प्राचीन ब्रह्मांड के बारे में मिला सुराग

क्वासर की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में 13 अरब साल लग गए
An artist's rendition of the most distant quasar which is not as 'radio-loud' as the new discovery
An artist's rendition of the most distant quasar which is not as 'radio-loud' as the new discovery
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खगोलविदों ने आज तक पहचाने गए रेडियो उत्सर्जन के सबसे दूर के स्रोत की खोज की है और साथ ही उसका विश्लेषण भी किया है। यह स्रोत वह है, जिसे वैज्ञानिक एक रेडियो-लाउड क्वासर कहते हैं, यह एक ऐसी उज्ज्वल चीज है, जो शक्तिशाली तरंगों के साथ रेडियो तरंग दैर्ध्य में निकलती है।

इसके लिए खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेटरीज की सबसे बड़ी टेलीस्कोप (ईएसओ का वीएलटी) की मदद ली है। द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, क्वासर की रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में 13 अरब साल लग गए।   

क्वासर आकाशगंगा में बहुत चमकदार चीज हैं जो रेडियो आवृत्तियों पर धारा का उत्सर्जन करती हैं। वे केवल आकाशगंगा में पाए जाते हैं, जिनमें विशालकाय (सुपरमैसिव) ब्लैकहोल होते हैं जो इन चमकने वाले डिस्क को ऊर्जा देते हैं। हालांकि उनमें से 90 प्रतिशत शक्तिशाली रेडियो तरंगों का उत्सर्जन नहीं करते हैं, जो इस नए खोज को विशेष बनाती हैं।

अधिकांश सक्रिय आकाशगंगाओं के केंद्र में एक विशालकाय ब्लैक होल होता है जो आसपास की वस्तुओं को खींच लेता है। क्वासर का निर्माण एक ब्लैकहोल के चारों ओर घुमावदार भाग से निकलने वाली सामग्रियों द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा से होता है।

क्वासर, जिसने तरंग दैर्ध्य उत्सर्जित किया इसे पी172 + 18 को नाम दिया गया है, जिसमें 6.8 की लाल चक्र (रेडशिफ्ट) था। छह से अधिक रेडशिफ्ट वाले केवल 3 अन्य 'रेडियो-लाउड’ स्रोतों को अब तक खोजा जा चुका है और सबसे दूर वाले हिस्से में 6.18 का रेडशिफ्ट था। रेडियो तरंग दैर्ध्य का रेडशिफ्ट जितना अधिक होता है, उतना ही उसका स्रोत दूर होता है।

वैज्ञानिकों ने बताया, यह विशेष तरह का क्वासर दिखाई देता है क्योंकि यह तब था जब ब्रह्मांड लगभग 78 करोड़ वर्ष पुराना था। ब्लैकहोल के चारों ओर चमकता हुआ डिस्क हमारे सूर्य की तुलना में 30 करोड़ गुना अधिक है, इस प्रकार प्राचीन तारा प्रणालियों और खगोलीय पिंडों के बारे में सुराग मिलता है।

यह सबसे तेज गति वाले क्वासर में से एक है, जिसका अर्थ है कि यह आकाशगंगा से तेजी से यह वस्तुओं को जमा कर रहा है। टीम ने यह पता लगाया कि इसके केंद्र में ब्लैकहोल अपनी आकाशगंगा से एक आश्चर्यजनक दर पर खपत कर रहा है।

चिली में ईएसओ के साथी चियारा माज़ुक्शेल्ली, जिन्होंने जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोनॉमी के एडुआर्डो बानादोस के साथ खोज का नेतृत्व किया उन्होंने कहा ब्लैक होल में बहुत तेजी से पदार्थ समा रहाे है, जो कि अब तक देखी गई उच्चतम दरों में से एक है।

वैज्ञानिकों को लगता है कि क्वासर से निकलने वाले शक्तिशाली रेडियो जेट्स ने ब्लैकहोल की भूख को कम किया हैं। ईएसओ के एक बयान में कहा गया कि जेट को ब्लैक होल के चारों ओर गैस को बाधित करने में सक्षम माना जाता है, जिससे गैस निकलती है।

इन 'रेडियो-लाउड' चमकने वाले चीजों का विस्तृत अध्ययन खगोलविदों को यह समझने के लिए प्रेरित कर सकता है कि बिग बैंग के बाद से उनके कोर में विशालकाय ब्लैकहोल्स कैसे तेजी से बढ़े।

टीम का मानना है कि प्राचीन ब्रह्मांड के बारे में कहानियों को बताने वाले ऐसे और क्वासर मिल जाएंगे, जो शायद धरती से बहुत दूर हैं।

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