आज के इस तकनीकी युग में स्मार्ट तकनीकों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं। उनमें से एक है कि स्मार्ट तकनीकें हमें मूढ़ बना रही हैं, जो हमारे सोचने समझने की क्षमता को प्रभावित कर रही हैं, लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी द्वारा किए एक शोध में इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि यह स्मार्ट डिजिटल तकनीकें हमारे सोचने समझने की क्षमता को हानिकारक नुकसान नहीं पहुंचा रही हैं, हालांकि वो हमारे सोचने समझने और अनुभव करने के तरीकों में बदलाव जरूर कर रही हैं।
यह सही है कि कंप्यूटर, मोबाइल जैसे उपकरणों से निकलने वाली ब्लू रे, ड्राइविंग करते हुए मैसेज करना, गर्दन और कन्धों की मांसपेशियों में खिंचाव जैसी समस्याएं जरूर होती हैं। इनसे इंकार नहीं किया जा सकता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी के सामाजिक व्यवहार विशेषज्ञ और इस शोध से जुड़े शोधकर्ता एंथनी चेमेरो ने बताया कि "सुर्खियों के बावजूद, इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह दर्शाते हों कि स्मार्टफोन और डिजिटल तकनीकें हमारी सोचने समझने की क्षमता को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे जुड़ा शोध जर्नल नेचर ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित हुआ है।
अपने इस शोध में चेमेरो और उनके सहयोगियों ने डिजिटल युग के विकास के बारे में विस्तार से बताया है। उन्होंने यह भी बताया है कि किस तरह यह स्मार्ट तकनीकें सोच को पूरक बनाती हैं जो हमें उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करती है।
कैसे हमें तेज बना रही हैं यह तकनीकें
चेमेरो ने बताया कि हम अपने दिमाग की सोचने समझने की क्षमता को किस तरह से इस्तेमाल करते हैं, इसे स्मार्टफोन और डिजिटल तकनीकों ने बदल दिया है। यह परिवर्तन यदि देखा जाए तो वास्तव में संज्ञानात्मक रूप से फायदेमंद हैं। उदाहरण के लिए आपका स्मार्टफोन बेसबॉल स्टेडियम का रास्ता जानता है, इससे आपको उसका रास्ता पूछने और उसे मानचित्र में ढूंढने की जरुरत नहीं रह जाती। इस तरह यह आपके मस्तिष्क की ऊर्जा को कुछ और सोचने के लिए मुक्त करता है।
इसी तरह आज जटिल गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए कागज और पैन की जरुरत नहीं रह गई है। वहीं फोन नंबर याद रखने की जरुरत नहीं रह गई है। उनके अनुसार कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्ट फोन, एक सहायक के रूप में काम करते हैं। यह याद रखने, गणना करने और जानकारी संग्रहीत करने में मदद करते हैं और जब हमें उस जानकारी की जरुरत होती है तो यह उसे प्रस्तुत कर देते हैं।
इस शोध से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता लोरेंजो सेकुट्टी के अनुसार इनके अतिरिक्त स्मार्ट टेक्नोलॉजीज निर्णय लेने के कौशल को भी बढ़ाती है जिसे पूरा करने के लिए हमें खुद कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। वे बताते हैं कि यदि हमें किसी नए शहर में गाड़ी से जाना हो तो यह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है पर हमारे फ़ोन में मौजूद जीपीएस इसे आसान बना देता है। यह न केवल हमें नियत स्थान पर पहुंचने में मदद करता है साथ ही वो हमें यातायात की स्थिति के आधार पर बेहतर मार्ग चुनने में भी मदद करता है।
कमेरो बताते हैं कि इन तकनीकों की मदद से हम कहीं अधिक जटिल कार्यों को कर पाने में सक्षम हैं, जिन्हें शायद हम इनके बिना नहीं कर पाते। हालांकि हो सकता है यह किसी और तरह से हमें प्रभावित कर रही हो, पर यह हमें मूढ़ बना रही है, यह सही नहीं है।