वैज्ञानिकों ने की पौधों के नए जीन की पहचान

वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक नया दृष्टिकोण विकसित किया है जिससे शोधकर्ताओं को पौधे के लक्षणों को नियंत्रित करने वाले जीन की पहचान करने में काफी आसानी होगी
Photo: Creative commons
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गेटिंगन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक नया दृष्टिकोण विकसित किया है। इससे शोधकर्ताओं को पौधे के लक्षणों को नियंत्रित करने वाले जीन की पहचान करने में काफी आसानी होगी। साथ ही, सस्ते और टिकाऊ पौधों की किस्मों को विकसित करना भी आसान हो जाएगा।  

दावा किया गया है कि यह प्रयोग फल, सब्जी और अनाज की फसलों के लिए काफी लाभदायक रहेगा। यह शोध बीएमसी प्लांट बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। यह नई विधि जीडब्ल्युए (जेनोम वाइड एसोसिएशन) नामक उपकरण का विस्तार है। अब तक आनुवंशिक रूप से समान पौधों के बड़े समूह पर अध्ययन किया जाता है, इसमें समय भी अधिक लगता है और खर्च भी अधिक आता है। इस तरह के अध्ययन के शुरू होने से पहले इसकी तैयारी में छह साल तक लग सकते हैं।

लेकिन पौधों में जीन खोजने की इस नई तकनीक को उसी तरह से तैयार किया गया है जैसे मानव डीएनए का अध्ययन करने के लिए तकनीक को तैयार किया गया था, जिसमें हजारों लोगों के डीएनए नमूने की तुलना की जाती है। उल्लेखनीय है कि डीएनए के नमूने हर किसी के अलग-अलग होते हैं, उसी तरह से पौधों में माप ( लंबाई, आकार) के आधार पर जीन हो सकते हैं।

चूंकि हर पौधे की लंबाई, आकार बदलता रहता है, जिससे पौधों की माप भी अलग-अलग हो जाती है, इसलिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विधि विकसित की, जो उन्हें पाधे के (आकार, लंबाई, आदि) के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली तकनीकों के साथ उनमें जीन, जीडब्ल्युए (जेनोम वाइड एसोसिएशन) का अध्ययन करने में मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों ने यह जांच की कि क्या पौधे की ऊंचाई में शामिल जीनों का सही पता लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने शुरुआती किस्म के सफेद मक्के (व्हाइट कॉर्न) के चार खेत लगाए और उन पौधों की ऊंचाई मापी। उन्होंने मक्का जीनोम में संभावित 39,000 जीनों में से तीन जीनों की पहचान की, जो पौधे की ऊंचाई को नियंत्रित कर रहे थे। इन तीनों जीनों के प्रभाव को अन्य मक्का किस्मों पर पिछले अध्ययनों द्वारा सही बताया गया था। इससे पता चला कि उनका यह तरीका काम कर रहा था।

गेटिंगेन विश्वविद्यालय में प्लांट ब्रीडिंग मेथडोलॉजी विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर टिमोथी बीइसिंगर ने कहा कि अभी तक वैज्ञानिकों ने आमतौर पर जीन की खोज करने के लिए आनुवंशिक रूप से समान पौधों की बड़ी संख्या को लिया था, लेकिन हमने एक अलग तरह का प्रयोग किया है जिसमें मक्के की फसल को लिया गया है, और हमने इसमें असमान माप के पौधे लिए। मिसिसिपी (यूएसए) पीएचडी के छात्र, जो इस अध्ययन के पहले शोधकर्ता हैं, अबिकार ग्यावली ने आगे कहा, यह उन शोधकर्ताओं के लिए बहुत अच्छी खबर है, जो फसलों में जीन खोजने में रुचि रखते हैं, वे पौधे जो आनुवंशिक रूप से समान नहीं हैं या वे फसलें जिनका उत्पादन लंबे समय में होता है।

बिसिंगर ने कहा, रोचक बात यह है कि इस अध्ययन के आधार पर अन्य खाद्य फसलों में शोध किया जा सकता है। उद्योग और सरकार के समर्थन के कारण, मक्का में बड़े पैमाने पर अध्ययन करने के लिए पहले से ही संसाधन उपलब्ध हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने अनगिनत सब्जियों, फलों और अनाज का अध्ययन किया है, जिन पर कई समुदाय भरोसा करते हैं। यह एक सफलता है जो दुनिया भर में खाद्य फसलों में पोषण और स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिए जीन की विशेषताओं को सस्ते और तेज़ी से पहचान करने में सक्षम होगी।

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