नासा द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले कुछ सूक्ष्म जीव मंगल की सतह पर अस्थायी रूप से जीवित रह सकते हैं। इन सूक्ष्म जीवों की मदद से मंगल की सतह पर पोधों को उगाना संभव हो सकता है। पृथ्वी के बाहर उगाए जाने वाले पौधों को बैक्टीरिया से अतिरिक्त मदद की आवश्यकता होती है, ताकि उनका विकास हो पाए।
शोधकर्ताओं ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर विभिन्न स्थानों से मेथिलोबैक्टीरिया परिवार से संबंधित जीवाणु (बैक्टीरिया) के 4 अलग-अलग उपभेदों (स्ट्रेन) की खोज के बारे में बताया है। इनमें से 1 स्ट्रेन की पहचान मिथाइलोरुब्रम रोडेशियानम के रूप में की गई, अन्य 3 को पहले कभी देखा नहीं गया था।
छड़ी के आकार के मोटाइल बैक्टीरिया को आईएफ7एसडब्ल्यू-बी2टी, आईआईएफ1एसडब्ल्यू-बी5 और आईआईएफ4एसडब्ल्यू-बी5 का शोधकर्ता द्वारा जेनेटिक विश्लेषण किया गया, जिससे पता चलता है कि ये सब मिथाइलोबैक्टीरियम के नजदीकी रिश्तेदार हैं।
मेथिलोबैक्टीरियम प्रजातियां नाइट्रोजन निर्धारण, फॉस्फेट में घुलने, विषम परिस्थितियों को सहन करने, पौधे के विकास को बढ़ावा देने और इनके रोगजनकों के खिलाफ जैविक नियंत्रण गतिविधि में शामिल होते हैं।
प्रसिद्ध भारतीय जैव विविधता के वैज्ञानिकों डॉ. अजमल खान के सम्मान में, टीम ने नई प्रजाति को मेथिलोबैक्टीरियम अजमली नाम रखने का प्रस्ताव दिया है। यह शोध माइक्रोबायोलॉजी फ्रंटियर्स में प्रकाशित हुआ है।
खोज के बारे में बताते हुए डॉ. कस्तूरी वेंकटेश्वरन (वेंकट) और नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) के डॉ. नितिन कुमार सिंह कहते हैं कि अंतरिक्ष में फसलों के उगने और उनके विकास के लिए उपभेदों (स्ट्रेन) में जैव-तकनीकी रूप से उपयोगी अनुवांशिकता हो सकती है।
हालांकि आगे प्रयोग कर विज्ञान को यह साबित करने की आवश्यकता है कि वास्तव में, अंतरिक्ष में खेती की जा सकती है, जो कि कृषि के क्षेत्र में एक अनूठा प्रयोग होगा।
शोधकर्ता ने कहा अधिक से अधिक जगहों पर पौधे उगाने के लिए जहां कि संसाधन बहुत कम हैं, विषम परिस्थितियों में पौधे की वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद करने वाले सूक्ष्म जीव आवश्यक है।
नासा ने एक दिन लोगों को मंगल ग्रह की सतह पर ले जाने के बारे में सोचा है, जो अभी बहुत दूर की कौड़ी है। वेंकट और सिंह ने बताया कि यूएस नेशनल रिसर्च काउंसिल, डिकैडल सर्वे की सिफारिश है कि अंतरिक्ष एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का उपयोग सूक्ष्मजीवों के सर्वेक्षण के लिए परीक्षण घर के रूप में करे।
उन्होंने कहा चूंकि हमारे समूह के पास सूक्ष्मजीवों की मदद से खेती करने में विशेषज्ञता है, इसलिए हमें नासा अंतरिक्ष जीवविज्ञान कार्यक्रम (स्पेस बायोलॉजी प्रोग्राम) के द्वारा सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति के लिए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का सर्वेक्षण करने का काम सौंपा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर एक साफ-सुथरा वातावरण होता है। क्रू सेफ्टी नंबर 1 प्राथमिकता है और इसलिए मानव / पौधों के रोगजनकों को समझना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे नए लाभकारी सूक्ष्म जीव जैसे मेथिलोबैक्टीरियम अजमली की भी आवश्यकता है।
र्वतमान में चल रहे निगरानी मिशन के हिस्से के रूप में, आईएसएस पर 8 स्थानों पर बैक्टीरिया के विकास के लिए निगरानी की जा रही है जो पिछले 6 वर्षों से लगातार जारी है। इन नमूने वाले क्षेत्रों में, चालक दल इकट्ठे होते हैं या जहां प्रयोगों का संचालन किया जाता है, जैसे कि पौधे की वृद्धि वाला कक्ष आदि।
जबकि आईएसएस से सैकड़ों बैक्टीरिया के नमूनों का अभी तक विश्लेषण किया जा चुका है, लगभग 1,000 नमूने अंतरिक्ष स्टेशन पर विभिन्न अन्य स्थानों से एकत्र किए गए हैं, लेकिन ये पृथ्वी पर वापस पहुंचने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां उनकी गहन जांच की जा सकती है।
वेंकट और सिंह ने बताया कि अंतिम लक्ष्य इस लंबी प्रक्रिया को दरकिनार कर, आईएसएस के लिए विकसित और प्रदर्शित आणविक जीव विज्ञान उपकरण का उपयोग करके नए उपभेदों को ढूंढना है।
शोधकर्ताओं ने कहा विश्लेषण के लिए नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाने के बजाय, हमें एक एकीकृत माइक्रोबियल निगरानी प्रणाली की आवश्यकता है जो आणविक तकनीकों का उपयोग करके अंतरिक्ष में नमूने एकत्र कर उनका विश्लेषण किया जा सके।