनुभव करते हैं उसपर चंद्रमा का बहुत मजबूत नियंत्रण होता है। हालांकि वो समुद्र के जलस्तर में हो रही वृद्धि को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन यह इसे छिपा या बढ़ा कर दिखा सकता है।
क्या होती है लूनर नोडल साइकिल?
इसके लिए हमें कक्षाओं को समझने की जरूरत है
पृथ्वी एक निश्चित पथ पर सूर्य की परिक्रमा करती है - इसे एक्लिप्टिक प्लेन या क्रांतिवृत्त या सूर्यपथ कहा जाता है। इसी तरह चन्द्रमा भी एक निश्चित पथ पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है।लेकिन वो थोड़ा झुका हुआ होता है।जो उस अण्डाकार पथ के सापेक्ष लगभग 5 डिग्री होता है।इस तरह से चन्द्रमा का परिक्रमा पथ पृथ्वी के परिक्रमा पथ को दो बिंदुओं पर काटता है, जिन्हें नोड्स कहा जाता है।
चन्द्रमा का जो परिक्रमा पथ होता है उसमें लगभग 18.6 वर्षों की अवधि में थोड़ा बदलाव आ जाता है।जो ज्यादा से ज्यादा और कम से कम 5 डिग्री हो सकता है।कक्षाओं के इस प्राकृतिक चक्र को लूनर नोडल साइकिल या चन्द्रमा का नोडल चक्र कहा जाता है|
इस तरह जब चन्द्रमा का परिक्रमा पथ भूमध्य रेखा के रास्ते के करीब आ जाता है तो पृथ्वी पर ज्वार अधिक शक्तिशाली हो जाता है।इसके विपरीत जब चन्द्रमा का पथ भूमध्य रेखा से दूर झुक जाता है, तो पृथ्वी पर ज्वार अपेक्षाकृत रूप से शांत हो जाता है।इस लूनर नोडल साइकिल के बारे में औपचारिक रूप से सबसे पहले 1728 में लिखा गया था|
समुद्र के स्तर पर इसका क्या पड़ता है प्रभाव?
इस नोडल चक्र का प्रभाव बहुत धीरे-धीरे होता है।यह ऐसा नहीं है जिसे लोग तुरंत नोटिस कर सकें।इसे समझने के लिए दशकों तक चंद्रमा के सटीक परिक्रमा पथ और ज्वार पर ध्यान देने की जरुरत है। लेकिन जब ज्वार की भविष्यवाणियों की बात आती है, तो खगोलीय चक्र सहित दर्जनों खगोलीय कारकों का हिसाब लगाया जाता है।
यह महत्वपूर्ण है कि हम इस प्रभाव के बारे में जानें और उसका लाभ उठाएं। अभी चन्द्रमा के नोडल चक्र की जो स्थिति है वो तेजी से नीचे की ओर जाने वाले चरण में है।इससे समुद्र के जलस्तर में हो रही वृद्धि की दर में थोड़ा सा विराम आया है।बाकी अन्य सभी चीजें समान ही हैं।यह वो समय है जिसमें हम समुद्र के स्तर में हो रही वृद्धि से बचने और तटीय क्षेत्रों की रक्षा के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण सम्बन्धी योजनाओं को लागु कर सकते हैं|
एक बार जब हम 2025 के आसपास इस चक्र के निचले भाग में पहुंच जाएंगें तो उसके उठान का चरण शुरू हो जाएगा।इस दौरान चन्द्रमा का नोडल चक्र समुद्र के जलस्तर में हो रही वृद्धि की दर में अधिक से अधिक योगदान करने लगेगा। उन वर्षों के दौरान, मियामी जैसी जगहों पर समुद्र के जलस्तर में हो रही वृद्धि की यह दर प्रभावी रूप से दोगुनी हो जाएगी। हालांकि समुद्र के जलस्तर में हो रही यह वृद्धि और इसमें नोडल चक्र का योगदान स्थान के आधार पर अलग-अलग हो सकता है|
इसके बात अगला सुपर फुल मून 26 मई को दिखेगा जोकि अप्रैल की तरह ही पेरिजी फुल मून भी होगा।हालांकि उस समय भी चन्द्रमा का नोडल चक्र भी अपने मौजूदा चरण में ही होगा।जिसके कारण मियामी जैसे शहरों में तटीय बाढ़ आने की सम्भावना है।
साभार ः द कन्वर्शेसन