वैज्ञानिकों ने समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए विकसित की स्वदेशी तकनीक

स्वदेशी तकनीक की क्षमता समुद्र के पानी को हर दिन 1 लाख लीटर पीने योग्य पानी में बदलने की है
वैज्ञानिकों ने समुद्र के पानी को पीने योग्य बनाने के लिए विकसित की स्वदेशी तकनीक
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विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिकों ने समुद्र के पानी को पीने योग्य पानी में बदलने के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित की है।

यहां यह बताना जरूरी है कि तटीय इलाकों के साथ-साथ समुद्र के किनारे स्थित कस्बों और गांवों में पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन यह पीने योग्य नहीं है, इसे पीने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि समुद्र का पानी अक्सर खारा और अन्य खनिजों से भरपूर होता है। इसके परिणामस्वरूप, इसे पीने से कई तरह की बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है, इसलिए भी इस पानी को पीने के रूप में उपयोग करने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।

इस तरह समुद्र के पानी को पीने योग्य पानी में बदलने के साधन खोजने के लिए निरंतर शोध किए गए हैं जो पीने, खाना पकाने और अन्य व्यक्तिगत उपयोग के लिए उपयुक्त हो सकता है।

इसी को लेकर राज्यसभा में डॉ सिंह ने कहा कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) ने अपने स्वायत्त संस्थान राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) की मदद से समुद्र के पानी रूपांतरण के लिए कम तापमान तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) तकनीक विकसित की है।

यह ऐसी स्वदेशी तकनीक है जो प्राकृतिक तरीके से समुद्र के पानी को गर्म कर खारेपन को अलग कर देती हैं। इस तकनीक से समुद्र के पानी को पीने योग्य पानी में बदल दिया जाता है। वर्तमान में इस संयंत्र को लक्षद्वीप द्वीप में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है।

कम तापमान तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) तकनीक पर आधारित खारेपन को दूर करने वाले तीन संयंत्रों को केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के कवरत्ती, अगाती और मिनिकॉय द्वीपों में लगाया गया है। कम तापमान तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) संयंत्रों में से हर एक की क्षमता हर दिन 1 लाख लीटर पीने योग्य पानी में बदलने की है।

इन संयंत्रों की सफलता को देखते हुए, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने वैज्ञानिकों को केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में 1.5 लाख लीटर हर दिन की क्षमता वाले अमिनी, एंड्रोथ, चेटलेट, कदमत, कल्पेनी और किल्टन में 6 और एलटीटीडी संयंत्र स्थापित करने का काम सौंपा है। 

कम तापमान तापीय विलवणीकरण (एलटीटीडी) तकनीक को लक्षद्वीप द्वीप के लिए उपयुक्त पाया गया है जहां समुद्र की सतह के पानी और गहरे समुद्र के पानी के बीच लगभग 15 डिग्री सेल्सियस का जरूरी तापमान का अंतर है, जो लक्षद्वीप के तटों के आसपास के इलाकों में पाया जाता है।

उन्होंने बताया कि खारे पन को दूर करने के संयंत्र की लागत अन्य बातों के साथ-साथ कई कारकों पर निर्भर करती है जिसमें उपयोग होने वाली तकनीक और संयंत्र का स्थान शामिल है। लक्षद्वीप द्वीप समूह में छह एलटीटीडी संयंत्रों की कुल लागत 187.75 करोड़ रुपये है।

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