फोटो: विकास चौधरी
फोटो: विकास चौधरी

मवेशियों को टीबी से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने बनाया टीका

अभी इंसानों में इस्तेमाल होने वाली बीसीजी वैक्सीन ही मवेशियों को लगाई जाती है, लेकिन इसके बावजूद मवेशियों को फेफड़ों की टीबी हो जाती है, इसलिए अब वैज्ञानिकों ने नया टीका बनाया है
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इंग्लैंड स्थित सरे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मवेशियों में होने वाली टीबी (बोवाइन टीबी) के लिए एक नया टीका विकसित किया है। बोवाइन टीबी, मवेशियों के फेफड़ों को प्रभावित करने वाला एक संक्रामक रोग है।

वैज्ञानिकों का यह शोध जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने पहली बार एक टीका बनाया है, जो ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट (पीपीडी) के साथ उपयोग किया जा सकता है। यह ब्रिटेन में मवेशियों में टीबी की निगरानी के लिए कानूनी रूप से आवश्यक परीक्षण है।

अभी तक मवेशियों में बीसीजी वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है। यही वैक्सीन इंसानों में भी लगाई जाती है। चूंकि बीसीजी वैक्सीन का पीपीडी त्वचा परीक्षण के साथ उपयोग नहीं किया जा सकता है। जिन मवेशीयों को बीसीजी के टीके लगाए जाते हैं, उनमें बोवाइन टीबी के रोगाणु माइकोबैक्टीरियम बोविस का पता नहीं चल पाता है।

मवेशियों में बीसीजी का टीकाकरण इसलिए दुनिया के अधिकांश देशों में प्रतिबंधित है। मवेशियों की बीमारी के निदान के लिए पीपीडी त्वचा परीक्षण का उपयोग सबसे अच्छा विकल्प है।

इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने एक नया बीसीजी स्ट्रेन वैक्सीन बनाने के बारे में सोचा। इस वैक्सीन में कुछ ऐसे प्रोटीन की कमी है, जिससे माइकोबैक्टीरियम बोविस के रोगाणुओं के जीनों की पहचान की जा सकती है। साधारणतया इनमें एन्कोडेड इम्युनोजेनिक प्रोटीन होते हैं, जो बीसीजी से इसकी क्षमता को प्रभावित किए बिना हटाए जा सकते हैं।

शोधकर्ताओं ने बीसीजी स्ट्रेन का टीका गायों को लगाया और इनके जीवित रहने की दर को मापा इस परीक्षण ने टीम को उन जीनों की पहचान करने में मदद की, जिन्हें बीसीजी वैक्सीन की प्रभावशीलता से समझौता किए बिना हटाया जा सकता था।

गिनी पिग में नए बीसीजी स्ट्रेन टीके की सुरक्षा और प्रभावशीलता का परीक्षण किया गया। गिनी पिग में सुरक्षित और तेजी से टीबी का उपचार हुआ। शोधकर्ताओं ने कहा कि बीसीजी का यह नया टीका पशु चिकित्सकों और किसानों को अपने जानवरों की रक्षा करने में मदद करेगा। 

मवेशियों में होने वाली टीबी (बोवाइन टीबी) को फैलने से रोकने के लिए, प्रभावी टीकाकरण और बीमारी कि सटीक शुरुआती जांच महत्वपूर्ण है। यह नया टीका मवेशियों में होने वाली टीबी से सुरक्षा प्रदान करता है और आगे भी इस घातक बीमारी से लड़ने में मदद करेगा। यह बीमारी दुनिया भर में 5 करोड़ से अधिक मवेशियों को संक्रमित करती है जोकि किसानों के लिए आर्थिक रूप से विनाशकारी है।

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार, सन 2018 में भारत के लगभग 2.18 करोड़ मवेशी इस बीमारी से संक्रमित थे, यह संख्या तबके अमेरिका के डेयरी के गायों की कुल संख्या से अधिक थी। इस नए टीके से देश के करोड़ों मवेशियों को काल के गाल में जाने से बचाया जा सकता है। 

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