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यह आक्रामक प्रजाति 2018 में सबसे पहले देखी गई थी और 2019 तक इसने पूरे जलाशय को अपनी आगोश में ले लिया था
पांच साल की लंबी निराशा के बाद राजू डायरे को उम्मीद जगी है कि अब उनकी रोजी-रोटी पर छाए संकट के बादल छंट गए हैं। मछुआरे समुदाय आने वाले राजू मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के सारणी जलाशय के नजदीक मछली कांटा बस्ती में रहते हैं। बस्ती में उनके जैसे करीब 250 परिवार हैं। इन सभी की रोजी रोटी जलाशय से मिलने वाली मछली पर टिकी है।
बस्ती के इन मछुआरों के लिए पिछले पांच साल किसी आपदा से कम नहीं गुजरे हैं। आपदा की वजह थी जलाशय में पैठ बना चुकी बेहद आक्रामक विदेशी जलीय खरपतवार जिसे वैज्ञानिक सालवीनिया मोलेस्टा और स्थानीय निवासी चाइनीज झालर के नाम से जानते हैं। स्थानीय लोगों ने विशेषज्ञों की सहायता से चाइनीज झालर की समस्या को कैसे सुलझाया