मनोविकारों का विज्ञान: क्या कम मेहनत करने वालों को आलसी कहना सही है?
इलस्ट्रेशन: योगेंद्र आनंद

मनोविकारों का विज्ञान: क्या कम मेहनत करने वालों को आलसी कहना सही है?

सभी व्यक्तित्व लक्षणों की तरह आलस्य भी जीन और पर्यावरण का एक संयोजन है
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इंसान के मनोविकारों में से एक है आलस। आलस को इंसान के लिए अच्छा नहीं माना जाता है, लेकिन वैज्ञानिक इसके अलग-अलग पहलुओं पर भी बात करने की सलाह देते हैं। इसी संदर्भ में डाउन टू अर्थ संवाददाता रोहिणी कृष्णमूर्ति ने कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर माइकल इन्जलिच से बात की, जो सामाजिक मनोविज्ञान और संज्ञानात्मक विज्ञान जैसे उपकरणों का उपयोग करके यह पता लगाते हैं कि मनुष्य अपने लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए मानसिक क्षमता का उपयोग कैसे करते हैं

Q

अगर कोई कम मेहनत करना चाहे तो क्या उस व्यक्ति को आलसी कहना सही होगा, या फिर हमारा समाज इस शब्द को हल्के तौर पर लेता है?

A

“आलसी” कोई वैज्ञानिक शब्द नहीं है। अगर कोई पुरस्कार पाने की चाहत रखता है और उसमें ऐसा करने के लिए इच्छा की कमी हो तो उसे आलस माना जा सकता है। हम सभी आलसी हैं, यहां तक कि सिर्फ इंसान ही नहीं, दूसरे जानवर भी। हम सभी एक ही तरह की चीज को हासिल करने के लिए अधिक कोशिश करने के बजाए कम प्रयास को तरजीह देते हैं।

हालांकि, हममें से कुछ लोगों में ज्यादा प्रयास करने की भूख होती है जबकि कुछ लोगों में पसंद और नापसंद के आधार पर प्रयास करने की क्षमता सामान्य से अधिक होती है। कुछ लोग मानसिक प्रयास करने के लिए खास तौर पर तत्पर हों। कुछ लोगों को क्रॉसवर्ड पजल को सॉल्व करना बहुत पसंद होता है, जिसके लिए कोई वास्तविक पुरस्कार नहीं होता। आपको क्रॉसवर्ड पजल या सुडोकू करने के लिए शायद ही कभी पुरस्कार मिले। लेकिन आप फिर भी इसे करते हैं।

कुछ लोगों को समस्याओं के बारे में सोचने, चीजों पर विचार करने और फिर उससे आनंद उठाने की अधिक आवश्यकता होती है। वहीं कुछ लोग ऐसा नहीं करते हैं। तो, क्या आप उन लोगों को आलसी कहेंगे जो किसी गतिविधि का कम आनंद लेते हैं? हो सकता है, आप ऐसा कर सकते हैं। लेकिन यह भी हो सकता है कि उस व्यक्ति के लिए इनाम कम फायदेमंद हो। इसलिए वे प्रयास को सार्थक नहीं मानते। हो सकता है, उन्हें क्रॉसवर्ड पूरा करने से बहुत कुछ हासिल न हो, इसलिए यह इनाम उनके लिए मूल्यवान नहीं है। इसलिए आलस्य एक “जजमेंट कॉल” या नैतिक मूल्यांकन की तरह लगता है जिसे हम लोगों पर लागू करते हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि यह एक वैज्ञानिक धारणा हो।

Q

आपने कुछ ऐसे लोगों की बात की, जिनमें प्रयास करने की अधिक क्षमता होती है। क्या हम समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है?

A

व्यक्तित्व मनोवैज्ञानिकों ने दशकों के शोध के उपरांत यह सुझाव दिया है और इसकी पुष्टि करने के लिए बहुत सारे सबूत भी हैं कि मानव व्यक्तित्व पांच आयामों में आता है, वहीं कुछ अन्य के अनुसार ऐसे छह आयाम हैं।

उन व्यक्तित्व लक्षणों में से एक को कर्तव्यनिष्ठा कहा जाता है। एक कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति वह होता है जो व्यवस्थित होता है, सरकार या समाज के मानदंडों और नियमों का पालन करता है, विचारशील होता है, भविष्य हेतु योजना बनाता है और उसमें कुछ गुण होते हैं। एक और विशेषता यह है कि वे मेहनती होते हैं और उनमें प्रयास करने की इच्छा होती है। वे प्रयास करते हैं और यही नहीं, वे अपने काम से जीवन का अर्थ या यहां तक कि आनंद भी प्राप्त करते हैं।

लेकिन सवाल यह है कि इसका स्रोत क्या है? अन्य सभी व्यक्तित्व लक्षणों की तरह यह जीन और पर्यावरण का संयोजन है। हम जानते हैं कि कर्तव्यनिष्ठा अन्य सभी व्यक्तित्व लक्षणों की तरह वंशानुगत होती है, जिसका अर्थ है कि आपको अपने माता-पिता से ऐसे जीन मिलते हैं जो आपको प्रयास करने की इच्छा देते हैं या नहीं।

लेकिन हम सीखते भी हैं। हम अपनी संस्कृतियों से भी सीखते हैं। इसलिए कुछ संस्कृतियां वास्तव में प्रयासों को बढ़ावा देती हैं। इसलिए कम से कम पश्चिम में लोग प्रोटेस्टेंट कार्य नैतिकता के बारे में बात करते हैं। ईसाई धर्म की यह शाखा कड़ी मेहनत को बढ़ावा देती है। इसके पीछे धारणा यह है कि जितना अधिक आप खुद को आगे बढ़ाएंगे, उतना ही अधिक लाभ आपको इस जीवन में मिलेगा और उतना ही अधिक आप ईश्वर की नजर में अनुग्रह प्राप्त करेंगे। लेकिन यह केवल पश्चिम में ही नहीं है। महात्मा गांधी ने कहा था, “कोई प्रयास नहीं, कोई महिमा नहीं।”

अतः वास्तविक दुनिया में उन जानवरों और मनुष्यों को सबसे अधिक लाभ होता है जो सबसे अधिक मेहनत करते हैं। हालांकि, हमेशा ऐसा नहीं होता है। यदि आप भाग्यशाली हैं, आपको विशेषाधिकार प्राप्त हैं और आप धनी परिवार में पैदा हुए हैं, तो आपको इतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती और आपको इसका लाभ मिलता है।

लेकिन जानवरों के बारे में सोचें। यदि आप एक गिलहरी हैं जो पेड़ पर फल खोज रही है, तो आप जितना अधिक ऊपर चढ़ने के लिए तैयार होंगे, आपको उतने ही अधिक फल मिलेंगे। आप जितनी तेजी से या जितनी अधिक मेहनत करेंगे, आपको उतने ही अधिक फल मिलेंगे और आप अपने जीन को आगे बढ़ाएंगे और एक सफल वंश का निर्माण करेंगे, इसकी संभावना भी बढ़ती है। ऐसे में यह सिर्फ एक अनुकूलन भी हो सकता है।

Q

क्या इंसान मानसिक प्रयासों की तुलना में शारीरिक प्रयासों को अधिक प्राथमिकता देते हैं या वे इसके ठीक उलट काम करते हैं?

A

मुझे नहीं लगता कि हमारे पास इसका कोई उत्तर है। ऐसा लगता है कि लोगों के पास शारीरिक या मानसिक गतिविधियों के लिए अलग-अलग इच्छा या प्रयास “प्रोफाइल” होंगे।

शारीरिक और मानसिक गतिविधियों में भी अलग-अलग तरह के काम होते हैं। इसलिए बहुत तेज दौड़ने के लिए वजन उठाने या लम्बी दूरी तक दौड़ने की तुलना में अलग तरह के प्रयास की जरूरत होती है। जिन लोगों को इनमें से किसी एक चीज को करने की इच्छा होती है, संभव है कि उन्हें दूसरी चीज की इच्छा न हो ।

इसलिए मेरे लिए यह स्पष्ट नहीं है कि शारीरिक और मानसिक क्षेत्र में प्रयास और इच्छा के बीच कोई संबंध है या नहीं। लेकिन हम पूरी बात नहीं जानते। यह संभव है कि कुछ ऐसा हो जो इन दोनों चीजों को जोड़ता हो।

एक चीज जो संभवतः दोनों को जोड़ती है, वह यह है कि प्रयास में एक खास भावना होती है। अगर आप एक खास भंगिमा बनाते हैं, जैसे कि अपनी भौंह सिकोड़ना तो यह अच्छा नहीं लगता। लोग प्रयास की भावना को अप्रिय, विमुख, परेशान करने वाला और निराश करने वाला बताते हैं, साथ ही यह चिंता भी पैदा करती है।

चाहे आप शारीरिक या मानसिक रूप से मेहनत कर रहे हों, यह भावना एक जैसी ही होती है। लेकिन जब आप वास्तव में दौड़ने की कोशिश कर रहे होते हैं, तो आप शारीरिक रूप से मेहनत कर रहे होते हैं और यह दर्दनाक होता है, लेकिन आप खुद को लगे रहने के लिए मजबूर करते हैं। आपका शरीर रुकने के लिए चिल्ला रहा होता है, लेकिन आपका दिमाग आपको जारी रखने के लिए कह रहा होता है। यही बात मानसिक प्रयास पर भी लागू होती है।

आपका मन कह सकता है कि आप अब ऐसा नहीं कर सकते, लेकिन आप बस काम करते रहते हैं। तो वे भावनाएं और शायद आपके द्वारा खुद को बताए गए मौखिक कथन समान हैं। अतः यह संभव है कि शारीरिक और मानसिक प्रयास के लिए किसी की इच्छा की अपनी भाषा होती है। लेकिन अभी हमारे पास कोई अनुभवजन्य सबूत नहीं है।

इलस्ट्रेशन: योगेंद्र आनंद
Q

अगर लोग किसी काम के लिए मेहनत करते हैं तो क्या इसका मतलब यह है कि उनमें आलस्य महसूस होने की संभावना कम है?

A

मान लीजिए कि हम लोगों को उनके दैनिक जीवन में किए जा सकने वाले सभी संभावित कामों की सूची देते हैं। मिसाल के तौर पर ईमेल करना, आवागमन, जूम मीटिंग, होमवर्क करना, खाना-पीना, सोना आदि। इसके बाद इन कामों को संपन्न करने वाले लोगों से यह बताने के लिए कहा जाता है कि इनमें से हर एक गतिविधि कितनी मेहनत वाली या चुनौतीपूर्ण है। यह भी पूछा जाता है कि इन कार्यों को करने से उन्हें कितनी सार्थकता और आनंद मिला।

हम पाते हैं कि किसी कार्य के लिए जितने अधिक प्रयास की आवश्यकता होती है लोगों को उससे उतना ही कम आनंद मिलता है। इसलिए होमवर्क करना टीवी देखने से कम आनंददायक है। किसी पार्टी में जाना आपके टैक्स भरने से ज्यादा आनंददायक है। लेकिन जब हम लोगों से पूछते हैं कि ये कार्य कितने सार्थक हैं तो हम इसके विपरीत उत्तर पाते हैं।

हम पाते हैं कि वे किसी कार्य पर जितना अधिक प्रयास करते हैं, वे उसे उतना ही अधिक अर्थ या सार्थकता देते हैं। किसी काम को करने के बाद उसके अर्थ से हमारा मतलब है कि यह काम महत्वपूर्ण है या सार्थक है और यह जीवन को संरचना प्रदान करता है। ऐसा लगता है कि लोग जीवन से कुछ अर्थ निकालते हैं। या फिर ये सिर्फ सांख्यिकीय शिक्षा या सांस्कृतिक शिक्षा जैसी चीजों से संबंधित है।

लेकिन हमने कुछ अध्ययन किए हैं जहां हम लोगों को एक कठिन कार्य बनाम एक आसान कार्य देते हैं जो अर्थहीन है। और फिर हम उनसे पूछते हैं कि वह कार्य कितना सार्थक था? वे जितना कठिन काम करते हैं, उस काम को उतना ही सार्थक बताते हैं। लेकिन आप इसके बारे में थोड़ा और गहराई से भी सोच सकते हैं। एक क्रॉसवर्ड पहेली की तरह है, क्योंकि कुछ लोग वास्तव में मानते हैं कि यह सार्थक है। यह सार्थक क्यों है? वे सिर्फ अक्षरों को बक्सों में डाल रहे हैं और ऐसी समस्याओं को हल कर रहे हैं जिनकी किसी को परवाह नहीं है। यह कोई विशेष रूप से उपयोगी कौशल नहीं है।

Q

किसी विशेष गतिविधि के प्रति रुचि, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक प्रयास इसमें कितनी भूमिका निभाती है?

A

रुचि बहुत मायने रखती है। इसलिए जैसा कि मैंने न्यूनतम प्रयास के नियम का उल्लेख किया है यानी जब पुरस्कार समान होते हैं तो लोग अधिक प्रयास की तुलना में कम प्रयास करना पसंद करते हैं। वहीं, जब हम किसी प्रयास को रुचि के तौर पर करते हैं तो उसके बदले मिलने वाला पुरस्कार समान नहीं रह जाते।

अगर मुझे गणित पसंद है और मुझे इससे आनंद मिलता है तो गणित मेरे लिए अधिक फायदेमंद है और इसलिए किया गया प्रयास अधिक उचित है। हम उन चीजों के लिए प्रयास करने के लिए अधिक इच्छुक हैं जो हमें पसंद हैं। लेकिन यह अभी भी न्यूनतम प्रयास के नियम के साथ बहुत सुसंगत है, क्योंकि अब पुरस्कार केवल वस्तुनिष्ठ नहीं है, पुरस्कार का एक व्यक्तिपरक घटक भी है। मुझे यह चीज कितनी पसंद है?

मैं एक प्रोफेसर हूं और मुझे पढ़ना और सोचना पसंद है। मेरे बेटे को नहीं। क्या इसका मतलब यह है कि मैं आलसी हूं और वह नहीं? नहीं। उसके लिए यह प्रयास लायक वाला नहीं होगा, जबकि मेरे लिए यह पर्याप्त है। क्योंकि मैं इससे अधिक मूल्य या सार्थकता प्राप्त करता हूं। दूसरी ओर मेरे बेटे को फुटबॉल बहुत पसंद है। इसलिए वह हर समय फुटबॉल खेलता है। वह इस खेल के लिए बहुत मेहनत करता है। मैं ऐसा नहीं करता। इस मामले में मैं आलसी हो सकता हूं क्योंकि मैं फुटबॉल नहीं खेलना चाहता। लेकिन सच तो यह है कि मैं फुटबॉल को अपने बेटे जितना महत्व नहीं देता।

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