पानी से जहरीले क्रोमियम को अलग करने वाला स्पंज बनाया

क्रोमियम से डीएनए को भारी नुकसान पहुंचता है और यह कैंसर के ट्यूमर का निर्माण करता है
Photo: Flickr
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हेक्सावलेंट क्रोमियम दुनिया भर के जल स्रोतों को दूषित करता है, यह अत्यंत विषैला माना जाता है। सांस लेने या निगलने जाने से यह जान तक ले सकता है। इसका उपयोग करने के लिए यूरोप और दुनिया भर के कई देशों ने कठोर नियम बनाए है। यह जीनोटॉक्सिक माना जाता है, जिससे डीएनए को भारी नुकसान होता है और यह कैंसर के ट्यूमर का निर्माण करता है।

हेक्सावलेंट क्रोमियम केमिकल का उपयोग कई औद्योगिक प्रक्रियाओं में होता है। जैसे चमड़ा उद्योग, क्रोमियम की परत चढ़ाने, रंगीन कांच बनाने और पेंट पिगमेंट और स्याही में होता है। यह अक्सर पानी के साथ बहकर जल स्रोतों तक पहुंच जाता है तथा उन्हें प्रदूषित करता है।

स्विट्जरलैंड के इकोले पॉलीटेक्निक फेडरेल डे लौसेन (ईपीएफएल) के रसायनज्ञ पानी से, इस हेक्सावलेंट क्रोमियम, प्रदूषण को दूर करने के लिए कम ऊर्जा खपत करने वाले उपकरण विकसित कर रहे हैं। दुनिया भर में सभी को स्वच्छ पानी प्रदान करना वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। तेजी से पानी के प्रदूषण को दूर करने में सक्षम ऐसे उपकरण का विकास करना, वैश्विक स्तर पर मानव स्वास्थ्य और पर्यावरणीय  कल्याण में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है। यह शोध जर्नल ऑफ मैटेरियल्स केमिस्ट्री ए में प्रकाशित हुआ है।

क्वीन और सहकर्मी स्पंज जैसी एक सामग्री विकसित कर रहे हैं जो मिश्रण से विशिष्ट पदार्थों को एकत्र कर अलग कर सकते हैं। ये पदार्थ वास्तव में क्रिस्टल हैं, जिन्हें धातु-कार्बनिक ढांचा (मेटल आर्गेनिक फ्रेमवर्क, एमओएफ) भी कहा जाता है, और वैज्ञानिक इस विशेष पदार्थ की मदद से  पानी से जहरीले पदार्थों को अलग करने की कोशिश कर रहे हैं।

यह सामग्री अत्यधिक छिद्रयुक्त होती हैं और इसकी सतह का क्षेत्र एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा हो सकता है। दूषित पदार्थ तब इन छिद्रों में प्रवेश करता है और सोखने की प्रक्रिया के दौरान आंतरिक सतह से चिपक जाते हैं।

वैज्ञानिकों ने यह भी दिखाया कि उनका यह उपकरण अन्य पदार्थों के मिश्रण जैसे सोना, पारा और सीसे को सोख कर अलग कर सकता है।

क्वीन की अगुवाई में ईपीएफएल के वैज्ञानिक बेरेंड स्मिट और बर्दिया वलीजादेह ने पानी से हेक्सावलेंट क्रोमियम को अलग करके दिखाया। हेक्सावलेंट क्रोमियम एक अपेक्षाकृत हल्का पदार्थ है जिसको लगभग 208 मिलीग्राम एमओएफ से निकाल सकते हैं। इसके अलावा, यदि एमओएफ पर प्रकाश डाला जाय, तो यह अत्यधिक विषैले हेक्सावेलेंट क्रोमियम को अपेक्षाकृत नॉनटॉक्सिक ट्रिटेंट क्रोमियम में बदल देता है।

शोधकर्ताओं ने कहा, प्रयोगशाला के बाहर पानी में से प्रदूषित पदार्थों को हटाने के लिए तथा तकनीक को लागू करने के लिए इस पर आगे और काम करने की आवश्यकता है।

क्वीन ने कहा उपकरण स्पंज के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे बनाना आसान और सस्ता है। स्पंज का अगले चरण में बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जाएगा, ताकि इस तकनीक को लागू किया जा सके।

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