आज हम जिस इंसानी दिमाग के बारे में जानते हैं उसकी उत्पत्ति उतनी पहले नहीं हुई थी जितना हमें अनुमान था। एक नए शोध से पता चला है कि आधुनिक मनुष्य के दिमाग का विकास करीब 17 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका में होना शुरु हुआ था। उस समय अफ्रीका में पत्थर का औजारों के रूप में इस्तेमाल शुरु हो चुका था। इसके थोड़े समय बाद नई होमो आबादी दक्षिण पूर्व एशिया में फैल गई थी। इसके बारे में जीवाश्म के रूप में मिली खोपड़ी से पता चला है, जिसका हाल ही में टोमोग्राफी विश्लेषण किया गया है।
आज हम जिन इंसानों को जानते हैं वो अपने निकटतम रिश्तेदार, महान वन मानुषों से काफी अलग हैं। आज हम जमीन पर रहते हैं, दो पैरों पर चलते हैं। साथ ही हमारे पास एक बड़ा और विकसित दिमाग भी है। गौरतलब है कि इंसानी जीन होमो पहली बार लगभग 25 लाख साल पहले अफ्रीका में उभरी थी, वो पहले से ही सीधे चलते थे। लेकिन उनके दिमाग का आकार आज के मनुष्यों के दिमाग का केवल आधा था।
अफ्रीका में इन शुरुआती होमो आबादी में आदिम वानर जैसा दिमाग था। जो काफी हद तक उनके विलुप्त हो चुके पूर्वजों ऑस्ट्रैलोपाइथेशियन से काफी मिलता जुलता था। ऐसे में बड़ा सवाल यह था कि आधुनिक मनुष्य का दिमाग कब और कहां विकसित हुआ था।
लेकिन हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस पहेली का उत्तर ढूंढ लिया है। उनके अनुसार आज आधुनिक मानव के मस्तिष्क को जो संरचनाएं हैं वो आज से 15 से 17 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीकी होमो आबादी में उभरी थी।
यह जानकारी शोधकर्ताओं द्वारा 10 से 20 लाख वर्ष पूर्व के अफ्रीका और एशिया में रहने वाले होमो के खोपड़ी के जीवाश्मों की जांच में सामने आई है जिसका शोधकर्ताओं ने टोमोग्राफी विश्लेषण किया है। इसके साथ ही उन्होंने मनुष्यों और वन मनुष्यों के जीवाश्म से जुड़े आंकड़ों का भी तुलनात्मक विश्लेषण किया है।
विश्लेषण से पता चला है कि उनका दिमाग आकार के साथ-साथ कई अन्य तरह से भी वन मानुषों से अलग है। विशेषतौर पर दिमाग की बनावट और वो किस जगह होता है वो उनसे काफी अलग है। उनके दिमाग के ललाटखंड में काफी अंतर था यह क्षेत्र योजना बनाने, विचार और उनकी क्रियान्वयन के जटिल पैटर्न और उनकी बोली के लिए भी जिम्मेवार होता है। चूंकि दिमाग का यह हिस्सा काफी बड़ा होता है इसलिए बाकी हिस्से पीछे होते हैं।
अफ्रीका के बाहर अब तक पहली होमो आबादी के अवशेष दमनिसी में मिले थे, जो अब जॉर्जिया में है। वहां से मिले जीवाश्म भी अफ्रीकी रिश्तेदारों की तरह ही आदिम हैं। ऐसे में यह माना जाता है कि 17 लाख साल पहले तक दिमाग उतना बड़ा और विकसित नहीं था, हालांकि शुरुवाती मानव भी कई तरह के उपकरण बनाने में सक्षम थे।
यह यूरेशिया की नई पर्यावरणीय स्थितियों के अनुकूल जीने, जानवरों से भोजन प्राप्त करने और अपने समूह के सदस्यों की मदद करने की समझ उनमें थी। वैज्ञानिकों का मत है कि इसी अवधि में शुरुवाती रूप से इंसानों ने एक दूसरे से बात करना शुरू किया था। जावा में मिले जीवाश्म इस बात का सबूत हैं कि यह नई आबादी बेहद सफल थी। साथ ही यह अफ्रीका में अपनी पहली उपस्थिति के कुछ समय बाद ही अपनी काबिलियत की वजह से दक्षिण पूर्व एशिया में भी फैल गए थे।