जल स्रोतों और स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है सड़क और खेतों में डाला जा रहा नमक

वैश्विक स्तर पर मीठे पानी में बढ़ती लवणता सुरक्षित पेयजल, स्वास्थ्य, जैव विविधता, बुनियादी ढांचे और खाद्य उत्पादन को प्रभावित कर रही है
रोड पर जमा बर्फ को पिघलाने के लिए छिड़का जा रहा नमक; फोटो: सुजय कौशल
रोड पर जमा बर्फ को पिघलाने के लिए छिड़का जा रहा नमक; फोटो: सुजय कौशल
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सर्दियों में आनेवाला तूफान और बर्फबारी सड़कों को और खतरनाक बना देता है, ऐसे में इस समस्या से निपटने के लिए दुनिया भर में राजमार्गों, सड़कों और फुटपाथों पर जमा बर्फ को हटाने के लिए नमक का इस्तेमाल किया जाता है। यह नमक सड़क पर जमा बर्फ को हटाने और उन सड़क हादसों को टालने में अहम भूमिका निभाता है, जिनमें हर साल हजारों लोग मारे जाते हैं।

लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड द्वारा किए एक शोध में पता चला है कि जिस तरह से रोड पर बर्फ हटाने, खेतों में उपज बढ़ाने और अन्य चीजों के लिए इस नमक का इस्तेमाल बढ़ रहा है, उसके कारण उत्पन्न होने वाले जहरीले रसायन साफ पानी और स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। सुजय कौशल की अगुवाई में किया गया यह शोध जर्नल बायोजियोकेमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ है।

कौशल और उनकी टीम द्वारा इससे पहले किए गए अध्ययनों से पता चला है कि पर्यावरण में अतिरिक्त नमक मिट्टी और इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ मिलकर मेटल, ठोस पदार्थों और रेडियोधर्मी कणों का एक घोल बनता है जो साफ पानी को जहरीला बना रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे फ्रेशवाटर सालिनाइजेशन सिंड्रोम का नाम दिया है। यह स्वास्थ्य, कृषि, बुनियादी ढांचे, वन्य जीवन और पारिस्थितिक तंत्र की स्थिरता पर बुरा असर डाल रहा है।

इस नए शोध में पहली बार फ्रेशवाटर सालिनाइजेशन सिंड्रोम के मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहे जटिल और परस्पर प्रभावों का अध्ययन किया गया है। इसके अनुसार यदि इस नमक के प्रबंधन और नियमन पर ध्यान न दिया गया तो यह दुनिया भर में साफ पानी की आपूर्ति पर व्यापक असर डाल सकता है।

कौशल के अनुसार हमें लगता था कि जब हम सर्दियों में इस नमक को सड़क पर डालते हैं तो यह कोई बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न नहीं करता और धुल जाता है। लेकिन शोध से पता चला है कि ऐसा नहीं है यह हमारे आस पास ही जमा हो जाता है और पर्यावरण में लवण की मात्रा में इजाफा कर देता है।

वैश्विक स्तर पर देखी गई है क्लोराइड की मात्रा में वृद्धि

जब शोधकर्तांओं ने दुनिया भर में मीठे पानी की निगरानी करने वाले स्टेशनों के आंकड़ों और रिपोर्ट का विश्लेषण किया तो उन्हें पता चला कि वैश्विक स्तर पर क्लोराइड की मात्रा में वृद्धि हो रही है। क्लोराइड वो सामान्य तत्व है जो नमक में पाया जाता है। इसमें सोडियम क्लोराइड, खाने के नमक और कैल्शियम क्लोराइड, आमतौर पर सड़क पर छिड़कने लिए इस्तेमाल किया जाता है।

शोध के मुताबिक उत्तरपूर्वी अमेरिका में बढ़ती लवणता के लिए रोड़ों पर डाला जाने वाला नमक मुख्य रूप से जिम्मेवार है। लेकिन इसके साथ ही सीवेज, पानी की कठोरता को कम करने के लिए इस्तेमाल किया गया नमक, कृषि उर्वरक आदि भी इसके लिए जिम्मेवार हैं। इसके अलावा मीठे पानी में बढ़ते लवणता के लिए अप्रत्यक्ष स्रोतों में सड़कों, पुलों और इमारतों का होता विघटन शामिल हैं। इन सभी में आमतौर पर चूना पत्थर, कंक्रीट या जिप्सम होते हैं जो सभी नमक छोड़ते हैं।

अमोनियम युक्त उर्वरकों से भी शहरी बगीचों और कृषि क्षेत्रों में नमक का स्तर बढ़ सकता है। कुछ तटीय इलाकों में समुद्री जल स्तर के बढ़ने के कारण खारा पानी मीठे पानी के स्रोतों में लवण की मात्रा में इजाफा कर सकता है।

दुनिया भर में किए शोध इस बात की ओर इशारा करते हैं कि इन सभी नमक स्रोतों द्वारा जारी रासायनिक कॉकटेल, प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों वातावरणों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उदाहरण के लिए नमक की मात्रा में आया यह परिवर्तन खारे पानी के जीवों को साफ़ पानी की नदियों में रहने लायक बना रहा है। इसी तरह लवण द्वारा जारी रासायनिक कॉकटेल मिटटी और पानी में मौजूद सूक्ष्म जीवों को बदल सकते हैं और चूंकि यह सूक्ष्म जीव एक पारिस्थितिकी तंत्र में पोषक तत्वों के क्षय और पुनःपूर्ति के लिए जिम्मेदार होते हैं, ऐसे में यह परिवर्तन वातावरण में लवण, पोषक तत्वों और भारी धातुओं की मात्रा में वृद्धि कर सकते हैं।

यह नमक मानव निर्मित संरचनाओं जैस रोड पानी की पाइप आदि का भी क्षय कर रहे हैं जिससे भारी धातुएं मुक्त हो रही हैं और पानी में मिल रही हैं जैसा अमेरिका फ्लिंट शहर में पानी की सप्लाई के साथ हुआ था। ऐसे में वातावरण में अतिरिक्त नमक को रोकने के लिए इनका प्रबंधन और नियमन अति आवश्यक है। इसके लिए नई तकनीकों की भी मदद लेने की जरुरत है, जिससे न केवल साफ पानी बल्कि पूरे पर्यावरण को बचाया जा सके।

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