दुनिया भर में कीड़ों की वजह से सालाना खाद्य उत्पादन का 25 फीसदी तक नुकसान होता है, जिनमें फसल को बर्बाद करने वाले मुख्य रूप से गुबरैले होते हैं। पिछले 50 करोड़ वर्षों से गुबरैले (बीटल) पूरी दुनिया भर में फैल गए हैं और उन्होंने अपने आपको वातावरण के अनुसार ढाल लिया है। अब पृथ्वी में प्रत्येक पांच जीवों की प्रजातियों में से एक गुबरैला है। प्राचीन मिस्र में इन हानिकारक छोटे कीड़े ने अन्न के भंडार पर हमला किया और फसलों को नष्ट करके लोगों को काफी परेशान किया था।
अब वैज्ञानिक ऐसी दवा का निर्माण करना चाहते हैं जो नुकसान पहुंचाने वाले गुबरैले का लक्षित तरीके से खात्मा करें।
फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले गुबरैलों के चलते खाद्य उत्पादन में कीटनाशकों का उपयोग प्रचुर मात्रा में होता है। इन कीटनाशकों का एक बड़ा हिस्सा जैव विविधता, पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। चूंकि विभिन्न कीटनाशकों के उपयोग को समय-समय पर बंद किया जाता है, इसलिए मधुमक्खियां जैसे फायदेमंद कीटों को नुकसान पहुंचाए बिना हानिकारक कीटों को निशाना बनाने और मिटाने के लिए नए समाधान की आवश्यकता होती है।
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग के शोधकर्ता इस विषय पर काम कर रहे हैं। निकट भविष्य में हानिकारक कीड़ों का मुकाबला करने के लिए पर्यावरणीय तरीकों को विकसित करने का एक व्यापक प्रयास कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि कौन से हार्मोन गुबरैले के गुर्दे में मूत्र के गठन को नियंत्रित करते हैं।
कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर केनेथ वेलबर्ग ने कहा कि यह जानते हुए कि कौन से हार्मोन मूत्र निर्माण को नियमित करते हैं, वे गुबरैले के हार्मोन के समान यौगिकों के विकास के बारे में जानकारी देते हैं, उदाहरण के लिए, गुबरैले में इतना मूत्र बन जाए, मूत्र के रूप में पानी शरीर से बाहर निकल जाए ताकि वे पानी की कमी से मर जाएं।
अध्ययनकर्ता ने कहा कि हालांकि, यह थोड़ा दोषपूर्ण लग सकता है, हमारे यहां ऐसा कुछ भी नया नहीं है जो खाद्य उत्पादन को बर्बाद करने वाले कीटों को नष्ट करने की कोशिश कर रहा हो। हम बस इसे सही तरीके से करने की कोशिश कर रहे हैं जो आसपास के वातावरण को पारंपरिक कीटनाशकों की तुलना में न के बराबर हानि पहुचाएं।
अध्ययन में कहा गया है कि अन्य कीटों की तुलना में गुबरैले अपने पानी और नमक के संतुलन को एक अलग तरीके से नियमित करते हैं। कीट जीव विज्ञान में यह एक महत्वपूर्ण अंतर है। केनेथ वैलैंड हेलबर्ग बताते हैं आज के कीटनाशक कीटों के तंत्रिका तंत्र को शक्तिहीन बना देते हैं। इस तरीके में समस्या यह है कि सभी कीटों की प्रजातियों में तंत्रिका तंत्र लगभग समान होता है। इन कीटनाशकों के उपयोग से मधुमक्खियों और क्षेत्र के अन्य लाभकारी कीड़ों की मृत्यु हो जाती है और यह लोगों के साथ-साथ अन्य जीवित जीवों को भी हानि पहुंचाते हैं।
गुबरैले के सावधानीपूर्वक नियंत्रित जल संतुलन से जीवित रहने के तरीके में कोई रहस्य नहीं है। वास्तव में, प्राचीन मिस्र के लोग पहले से इन कीटों से लड़ने के लिए अनाज में कंकड़ मिलाना जानते थे। कंकड़ों ने गुबरैले के एक्सोस्केलेटन की बाहरी मोमी परत को खरोंच दिया था, जो उसके अंदर के पानी के वाष्पीकरण को कम करने का कार्य करता है।
दुनिया भर में अरबों डॉलर के कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है
अब लोग कंकड़-पत्थरों के बदले कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। दुनिया भर में उनका उपयोग अब लगभग 100 बिलियन डॉलर सालाना है। लेकिन कीटनाशक के उपयोग के नियम सख्त हो गए हैं, किसानों को कीटों से लड़ने के लिए विकल्प कम बचे हैं।
ऐसे केमिकल या यौगिक को विकसित करना जो केवल विशेष तरह के कीटों को निशाना बनाते हों। खाद्य उत्पादन गंभीर रूप से कीटनाशकों पर निर्भर है। अकेले यूरोप में यह अनुमान है कि कीटनाशक के उपयोग के बिना खाद्य उत्पादन में 50 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
लेकिन गुबरैलों का मुकाबला करने के लिए नए केमिकल या यौगिकों बनाने के लिए, अन्य बातों के अलावा, एक रसायनज्ञ एक नए अणु को डिजाइन करता हैं जो गुबरैले के हार्मोन जैसा दिखता है। इसी समय यह यौगिक गुबरैले में प्रवेश करने में सक्षम भी होना चाहिए, या तो उनके एक्सोस्केलेटन के माध्यम से या उनके मुंह के द्वारा।
एसोसिएट प्रोफेसर केनेथ वैलैंड हेलबर्ग ने कहा कि गुबरैले में मूत्र गठन को समझना भविष्य के लिए अधिक लक्षित और पर्यावरण के अनुकूल कीट नियंत्रण विकसित करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। हम अब रसायन विज्ञान विशेषज्ञों को शामिल करने की प्रक्रिया में हैं जो हमें एक कृत्रिम कीट हार्मोन डिजाइन करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन किसी भी नए रूप के कीट नियंत्रण से पहले अभी भी बहुत कुछ काम करना बाकी है।
अध्ययन से पता चलता है कि अन्य सभी कीड़ों की तुलना में गुबरैले अपने गुर्दे के कार्य को अलग तरीके से नियंत्रित करते हैं। ये अंतर संभावित रूप से अन्य कीटों को प्रभावित किए बिना गुबरैले के पानी के संतुलन को बाधित किया जा सकता है। मोटे तौर पर पृथ्वी पर पांच जाने-पहचाने जीवों की प्रजातियों में से एक गुबरैला है। जबकि 4 लाख प्रजातियों का वर्णन किया गया है, तो इस हिसाब से धरती पर लगभग 10 लाख गुबरैले की प्रजातियां हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए एक परीक्षण प्रजाति के रूप में रेड फ्लोर बीटल (ट्राइबोलियम कास्टेनियम) का उपयोग किया, क्योंकि इसमें एक अच्छी तरह से अनुक्रमित जीनोम होता है जो आनुवंशिक और आणविक जीव विज्ञान उपकरणों के परीक्षण के लिए आसान है।
शोधकर्ताओं ने एक हार्मोन का इंजेक्शन लगाकर गुबरैले को पेशाब करने के लिए मजबूर किया, वैज्ञानिक अब इसके बारे में बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं कि गुबरैले मूत्र निर्माण को कैसे नियंत्रित करते हैं।
पीएनएएस पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि, व्हीट वीविल, कन्फ्यूज्ड फ्लोर बीटल, कोलोराडो आलू बीटल और अन्य प्रकार के गुबरैले और कीड़े हर साल दुनिया भर के खाद्य आपूर्ति का 25 फीसदी तक नष्ट कर देते हैं। सबसे अधिक समस्या विकासशील देशों में है, जहां प्रभावी कीट नियंत्रण की पहुंच सीमित या न के बराबर है।