वैज्ञानिकों ने बनाई नई कूलिंग तकनीक, होगी बिजली की बचत

अमेरिका के वैज्ञानिकों ने यह तकनीक बनाई है, जो अत्यधिक कुशल, पर्यावरण के अनुकूल है। इसका आसानी से व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है
Photo: Sai Siddhartha
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अमेरिका स्थित मैरीलैंड विश्वविद्यालय (यूएमडी) के वैज्ञानिकों ने एक नई कूलिंग तकनीक इलास्टोकलोरिक बनाई है, जिसमें निकल (एनआई) और  टाइटेनियम (टीआई) मिश्र धातु शामिल है। इसे जोड़ने वाली (एडिटिव) तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है। यह तकनीक अत्यधिक कुशल, पर्यावरण के अनुकूल है। इसका आसानी से व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है। यह अध्ययन साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

दुनिया भर में ठंडा करने की (रेफ्रिजरेशन और हीटिंग, वेंटिलेशन, और एयर कंडीशनिंग (एचवीएसी)) प्रणालियों में उपयोग की जाने वाली कूलिंग तकनीक, अरबों डॉलर का व्यवसाय है। वाष्प कम्प्रेशन कूलिंग, जिसने 150 वर्षों से बाजार में अपना वर्चस्व कायम रखा है। इसके लिए उच्च ग्लोबल-वार्मिंग क्षमता (जीडब्ल्यूपी) के साथ केमिकल रेफ्रिजरेंट का भी उपयोग किया जाता है।

सॉलिड-स्टेट इलास्टोकैलिक कूलिंग, जो पिछले एक दशक से बनाई जा रही है। वैकल्पिक कूलिंग तकनीक में सबसे आगे है। शेप मेमोरी अलॉयज (एसएमए) एक महत्वपूर्ण इलास्टोकैलिक ठंडा करने वाला यंत्र हैं, हालांकि, यह एक समय के बाद ठंडा करना कम कर देता है जिसमें सुधार करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

इसी चुनौती को हल करने के लिए यूएमडी की अगुवाई में एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने इस काम को तेजी से किया। जेम्स क्लार्क स्कूल ऑफ़ इंजीनियरिंग के प्रोफेसर  इचिरो टेकूची ने एक 3D प्रिंटर की सहायता से, निकल और टाइटेनियम धातुओं के मिश्रण का उपयोग करके एक बेहतर इलास्टोकलोरिक ठंडा करने वाली सामग्री विकसित की है। यह वर्तमान तकनीक की तुलना में अधिक कुशल, लेकिन पूरी तरह से एनवायरनमेंट के अनुकूल है। इसके अलावा, इसका उपयोग बड़े उपकरणों में भी किया जा सकता है।

तुलनात्मक रूप से कहें तो, कैलोरी कूलिंग तकनीक के तीन वर्ग हैं - मैग्नेटोकलोरिक, इलेक्ट्रोकैलोरिक और इलास्टोकलोरिक - ये सभी 'एनवायरनमेंट के अनुकूल' और वाष्प-मुक्त हैं। तीनों में से सबसे पुराना मैग्नेटोकेलोरिक है, इसका पिछले 40 वर्षों से विकास हो रहा है और अभी व्यावसायिक तोर पर उपयोग किए जाने की कगार पर है।

टेकूची ने कहा, इस क्षेत्र में एडिटिव तकनीक की जरूरत है, जिसे 3 डी प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है,ये सामग्रियां हीट एक्सचेंजर्स के रूप में भी काम करती हैं, जिससे पानी जैसे माध्यम से ठंडा किया जा सकता है।

टेकुची लगभग एक दशक से इस तकनीक को विकसित कर रहे है। उन्होंने 2010 में इस शोध के लिए यूएमडी आउटस्टैंडिंग इन्वेंशन ऑफ ईयर का पुरस्कार प्राप्त किया था। इसी दौरान इलास्टोकलोरिक कूलिंग को थर्मोइलास्टिक कूलिंग के रूप में जाना गया। 2014 से ठंडा करने की यह तकनीक व्यावसायीकरण के करीब है।

टीम ने उनके इस नए ठंडा करने वाली तकनीक का भारी परीक्षण किया। इसने चार महीने की अवधि में दस लाख चक्रों को पार कर लिया और इसमें ठंडा करने में कोई कमी नहीं आई है। कुछ ज्ञात इलास्टोकैलिक सामग्री में सिर्फ सैकड़ों चक्रों के बाद ठंडा करने में गिरावट दिखना शुरू हो जाती है।  

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