हर साल 20 लाख से अधिक होने वाली मौतों को रोक सकती यह जांच

फाइब्रिनोजेन शरीर से खून बहने को रोकता है। यह परीक्षण खून में फाइब्रिनोजेन के स्तर का पता लगाने में चार मिनट से भी कम समय लेता है, मौजूदा मानक तरीकों की तुलना में यह लगभग पांच गुना तेज है।
हर साल 20 लाख से अधिक होने वाली मौतों को रोक सकती यह जांच
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ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के इंजीनियरों ने एक तेज़, पोर्टेबल और सस्ता जांच करने वाला उपकरण विकसित किया है। यह उपकरण तेजी से जांच कर रक्त की कमी से होने वाली मृत्यु से बचाने में सहायक है। इसकी जांच रिपोर्ट से तत्काल उपचार किया जा सकता है।

दुनिया की यह पहली ऐसी जांच (डायग्नोस्टिक) है जो हर साल दुनिया भर में 20 लाख (2 मिलियन) से अधिक जीवन बचा सकती है। शोधकर्ताओं ने एक ग्लास स्लाइड, टेफ्लॉन फिल्म और एक कागज के टुकड़े का उपयोग करके इस जांच को विकसित किया है। यह चार मिनट से भी कम समय में रक्त में फाइब्रिनोजेन के स्तर का परीक्षण कर सकता है।

फाइब्रिनोजेन रक्त में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जिसकी जरुरत थक्के बनाने के लिए होती है। जब एक मरीज को गंभीर चोट लगती है, जैसे कि गंभीर कार दुर्घटना, या बड़ी सर्जरी और प्रसव संबंधी जटिलताएं, जिसमें रक्त में फाइब्रिनोजेन की आवश्यकता होती है ताकि खून बहने से होने वाली मृत्यु को रोका जा सके। यह शोध एसीएस सेंसर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

आमतौर पर भारी मात्रा में खून बहने वाले रोगियों को अस्पताल या आपातकालीन केंद्र में ले जाया जाता है, जहां इलाज से पहले वे जांच और परीक्षणों से गुजरते हैं। इन परीक्षणों में समय लगता है और ये महंगे होते हैं क्योंकि उन्हें विशेष / प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता होती है और इसमें आधे घंटे से अधिक तक का समय लग सकता है।

हेमोकाइनेसिस के सहयोग से मोनाश विश्वविद्यालय के केमिकल इंजीनियरिंग और बायोप्रोवा (ऑस्ट्रेलिया के बायोरसोर्स प्रोसेसिंग इंस्टीट्यूट) विभाग के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया यह नया विकास, फाइब्रिनोजेन के स्तर का पता लगाने, निगरानी और इलाज के लिए अस्पताल के उपकरणों की निर्भरता को समाप्त करता है। इस तरह का नया विकास अब तक कभी हासिल नहीं हुआ।

इसके अतिरिक्त इस जांच (डायग्नोस्टिक) को पॉइंट-ऑफ-केयर टूल में बदला जा सकता है और स्थानीय और दूरदराज के क्षेत्रों में और एंबुलेंस और अन्य पहले उपयोग किए जाने वाले वाहनों में रखा जा सकता है। इसकी जांच को पूरा करने में सिर्फ चार मिनट लगते हैं।

बायोप्रिया के निदेशक प्रोफेसर गिल गार्नियर ने कहा, यह जांच (डायग्नोस्टिक) आपातकालीन डॉक्टरों और पैरामेडिक्स को रोगियों में फाइब्रिनोजेन के निम्न स्तर का अतिशीघ्र और सटीक जांच करने में मदद करेगा, ताकि गंभीर रक्तस्राव को रोकने के लिए जीवन रक्षक उपचार तेजी से किया जा सकेगा।

जब एक मरीज का भारी मात्रा में खून बहता है और शरीर में कई जगह रक्त संचार होता है, तो फाइब्रिनोजेन का स्तर गिर जाता है। प्रोफेसर गार्नियर ने कहा दर्जनों संचार (ट्रांसफ्यूजन) के बाद भी मरीजों का खून बहता रहता है। उन्हें किस तरह की जरूरत है, फाइब्रिनोजेन के एक इंजेक्शन की। हालांकि अगर रोगियों को बहुत अधिक फाइब्रिनोजेन मिलता है, तो भी उनकी मृत्यु हो सकती हैं।

60 से अधिक परीक्षण हैं जो फाइब्रिनोजेन के स्तर को माप सकते हैं। हालांकि इन परीक्षणों को करने के लिए योग्य मशीनरी की आवश्यकता होती है। इसका मतलब है कि गंभीर रक्तस्राव के रोगियों को अस्पताल पहुंचाने में समय लग जाता है। अस्पताल पहुंचाने के बाद भी जांच में 30 मिनट से भी अधिक समय लग जाता है।

बालकोवर ने कहा हमारी जांच (डायग्नोस्टिक) ने अस्पताल में उपयोग की जाने वाली पारंपरिक तकनीकों की तैयारी के समय, श्रम और परिवहन की कठिनाइयों को समाप्त कर दिया है।

यह दुनिया में कहीं भी गंभीर रूप से शरीर से खून बह रहे रोगियों में हाइपोफिब्रिनोजेनमिया की जांच कर सकता है, और फाइब्रिनोजेन रिप्लेसमेंट थेरेपी के लिए आवश्यक उपचार के समय को काफी कम कर सकता है। परीक्षण चार मिनट से भी कम समय लेता है, मौजूदा मानक तरीकों की तुलना में यह लगभग पांच गुना तेज है।

परीक्षण एक रक्त के नमूने की बूंद और एक ठोस सतह पर एक एंजाइम को रखकर काम करता है, जिससे इसका थक्का बन जाता है और फिर इसे एक पेपर स्ट्रिप के शीर्ष पर गिराया जाता है। रक्त कागज की पट्टी नीचे चली जाती है, जिससे फाइब्रिनोजेन की एकाग्रता कम हो जाती है।

जांच विभिन्न प्रकार की रक्त की स्थितियों के साथ काम कर सकती है। इसके अलावा, रक्त के नमूनों को पतला करने से न केवल परीक्षण की संवेदनशीलता बढ़ जाती है, बल्कि रक्त को प्रभावित करने वाले पदार्थों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।

रक्तस्राव में हाइपोफिब्रिनोजेनमिया (प्रभावी थक्के को सक्षम करने के लिए अपर्याप्त फाइब्रिनोजेन) आम है। आघात लगने वाले 20 प्रतिशत से अधिक रोगियों में हाइपरफिब्रिनोजेनमिया होता है।

मोनोश डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग में रिसर्च फेलो डॉ. क्लेयर मैंडरसनने कहा हाइपोफिब्रिनोजेनमिया के शुरुआती जांच से इन रोगियों में रक्तस्राव को रोका जा सकता है और उनके जीवन को बचाया जा सकता है।

डॉ. मैंडरसन ने कहा दुनिया के पहले फाइब्रिनोजेन जांच (डायग्नोस्टिक) का विकास उन लाखों लोगों के लिए एक गेम चेंजर है जो हर साल  रक्त की हानि से मर जाते हैं। यह आपातकालीन विभागों पर दबाव को कम करेगा।

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