क्वांटम डॉट्स की खोज के लिए माउंगी बावेंडी, लुईस ब्रूस और एलेक्सी एकिमोव को मिला केमिस्ट्री में नोबल पुरस्कार

क्वांटम डॉट्स की खोज और संश्लेषण के लिए माउंगी जी बावेंडी, लुईस ई ब्रूस और एलेक्सी आई एकिमोव को 2023 के लिए केमिस्ट्री के नोबल अवार्ड से सम्मानित किया गया है
2023 में केमिस्ट्री के नोबेल पुरस्कार विजेता मौंगी जी बावेंडी, लुईस ई ब्रूस और एलेक्सी आई एकिमोव/ फोटो: निकलास एल्मेहेड
2023 में केमिस्ट्री के नोबेल पुरस्कार विजेता मौंगी जी बावेंडी, लुईस ई ब्रूस और एलेक्सी आई एकिमोव/ फोटो: निकलास एल्मेहेड
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रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने आज स्टॉकहोम के करोलिंस्का इंस्टीट्यूट में केमिस्ट्री यानी रसायन शास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नामों घोषणा कर दी है। क्वांटम डॉट्स की खोज और संश्लेषण के लिए माउंगी जी बावेंडी, लुईस ई ब्रूस और एलेक्सी आई एकिमोव को 2023 के लिए केमिस्ट्री के नोबल अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार क्वांटम डॉट्स की खोज और इसके विकास के लिए दिया गया है। बता दें कि क्वांटम डॉट्स ऐसे नैनोपार्टिकल्स होते हैं जो आकार में इतने छोटे होते हैं कि उनका आकार ही उनके गुणों को निर्धारित करता है।

आज इन बेहद छोटे नैनोपार्टिकल्स का उपयोग कंप्यूटर मॉनिटर और टेलीविजन स्क्रीन से लेकर चिकित्सा के क्षेत्र तक में किया जाता है। इन्हें टेलीविजन और एलईडी लैंप को रौशन करने के लिए उपयोग किया जाता है। इनका उपयोग मेडिकल इमेजिंग में सर्जनों को मार्गदर्शन करने से लेकर कैंसर दवाओं के बेहतर लक्ष्यीकरण और सौर पैनलों में भी किया जाता है।

गौरतलब है कि माउंगी बावेंडी, लुइस ब्रुस, एलेक्सी एकिमोव तीनों ही अमेरिकी में कार्यरत हैं। जहां माउंगी जी बावेंडी मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से जुड़े हैं। वहीं लुईस ई ब्रूस कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, जबकि एलेक्सी आई एकिमोव नैनोक्रिस्टल टेक्नोलॉजी आईएनसी, न्यूयॉर्क के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक हैं।

रूसी भौतिक विज्ञानी एलेक्सी आई एकिमोव को 1980 के दशक में पहली बार क्वांटम डॉट्स की खोज करने का श्रेय जाता है। उन्होंने पहली बार रंगीन कांच में आकार-निर्भर क्वांटम प्रभाव हासिल किया। एकिमोव ने दिखाया कि इन कणों का आकार क्वांटम प्रभावों के माध्यम से कांच के रंग को प्रभावित करता है। उसके कुछ साल बाद लुईस ई ब्रूस दुनिया के वो पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने किसी तरल पदार्थ में स्वतंत्र रूप से तैरते कणों में आकार-निर्भर क्वांटम प्रभाव को साबित किया।

इसके बाद 1993 में, माउंगी बावेंडी ने क्वांटम डॉट्स के रासायनिक निर्माण में क्रांति ला दी, जिससे करीब-करीब दोषरहित कण तैयार हो पाए। उन्होंने इन कणों को अधिक नियंत्रित तरीके से बनाने की एक विधि का आविष्कार किया, जिसका अर्थ है कि उन्हें अधिक आसानी से बनाया जा सकता है।

पिछले वर्ष 2022 में कैरोलिन आर बेरटोजी, मॉर्टेन मिएलडॉल और बैरी शार्पलेस ने यह पुरस्कार जीता था। इन तीनों वैज्ञानिकों को यह अवॉर्ड क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास में उनके योगदान के लिए दिया गया था।

बता दें कि बैरी शार्पलेस और मॉर्टेन मिएलडॉल ने केमिस्ट्री को कार्यात्मकता के युग में लाने के लिए अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने केमेस्ट्री के फंक्शनल फार्म ‘क्लिक केमिस्ट्री’ की नींव रखी है। वहीं कैरोलिन आर बेरटोजी क्लिक केमिस्ट्री को एक नए आयाम में ले गई हैं, उन्होंने कोशिकाओं को मैप करने के लिए इसका उपयोग शुरू कर दिया है। जो कई अन्य क्षेत्रों के साथ कैंसर के इलाज में भी मददगार साबित हुआ है।

वहीं पिछले वर्ष 2021 में बेंजामिन लिस्ट और डेविड डब्ल्यू सी मैकमिलन को यह अवार्ड दिया गया था। यदि रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के इतिहास पर नजर डालें तो 1901 से 2023 के बीच 194 नोबेल पुरस्कार विजेताओं को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है। अब तक कुल 115 बार यह पुरस्कार दिया गया है।

फ्रेडरिक सेंगर और बैरी शार्पलेस दोनों को दो बार रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस तरह अब तक कुल 192 वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार मिल चुका है। हालांकि अब तक किसी भी भारतीय वैज्ञानिक को यह पुरस्कार नहीं मिला है। हालांकि भारत मूल के वैज्ञानिक वेंकटरमन रामकृष्णन को मॉलिक्युलर बायोलॉजी के क्षेत्र में योगदान देने के लिए 2009 में यह अवार्ड दिया गया था। जिनका जन्म 1952 में तमिलनाडु में हुआ था। वेंकटरमन एक ब्रिटिश-अमेरिकी संरचनात्मक जीवविज्ञानी हैं, जिन्हें 2010 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

इससे पहले सोमवार को वैज्ञानिक कैटेलिन कैरिको और ड्रू वीसमैन को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। इन दोनों वैज्ञानिकों ने महामारी के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीके विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से दुनिया भर में लाखों जिंदगियां बचाई जा सकी।

इस बारे में जानकारी साझा करते हुए नोबेल असेंबली ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी है कि इन दोनों वैज्ञानिकों ने न्यूक्लियोसाइड आधारों को संशोधित करने से जुड़ी महत्वपूर्ण खोजें की है, जिनकी वजह से कोविड-19 के एमआरएनए टीके विकसित हो पाना मुमकिन हो पाया है।

वहीं तीन वैज्ञानिकों पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर को इस वर्ष का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। बता दें कि इन तीनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार उनके अनूठे प्रयागों के लिए दिया गया है, जो मानवता को परमाणुओं और अणुओं के भीतर इलेक्ट्रॉनों की जांच करने के लिए शक्तिशाली उपकरण प्रदान करते हैं।

इसके बाद पांच अक्टूबर 2023 को साहित्य यानी लिटरेचर के पुरस्कार की घोषणा की जाएगी, जबकि नोबेल पीस प्राइज की घोषणा शुक्रवार छह अक्टूबर 2023 को होगी। इसके बाद सोमवार नौ अक्टूबर 2023 को अर्थशास्त्र के नोबेल विजेताओं की घोषणा की जाएगी।

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