2023 नोबेल पुरस्कार: पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर दिया गया भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

2023 के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से तीन वैज्ञानिकों पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर को उनके अभूतपूर्व प्रयोगों के लिए संयुक्त रूप से दिया गया है
2023 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर/ फोटो: निकलास एल्मेहेड
2023 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार विजेता पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर/ फोटो: निकलास एल्मेहेड
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इस बार भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से तीन वैज्ञानिकों पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर को उनके अभूतपूर्व प्रयोगों के लिए संयुक्त रूप से दिया गया है। इसकी औपचारिक घोषणा रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने कर दी है।

बता दें कि इन तीनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार उनके अनूठे प्रयागों के लिए दिया गया है, जो मानवता को परमाणुओं और अणुओं के भीतर इलेक्ट्रॉनों की जांच करने के लिए शक्तिशाली उपकरण प्रदान करते हैं। पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर ने अपने प्रयोगों में दिखाया है कि प्रकाश की बेहद छोटी तरंगे कैसे उत्पन्न की जाती हैं। इसका उपयोग उन तीव्र प्रक्रियाओं को मापने के लिए किया जा सकता है, जिनमें इलेक्ट्रॉन गति करते हैं या ऊर्जा में बदलते हैं। 

देखा जाए तो हम इंसानों को तेजी से चलने वाली घटनाएं निरंतर चलती हुई प्रतीत होती है, ठीक उसी तरह जैसे अलग-अलग फ्रेमों में बनी कोई फिल्म निर्बाध गति से चलती दिखाई देती है। लेकिन वास्तव में उनमें  संक्षिप्त घटनाएं होती हैं। ऐसे में अति-संक्षिप्त घटनाओं का पता लगाने के लिए, हमें उन्नत तकनीक की आवश्यकता होती है। इलेक्ट्रॉनों की दुनिया में, ऐसे बदलाव मात्र एटोसेकंड के दसवें हिस्से के भीतर होते हैं। एक एटोसेकंड कितना क्षणभंगुर होता है कि उसे इस तरह समझा जा सकता है कि ब्रह्मांड के शुरू होने के बाद से उसमें कितने सेकंड बदले हैं यह उनके जितना ही है। 

अपने प्रयोगों में इन शोधकर्ताओं ने प्रकाश के इतने छोटे स्पंदन उत्पन्न किए हैं कि उन्हें एटोसेकंड में मापा जाता है, इस प्रकार यह साबित होता है कि इन स्पंदनों का उपयोग परमाणुओं और अणुओं के अंदर होने वाली प्रक्रियाओं की छवियां कैप्चर करने के लिए किया जा सकता है। बता दें की भौतिकी में नोबेल पुरस्कार स्टॉकहोम, स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज द्वारा प्रदान किया जाता है। इसके तहत पुरस्कार स्वरुप इन विजेताओं को स्वर्ण पदक, प्रमाणपत्र और करीब एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (करीब आठ करोड़ रुपए) की राशि दी जाती है।  

गौरतलब है पिछले वर्ष 2022 में तीन वैज्ञानिकों एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉसर और एंटोन जिलिंगर को क्वांटम फिजिक्स में उनके योगदान के लिए भौतिक के क्षेत्र में संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार दिया गया था। बता दें कि इनमें से एलेन एस्पेक्ट फ्रांस के भौतिक विज्ञानी हैं, वो पेरिस और स्केले यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं।

वहीं जॉन एफ क्लॉसर अमेरिका और एंटोन जिलिंगर ऑस्ट्रिया की विएना यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट और रिसर्चर हैं। इन वैज्ञानिको ने अपने प्रयोगों में क्वांटम इन्फॉर्मेशन के आधार पर नई तकनीक का रास्ता साफ किया है।

देखा जाए तो इन वैज्ञानिकों ने जो एक्सपेरिमेंटल टूल्स डेवेलप किए हैं, उन्होंने क्वांटम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत की है। उनके इस काम से नई पीढ़ी के शक्तिशाली कंप्यूटरों और दूरसंचार प्रणालियों के लिए नए आयाम खुल सकते हैं।

1901 से 2023 के बीच अब तक 224 वैज्ञानिकों को फिजिक्स यानी भौतिकी में उनके योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें चार महिला वैज्ञानिक भी शामिल हैं। 1903 में मैरी क्यूरी, 1963 में मारिया गोएपर्ट-मेयर, 2018 में डोना स्ट्रिकलैंड और 2020 में एंड्रिया घेज को यह पुरस्कार दिया गया था।

वहीं जॉन बारडीन एकमात्र ऐसे पुरस्कार विजेता हैं, जिन्हें 1956 और 1972 में दो बार भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है।

भारतीय वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रामन को भी मिल चुका है यह पुरस्कार

सबसे पहले 1901 में विलहम कॉनरैड रॉटजन को भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने नवम्बर 1895 में एक्स किरणों के रूप में जानी जाने वाली तरंग दैर्ध्य में विद्युच्चुम्बकीय विकिरण के होने का पता लगाया था। यदि भारत की बात करें तो सर चंद्रशेखर वेंकट रमन एकलौते ऐसे भारतीय वैज्ञानिक हैं जिन्हें फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार मिला है। उन्हें 1930 में यह पुरस्कार दिया गया था।

नोबेल पुरस्कार मशहूर वैज्ञानिक और खोजकर्ता अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर की गई है। वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर 1833 में हुआ था। 10 दिसंबर 1896 को इस वैज्ञानिक खोजकर्ता की मृत्यु हो गई थी।

इनके नाम पर 355 पेटेंट हैं, लेकिन यह अपनी डायनामाइट की खोज के लिए जाने जाते हैं। इन पुरस्कारों की स्थापना 1895 में की गई थी। वहीं 1901 में पहली बार यह पुरस्कार दिए गए थे।

इस साल नोबेल पुरुस्कारों की घोषणा सोमवार से शुरू हो चुकी है। इस कड़ी में सबसे पहले वैज्ञानिक कैटेलिन कैरिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया है। इन दोनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार कोविड-19 के प्रभावी टीकों से जुड़ी उनकी खोज के लिए दिया गया है।

इसके बाद बुद्धवार चार अक्टूबर 2023 को केमिस्ट्री के नोबेल विजेताओं की घोषणा होगी। वहीं साहित्य यानी लिटरेचर के पुरस्कार की घोषणा पांच अक्टूबर को और नोबेल पीस प्राइज की घोषणा छह अक्टूबर 2023 को होगी, जबकि नौ अक्टूबर 2023 को अर्थशास्त्र के नोबेल विजेताओं की घोषणा की जाएगी।

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