अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कृमि (वर्म) की एक नई प्रजाति खोजी है। उनका दावा है कि यह नन्हा जीव कीटनाशकों के बिना भी फसलों को कीटों से सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो सकता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह सूक्ष्म कृमि पहले कीटों को संक्रमित करते हैं, फिर उन्हें खत्म कर देते हैं। वैज्ञानिकों ने अमेरिकी जीवविज्ञानी बायरन एडम्स के सम्मान में इस नई प्रजाति को 'स्टीनरनेमा एडम्सी' नाम दिया है।
इसकी शारीरिक बनावट का जिक्र करते हुए वैज्ञानिक लिखते हैं कि यह आकार में बेहद छोटे होते हैं, इन्हें माइक्रोस्कोप के बिना देखना करीब-करीब नामुमकिन होता है। इनकी चौड़ाई मानव बाल से करीब आधी और लंबाई एक मिलीमीटर से भी कम होती है।
यह खोज यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइड के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है, जिसके नतीजे जर्नल ऑफ पैरासिटोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। गौरतलब है कि कृमि की यह नई प्रजाति स्टीनरनेमा नामक नेमाटोड परिवार की सदस्य है। स्टीनरनेमा नेमाटोड को सबसे पहले 1920 में खोजा गया था। इनका उपयोग लम्बे समय से फसलों में लगने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता रहा है।
वैज्ञानकों का कहना है कि स्टीनरनेमा नेमाटोड इंसानों और अन्य स्तनधारियों के लिए सुरक्षित हैं। शोध में यह भी सामने आया है कि कृमि की यह नई प्रजाति न केवल गर्म और आर्द्र क्षेत्रों में पनप सकती है, साथ ही फसलों को कीटों से सुरक्षित रखने में भी मददगार साबित हो सकती है। इन क्षेत्रों में दूसरी नेमाटोड प्रजातियां जीवित रहने के लिए संघर्ष करती हैं।
इस बारे में प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर एडलर डिलमैन का कहना है कि, "हम हर साल फसलों पर खरबों कीड़ों का छिड़काव करते हैं, वे आसानी से उपलब्ध होते हैं।"
उनके मुताबिक स्टीनरनेमा की 100 से ज्यादा प्रजातियां उपलब्ध होने के बावजूद, वैज्ञानिक हमेशा नई विविधताओं की तलाश में रहते हैं। उनका मकसद ऐसी प्रजातियों की खोज करना है जो विभिन्न जलवायु में पनप सकें और कीटों के विशिष्ट प्रकारों को लक्षित करने की क्षमता रखते हों।
‘स्टीनरनेमा एडम्सी’ को क्या बनाता है खास
इस बारे में जानकारी देते हुए प्रेस विज्ञप्ति में शोधकर्ताओं ने उल्लेख किया है कि एक अलग स्टीनरनेमा प्रजाति की गहरी समझ हासिल करने की उम्मीद में, डिलमैन की प्रयोगशाला ने थाईलैंड में अपने सहकर्मियों से कुछ नमूनों मंगाए थे। जब हमने इन नमूनों का डीएनए विश्लेषण किया तो पाया कि ये वे नहीं थे, जिनका हमने अनुरोध किया था। आनुवंशिक रूप से, वे पहले दर्ज किए गए दूसरे कृमि से भिन्न थे। शोधकर्ताओं ने इन वर्म की पहचान 'स्टीनरनेमा एडम्सी' के रूप में की है जोकि नेमाटोड की एक नई प्रजाति है।
बता दें कि नेमाटोड अविश्वसनीय तौर पर विविधता से भरे होते हैं। यह धरती पर करीब-करीब हर वातावरण में पाए जाते हैं। आम तौर पर यह बेहद सूक्ष्म होते हैं, लेकिन इनकी कुछ प्रजातियां कई मीटर तक लंबी हो सकती हैं। इनमें से कुछ परजीवी होते हैं और कई पारिस्थितिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिसमें कार्बनिक पदार्थ को विघटित करना और कीड़ों की आबादी को नियंत्रित करना शामिल है।
इस कृमि में कीड़ो को मरने की अनूठी क्षमता होती है। शोध के मुताबिक किशोरावस्था में नेमाटोड मिट्टी में रहते हैं, इस दौरान इनका विकास अवरुद्ध रहता है। इस चरण के दौरान, वे संक्रमित करने के लिए कीड़ों की तलाश में मिट्टी में घूमते हैं।
एक बार जब उन्हें मेजबान का पता लग जाता है तो वो उनके शरीर में प्रवेश कर उसमें हानिकारक बैक्टीरिया छोड़ देते हैं। इससे वो कीड़ा संक्रमित हो जाता है। यह संक्रमण बेहद घातक होता है क्योंकि इसके 48 घंटों के भीतर ही कीट मर जाता है। इसके बाद यह नेमाटोड उस कीट के शरीर उपयोग अपनी नई पीढ़ियों के विकास के लिए करता है।
शोधकर्ताओं का अगला लक्ष्य इस नेमाटोड की विशिष्ट विशेषताओं को उजागर करना है। उनका कहना है कि हम अभी भी पूरी तरह निश्चित नहीं हैं कि क्या यह वर्म गर्मी, यूवी प्रकाश, या शुष्क परिस्थितियों को सहन कर सकता है।
इसके अलावा यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह कितने कीड़ों को संक्रमित कर सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं के मुताबिक चूंकि स्टीनरनेमा एडम्सी एक ऐसे जीनस से संबंधित है जो कई कीट प्रजातियों को संक्रमित कर सकती है, उन्हें भरोसा है कि यह कीटों की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ प्रभावी होगा।